धूम्रपान करने से हृदय की कार्यक्षमता समय के साथ खराब हो जाती है – डॉ. राकेश सपरा ( मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स )

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टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ । रिपोर्ट अजय वर्मा । धूम्रपान से सेहत को होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व में हर साल 13 मार्च को ‘नो स्मोकिंग डे’ मनाया जाता है। धूम्रपान से हृदय को होने वाले नुकसान पर जानकारी देते हुए मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद से कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्टर एवं एचओडी डॉ. राकेश सपरा ने कहा कि धूम्रपान (सिगरेट,बीड़ी, सिगार, हुक्का पीना या गुटखा तंबाकू का सेवन) केवल फेफड़ों को ही नुकसान नहीं पहुंचाता है बल्कि आपके हृदय में रक्त के प्रवाह को भी कम कर देता है जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। स्मोकिंग (धूम्रपान) से कोरोनरी धमनियों में रुकावट और सिकुडन बढ़ जाती है। धूम्रपान के कारण धमनियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे कोरोनरी हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। धूम्रपान करने से हृदय की कार्यक्षमता समय के साथ खराब हो जाती है। सेकंड हैंड स्मोकिंग (धूम्रपान करने वाले व्यक्ति द्वारा छोड़े गए धुएं के संपर्क में आना) भी आपके हृदय को प्रभावित कर सकती है।

दुनिया भर में ई-सिगरेट पीने का चलन बढ़ रहा है जिसे धूम्रपान के नए ट्रेंड के तौर पर देखा जा रहा है। ई-सिगरेट का इस्तेमाल भी आपके दिल के लिए हानिकारक हो सकता है। अगर कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि निकोटिन केवल सामान्य सिगरेट के अंदर ही होता है और ई-सिगरेट में नहीं होता है तो ऐसा सोचना गलत है क्योंकि ई-सिगरेट के अंदर भी निकोटिन की मात्रा होती है। वैपिंग और ई-सिगरेट नशे का ही एक प्रकार है। ऐसा माना जा रहा है कि आजकल ई-सिगरेट के नए वर्जन में निकोटिन की भी मात्रा ज्यादा होती है। ये ऐसे रूप में आते हैं जिनका सामान्य सिगरेट की तुलना में शरीर, ब्रेन पर असर बहुत तेज होता है। अगर किसी भी माध्यम से निकोटिन का कंसंट्रेशन ज्यादा होता है, इससे नुकसान भी ज्यादा ही होगा। जब शरीर में निकोटिन जाता है तो हार्ट की नसों में जहाँ कोलेस्ट्रोल जमा होता है, वहां नसों की अंदरूनी सतह में क्रैक होने का जोखिम ज्यादा बढ़ जाता है। इसे मेडिकल भाषा में ‘प्लाक रप्चर’ कहते है। इस कारण आर्टरी के अंदर खून का थक्का (क्लॉट) जमने लगता है जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है। निकोटिन की वजह से खून ज्यादा गाढ़ा हो जाता है। निकोटिन के कारण हृदय की धड़कन खराब हो जाती है। ई-सिगरेट में निकोटिन का कंसंट्रेशन सामान्य सिगरेट की तुलना में ज्यादा हो सकता है इसलिए इससे शरीर, हार्ट पर सामान्य सिगरेट की तुलना में नुकसान भी ज्यादा हो सकता है। सामान्य सिगरेट में निकोटिन की मात्रा ज्यादा होती है लेकिन इसके इस्तेमाल में जो निकोटिन बॉडी में जाता है वह इसमें मौजूद निकोटिन की कुल मात्रा के मुकाबले कम जाती है। वहीँ ई-सिगरेट में निकोटिन की मात्रा कम होती है। आजकल ई-सिगरेट के नए रूप में सामान्य सिगरेट से भी ज्यादा कंसंट्रेशन होता है जो बॉडी से ब्लड में जाता है। सामान्य सिगरेट में निकोटिन बर्न हो जाता है तो सारा निकोटिन बॉडी में नहीं जाता है लेकिन ई-सिगरेट में मौजूद सारा निकोटिन शरीर में चला जाता है। इस प्रकार ब्लड में पहुँचने वाला ई-सिगरेट का कंसंट्रेशन (मात्रा) सामान्य सिगरेट से ज्यादा हो सकता है।

इसलिए सलाह दी जाती है कि तंबाकू का सिगरेट,बीड़ी, सिगार, हुक्का पीना या गुटखा आदि किसी भी रूप में सेवन न करें। ई-सिगरेट के सेवन से भी दूर रहें।

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