इस मानसून में दोहरी मार झेलनी पड़ेगी: आयुर्वेद राहत देगा

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This monsoon will suffer double whammy Ayurveda will give relief
President of Maharishi Ayurveda, Mr. Anand Srivastava

Today Express News / Report / Ajay Verma / मानसून का मौसम शुरू हो गया है, अपने सामान्य संकट के साथ, पहले से ही गंभीर कोविड-19 आपदा को और बढ़ा रहा है। इस मानसून, बीमारियों का दोहरा बोझ हमारे सिर पर है। मानसून के दौरान वेक्टर बोर्न डिसीज़ेज यानी कीड़े-मकोड़ों से फैलने वाली बीमारियों में सामान्य वृद्धि भारत के सार्वजनिक/जन स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचे पर अतिरिक्त दबाव डाल रही हैं, जो पहले से ही कोविड-19 महामारी के बोझ तले दबा हुआ है। हालांकि, मानसून के कारण होने वाली बीमारियां और कोविड-19 का संत्रास अलग-अलग है, जिसे हमें समझने की जरूरत है। अगर हम कोविड-19 और सामान्य फ्लु के लक्षणों के बीच अंतर के बारे में बात करें – कोविड-19 में रोगी स्वाद और गंध पहचानने की क्षमता खो देता है, लेकिन मानसून से संबंधित बीमारियों में ऐसे कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।

क्या आप कोविड-19 के संत्रास और सामान्य मानसून की बीमारियों को लेकर भ्रमित हैं? मानसून में मौसमी बीमारियों जैसे मलेरिया, डेंगू, फ्लु, डायरिया, कंजक्टिवाइटिस और बुखार के मामले बढ़ जाते हैं, जिनके लक्षण कोविड-19 के समान होते हैं। लेकिन ये एक्यूट डिसीज़ेज/अचानक होने वाली बीमारियां कोविड-19 से भिन्न हैं। सीज़नल फ्लु के लिए, लोगों में इससे मुकाबला करने की प्रतिरोधक क्षमता होती है, लेकिन कोविड-19 के लिए फिलहाल आपके पास यह क्षमता नहीं है। और, बरसात के मौसम में चिकित्सा समस्याओं से सुरक्षा करने के लिए शरीर की क्षमता कम होने लगती है, क्योंकि प्रतिरक्षा तीव्रता कम हो जाती है। जैसे की अपेक्षा की जा रही है कि इस मानसून में बीमारियों में कईं गुना वृद्धि होगी, आपको अपनी प्रतिरक्षा को दुगना बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए, आयुर्वेद का प्राचीन विज्ञान कुछ सुझाव दे रहा है जो आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ाकर उसे पुनर्जीवित कर देंगे और आपको वायरस से होने वाले संक्रमणों के साथ-साथ मानसून से संबंधित बीमारियों से भी दूर रखेंगे।

महर्षि आयुर्वेद के अध्यक्ष, श्री आनंद श्रीवास्तव, ने कहा, “जैसे कि कोविड-19 का संकट लगातार बढ़ रहा है, और मानसून ने पहले से ही दस्तक दे दी है, जो कईं बीमारियों को अपने साथ लाता है। हालांकि, अगर हम प्रकृति (साइको सोमैटिक विधान) का पालन करते हैं, जो पांच तत्वों – वायु, व्योम, पृथ्वी, जल और अग्नि से निर्धारित होता है, तो हम इस स्वास्थ्य संकट से बच पाएंगे। आयुर्वेद के अनुसार, इन पांच तत्वों का संयोजन तीन दोषों में है: वात, पित्त और कफ। और मानसून (वर्षा ऋतु) के मौसम में, वात – आंतरिक्ष और वायु से बनी गति की अदृश्य शक्ति कम हो जाती है और कफ (पृथ्वी और पानी से निर्मित) बढ़ जाती है। पित्त (पृथ्वी और अग्नि से निर्मित) बढ़ता नहीं है, लेकिन संचय हो जाता है, जिसमें अमा (पेट में बनने वाला अपच का एक उत्पाद, जो की प्रणालीगत बीमारियों का कारण बनता है) कफ के साथ इसकी मात्रा भी बढ़ जाती है। इस प्रकार, अमा का पाचन बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, आपका भोजन आपकी प्रकृति के अनुसार होना चाहिए।”

श्री श्रीवास्तव ने आगे बताया, “प्रकृति का अनुसरण करने के अलावा, एक संतुलित जीवनशैली जिसमें पौष्टिक खाने की आदतें, बहुत सारे व्यायाम, योग और ध्यान, गहरी नींद, हर्बल और खनिज सहायता आदि सम्मिलित है, कईं आयुर्वेदिक कार्यों /अभ्यासों के साथ मिलकर प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में सहायता कर सकते हैं। कोविड-19 संकट के दौरान, हमें डर जैसी मनोविकृति का शिकार होने की बजाय फिर से अपनी प्रतिरक्षा को मजबूत बनाने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है, ताकि हम इस महामारी से लड़ सकें।”

मानसून की बीमारियों से मुकाबला – आयुर्वेदिक उपायों से

आयुर्वेद के अनुसार, मानसून के मौसम में, तीव्र पर्यावर्णीय परिवर्तनों के कारण, वात, पित्त और कफ दोषों के संतुलन को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सावधानी और देखभाल की आवश्यकता होती है, ताकि स्वास्थ्य बेहतर रहे। मानसून की विशेषता होती है कि इस दौरान दोष असंतुलित हो जाते हैं और प्रतिरक्षा कम हो जाती है।

मानसून के दौरान, कफ और पित्त दोषों में वृद्धि हो जाती है और शरीर के तंत्र कमजोर पड़ जाते हैं। पित्त दोष का संचय, पाचन तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे यह धीमा पड़ जाता है। यदि खाद्य पदार्थों का पाचन ठीक तरह से नहीं होगा, तो अमा (विषैले पदार्थों) निर्मित होंगे, जिन्हें हमें शरीर से बाहर निकालने (डिटॉक्सिफाई या विषहरण) की आवश्यकता होती है। और विषहरण की प्रक्रिया हमारे शरीर को निष्प्रभावी/बेअसर कर देती है। इस प्रकार, यदि हम अपनी प्रकृति पर ध्यानकेंद्रित करते हैं, और उसी के अनुसार भोजन करते हैं, तो यह अच्छी तरह से पच जाएगा, जिससे शरीर के शक्ति (बल) में वृद्धि होगी। इससे हमारे शरीर को आवश्यक पोषण भी मिलेगा। इसलिए, पाचन तंत्र को मजबूत करने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को साफ करके, इष्टतम/ सर्वोत्कृष्ट प्रतिरक्षा प्राप्त की जा सकती है।

इसके अलावा, आयुर्वेद वायरस को बीमारी के प्राथमिक कारण के रूप में नहीं देखता है। हर बीमारी के साथ, सबसे अच्छा संभव संरक्षण एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली है। इष्टतम स्वास्थ्य को बनाए रखने और कोविड-19 जैसी संक्रामक बीमारियों को रोकने में प्रतिरक्षा को बढ़ाना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

महर्षि आयुर्वेद के मेडिकल सुप्रिटेंडेट/ डॉ. सौरभ शर्मा, ने कहा, “आमतौर पर, वर्षा ऋतु में, प्रतिरक्षा कम हो जाती है, एलर्जी, अपच और संक्रमण के मामले बढ़ जाते हैं तथा चयापचय सुस्त पड़ जाता है। हालांकि, आयुर्वेद लाभकारी आहार और जीवनशैली के माध्यम से पोषण और प्रतिरक्षा को मजबूत बनाने के साथ-साथ शरीर के तंत्र को पुनर्जीवित करने की सलाह भी देता है। हमें चयापचय और प्रतिरक्षा बढ़ाने की जरूरत है। यह इन असंतुलनों को कम करने, हमारी प्रतिरक्षा का निर्माण करने और शरीर पर मौसमी परिवर्तनों के प्रतिकूल प्रभाव की जांच करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”

आयुर्वेद के अनुसार, मानसून, शरीर से विषैले पदार्थों को निकालने और उसे पुनर्जीवित करने, पुरानी बीमारियों को ठीक करने तथा प्रतिरक्षा और स्वास्थ्य को मजबूत बनाने के लिए सबसे अच्छा समय है। लेकिन मानसून के मौसम में कफ की वृद्धि और पित्त दोष का संचय, विभिन्न रोगों का कारण है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम इस मौसम में किस तरह से समझदारीपूर्वक अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए प्रयास करते हैं।

मानसून के दौरान आहार नियम
मानसून के लिए जीवनशैली संबंधी सलाह
 खट्टे-मीठे और नमकीन स्वाद वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

 ऐसे खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दें जो आसानी से पचने योग्य, गर्म और हल्के हों।

 बेहतर पाचन के लिए अदरक, लहसुन, काली मिर्च, हींग और नींबू को आहार में शामिल करें।

 कच्चा सलाद खाने के बजाय पकी हुई सब्जियां खाएं।

 फलियां जैसे मूंगदाल, काबुली चने, मक्का, बेसन और सब्जियां जैसे लौकी. चिचिण्डा और भिंडी का सेवन करें।

 कार्कीडाका कांजी या मेडिकेटेड दलिया लेने की सलाह दी जाती है।
 शरीर को पर्याप्त कपड़ों से गर्म रखें।

 नंगे पैर न चलें।

 गर्म पानी से स्नान करें।

 बारिश के दौरान पैरों की देखभाल महत्वपूर्ण है।

 तेल से शरीर की नियमित मालिश करें।

 अपच को रोकने के लिए दिन के समय न सोएं।

 बारिश में भीगने के बाद तुरंत कपड़े सुखाने के लिए बदलें।

 किसी भी रूप में अधिक परिश्रम से बचें।

 मानसून में दोपहर के सूरज के ओवर एक्सपोज़र से बचें।

 प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने और बीमारियों से बचने के लिए पंचकर्म उपचार की अत्यधिक सलाह दी जाती है।

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