साधन और बुद्धि का सही उपयोग ही सफलता दिलाएगा: पंडित नीरज शर्मा

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The right use of means and intelligence will bring success Pandit Neeraj Sharma

फरीदाबाद। एनआईटी फरीदाबाद के विधायक पंडित नीरज शर्मा ने कहा कि जीवन में सफलता उसी को मिलती है, जो अपने साधन और बुद्धि का उपयोग सही से करता है। समय के सापेक्ष जब हम सकारात्मक सोच के साथ आगे बढते हैं, तो विधाता भी हमारे कार्य को सिद्ध करते हैं। उन्होंने कहा कि यह समय नवरात्र का चल रहा है। हम लोग आदिशक्ति की आराधना कर रहे हैं। हम सभी को अपनी बेटियांे की रक्षा और उसके समुचित विकास के लिए काम करना चाहिए। सोच को बदलनी चाहिए कि बेटे से ही कुल का नाम रोशन होता है। मैं इस नवरात्र में आप सभी से आग्रह कर रहा हूं कि बेटी को जीवन में बोझ नहीं समझें। यदि हमने ऐसा सोच बना लिया, तो यही मां सती और मां आदिशक्ति के प्रति सच्ची पूजा होगी।

एनआईटी फरीदाबाद के विधायक पंडित श्री नीरज शर्मा सेक्टर 52 के दशहरा ग्राउंड में श्रीराम कथा के दौरान लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारी सनातन संस्कृति में कहा गया है कि जहां नारी की पूजा होती है, वहीं देवताओं का वास होता है। आप किसी भी धार्मिक ग्रंथ को उठा लें, उसमें देवी की महिमा अपार है। इसलिए हम समाज में भी देखेंगे, तो नारी के नाम के साथ देवी लगाने की परंपरा रही है।

बता दें कि एनआईटी फरीदाबाद के विधायक पंडित श्री नीरज शर्मा ने जगत कल्याण की कामना से इस नौ दिवसीय श्रीरामकथा का आयोजन किया है। इसमें वे स्वयं भी कथावाचक हैं। उनके साथ श्री हरिमोहन गोस्वामी जी श्रीराम कथा के वाचक के रूप में हैं। पूरी व्यवस्था टीम पंडितजी कर रही है। कथावाचक श्री हरिमोहन गोस्वामी जी ने श्रीराम कथा के दूसरे दिन शिव विवाह का सुंदर प्रसंग और माता सती का प्रसंग सुनाया। शिव विवाह का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि शिव नाम ही कल्याण है। शिव विवाह का अर्थ ईश्वर और शक्ति का मिलन है। माता सती के प्रसंग में सुनाते हुए उन्होंने कहा कि कथा में न आना तो चलेगा, परंतु कथा में आकर कथा का श्रवण न करना बहुत बड़ा पाप है।

एनआईटी फरीदाबाद के विधायक पंडित नीरज शर्मा ने कहा कि सती की परीक्षा लेने की विधि की विडंबना यह है कि वह सीता का वेश बनाती है और भगवान राम के आगे-आगे चलने लगती है। कई लोग भगवान को पीछे छोड़ आगे चलने लगते है। जो लोग भगवान के पीछे छोड़ आगे बढ़ जाते है तो भगवान का एक स्वभाव है कि वे पीछे पड़ जाते है। और जब तक सत्य का दर्शन नहीं करा देते पीछे पड़े ही रहते है। यह स्थिति बड़ी भयावह होती है। उन्होंने कहा कि जीवन में शांति के लिए भगवान को आगे रखें और खुद को पीछे रखें। वेश तो सीता का बनाती है परंतु आचरण नहीं बना पाती। वेश ठीक है परंतु आचरण के अभाव में वेश निंदनीय है। चित्र की अपेक्षा चरित्र श्रेष्ठ है। जब जीवन में चरित्र सुंदर होता है तो चित्र खुद ब खुद सुंदर होने लगता है। इस मौके श्रद्धालुओं ने श्रीराम कथा का श्रवण किया।

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