टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ । रिपोर्ट अजय वर्मा । भारत के आर्थिक विकास में बैंकिंग क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह व्यक्तियों, व्यवसायों और सरकार को वित्तीय सेवाएं और सहायता प्रदान करता है। भारतीय बैंक हमेशा से मजबूत रहे हैं और पिछले कुछ महीनों में अन्य अर्थव्यवस्थाओं को व्यापक रूप से प्रभावित करने वाली मजबूत विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में भी सफल रहे हैं। हालांकिइसके बावजूद बैंकिंग उद्योग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इसमें संपत्ति की गुणवत्ता, डिजिटल परिवर्तन और वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करना शामिल है। केंद्रीय बजट 2023 में बैंकिंग क्षेत्र को मजबूती देने और देश के समग्र वित्तीय परिदृश्य में सुधार लाने के उद्देश्य से विभिन्न उपायों के माध्यम से इन चिंताओं को दूर किया गया है।
वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र/ फाइनेंशियल इकोसिस्टम को मजबूत करना
इस वर्ष के बजट में संतुलित आर्थिक विस्तार को बढ़ावा देते हुए स्थिरता बनाए रखने की सरकार की मंशा का संकेत दिया गया है। सुझाए गए नीतिगत सुधार और अधिक पूंजी प्रवाह एमएसएमई और स्टार्टअप ईकोस्स्टिम (पारिस्थितिकी तंत्र) को सहयोग देगा। क्रेडिट गारंटी योजना को नया रूप दिया जाना प्रमुख घोषणाओं में से एक रहा।
माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई) के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट के कोष में 9,000 करोड़ रुपये का प्रवाह एमएसएमई को कोलैटरल या गिरवी-मुक्त कर्ज प्राप्त करने में मददगार साबित होगा। यह नई योजना दो लाख करोड़ के नए गिरवी-मुक्त गारंटीकृत वित्तपोषण को भी सक्षम बनाएगी। यह उनकी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाते हुए भारत में एमएसएमई के विकास को गति देगा।
इसके अलावा, कर्ज लागत को लगभग 1% कम किया जाना है। यह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए लघु व्यवसाय ऋणों की संपत्ति की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
गवर्नेंस और निवेशक सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान
भारत में वित्तीय नियामकों ( रेगुलेटर्स) के योगदान से अपने देश में दुनिया की सबसे मजबूत बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली विकसित हो पाई है। केंद्रीय बजट 2023 के अनुसार, वित्तीय और सहायक डेटा के लिए केंद्रीय रिपॉजिटरी या भंडार के रूप में कार्य करने के लिए एक राष्ट्रीय वित्तीय सूचना रजिस्ट्री की स्थापना की जाएगी। यह कर्ज के कुशल प्रवाह को बढ़ाएगा, वित्तीय समावेशन में वृद्धि करेगा और वित्तीय स्थिरता की स्थिति को बहाल करेगा। इसके अलावा, वित्तीय क्षेत्र के नियामकों के अधिकारियों को लागत में कटौती और अनुपालन को आसान बनाने के लिए मौजूदा कानून का पूर्ण मूल्यांकन करने की आवश्यकता होगी।
इसके साथ ही, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, बैंकिंग कंपनी अधिनियम, और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य बैंक प्रशासन में सुधार करना और निवेशक सुरक्षा को बढ़ाना है। फिनटेक और डेटा-संचालित क्रेडिट संवितरण कंपनियों के आंतरिक तंत्र और संचालन को मजबूत करने के अलावा, यह पहल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और बेहतर क्रेडिट सुविधाओं को बढ़ावा देने में बैंकिंग अधिकारियों की सहायता करेगी। यह, बदले में, अनुपालन बोझ को कम कर सकता है और भारत में व्यापार करने में आसानी में सुधार कर सकता है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए फायदें
इस बजट में वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस) में भी बदलाव किए गए हैं, अधिकतम जमा सीमा 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख रुपये कर दी गई है। साथ ही, मासिक आय खाता योजना की अधिकतम सीमा को एकल खाते के लिए 4.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 9 लाख रुपये और संयुक्त खाते के लिए 9 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये करना एक सकारात्मक कदम है। यह वरिष्ठ नागरिकों को एससीएसएस में बड़ी राशि का योगदान करने में सक्षम बनाएगा, जिससे यह एफडी और खातों की तुलना में बेहतर निवेश विकल्प बन जाएगा।
निष्कर्ष
मौजूदा तकनीकी प्रगति के साथ, बैंकिंग क्षेत्र ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने और समग्र ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने के लिए अपने डिजिटल बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर अधिक जोर दे रहा है। इससे बैंकों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलता है। केंद्रीय बजट में एमएसएमई को वित्तपोषण तक पहुंच से लैस करने और निवेशक सुरक्षा के संदर्भ में सुधारों को जारी रखने के लिए क्रेडिट योजना में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने से बैंकिंग क्षेत्र में विकास को और गति मिलेगी। तेजी से विकसित होते कारोबारों का वित्त के लिए बैंकों का रुख करना यह बताएगा कि भारत का बैंकिंग क्षेत्र मजबूत विकास के लिए तैयार है।
( लेखक – अमर देव सिंह, एडवाइजरी हेड, एंजल वन लिमिटेड )