टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ । रिपोर्ट अजय वर्मा ।अमृता अस्पताल, फरीदाबाद ने माता अमृतानंदमयी मठ की युवा शाखा अयुद्ध के युवाओं के साथ मिलकर सीडबॉल फैलाए। यह सीडबॉल सोहना हाईवे के पास नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ग्रीन बेल्ट में फैलाए गए।
इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में आश्रम से स्वामी विजयामृतानंद पूरी जी मौजूद रहे। इनके अलावा अयुद्ध के नेशनल कॉर्डिनेटर स्वामी मोक्षामृता चैतन्य जी, रीजनल कॉर्डिनेटर स्वामी हर्षामृत जी, अनंत पसारी समेत अमृता अस्पताल से वॉलंटियर, नर्सिंग कॉलेज के स्टूडेंट्स और श्री माता अमृतानंदमयी देवी (अम्मा) के भक्तजन इसका हिस्सा रहे।
अयुद्ध के नेशनल कॉर्डिनेटर स्वामी मोक्षामृता चैतन्य जी ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “अम्मा द्वारा चलाई गई इस पहल के अंतर्गत जो सीडबॉल हमने यहां फैलाए हैं, इससे हम आशा करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा सीडबॉल अंकुरित होंगे और पेड़ बनेंगे। इसी के साथ भारत की भूमि को हरित बनाने का अम्मा का सपना साकार होगा।” इसके साथ ही स्वामी मोक्षामृता चैतन्य जी ने भारत वन सेवा और शहरी पर्यावरण, जीएमडीए और एफएमडीए के सीईओ सुभाष यादव जी का इस पहल में योगदान देने और सक्रिय रूप से भागीदारी के दिखाने के लिए धन्यवाद दिया।
अमृता विश्व विद्यापीठम के वैश्विक सीडबॉल अभियान ने इस साल अप्रैल में लॉन्च होने के बाद से दुनिया भर में 1.3 मिलियन से अधिक सीडबॉल का उत्पादन किया है। यह अभियान सस्टेनेबल और रेजिलिएंट कम्युनिटी (एसआरसी) – जलवायु, पर्यावरण और नेट जीरो लक्ष्य पर सी20 वर्किंग ग्रुप के बैनर तले आयोजित किया गया है। इस पहल का उद्देश्य इस वर्ष के अंत तक दस लाख से अधिक सीडबॉल का उत्पादन और वितरण करके पर्यावरणीय स्थिरता और पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली को बढ़ावा देना है।
नीम, गुलमोहर अमलतास, बेल, कनेर, कचनार आदि के बीजों से गर्मी के दिनों में अमृता अस्पताल, फरीदाबाद, श्री माता अमृतानंदमयी देवी मठ वसंत कुंज दिल्ली व अन्य स्थानों पर सीडबॉल बनाए गए थे। लगभग एक माह से अधिक चले इस अभियान में कई लाख बीज मिट्टी व खाद के पोषण मिश्रण में रखे गए। उन्हें निर्देशित ढंग से सुखाकर सरंक्षित किया गया था। इसमें लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और अभियान का हिस्सा रहे वॉलंटियर आदित्य ने कहा, “इसका हिस्सा बनकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। सीडबॉल फैलाने के बाद मुझे शांति का अनुभव हो रहा है, क्योंकि इन सीडबॉल से पेड़ बनेंगे, जो हमारी भारत की भूमि को हरा-भरा बनाएंगे और पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद करेंगे।”