ऑपरेशन से निजात, बिन दवाई के ईलाज – ड़ॉ जितेंद्र सिंगला

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Today Express News | Ajay Verma | स्वास्थ्य डेस्क, । फिजियोथैरेपी एक सैद्धांतिक चिकित्यकीय विज्ञान और जीवनशैली का अनुशासन है। इसमें कुछ विशेष कसरतों की मदद से बीमार के शरीर को गतिशीलता दी जाती है। विशेषज्ञ भौतिक चिकित्सक की सलाह से की जाने वाली ये एक्सरसाइज उन मरीजों के लिए मददगार होती हैं जिन्हें गंभीर चोट या बीमारी के कारण चलने – फिरने में दिक्कत होती है। साथ में इलाज की अन्य विधियां भी की जाती हैं। आमतौर पर मसाज को ही फिजियोथैरेपी समझा जाता है जो सरासर गलत है।

फिजियोथैरेपी क्या है ?

मशीनों और एक्सरसाइज से फिजियोथैरेपी की जाती हैं। मरीज महिला है या पुरूष, बीमारी, उम्र, हार्ट रेट, वजन, ऊंचाई के अनुसार फिजियोथैरेपी की जाती हैं। प्रसिद्ध ड़ॉ जितेद्र सिंगला ने बताया कि मरीज व बीमारी की स्थिती अनुसार कसरत कितनी बार , कैसे, कितनी देर करनी है तय करते हैं। उसके उपरांत ही मरीज का ईलाज शुरू किया जाता है।
बीमारी व समस्या के अनुसार फिजियोथैरेपी देते हैं।
फिजियोथैरेपी से मरीज को जल्द ही गतिशील करने में मदद मिलती है। अस्थि रोगो जैसे कमर, गर्दन, घुटने, एड़ी व जोड़ों का दर्द, प्लास्टर के बाद अकड़न , जोंड़ों की जकड़न से राहत के लिए देते हैं। तंत्रिका रोग में पैरालिसिस, बेल्स पैल्सी , नसों की कमजोरी व दबना, स्पोट्रर्स, स्पाइनल व हेड इंजरी, प्रेग्नेंसी, शिशु रोग जैसे सेरेब्रल पॉल्सी, स्पाइना बाइफिड़ा, जन्मजात विकृतियों में भी कारगर है।

नए मरीज को फिजियोथैरेपी देने की प्रकिया क्या हैं?
फिजियोथैरेपी में मरीज की 80 % व फिजियो एक्सरसाइज की 20% भूमिका होती है। अक्सर मरीज लंबे समय से परेशान होते हैं और तुरंत फायदा चाहते हैं। इसलिए धैर्य व सकारात्मक सोच जरूरी है।

किन स्थितियों व बीमारियों में यह उपचार नहीं दिया जा सकता हैं?

पेसमेकर लगे मरीज, गर्भवती महिला को रेडिएशन वाली मशीन नहीं लगाते हैं लेकिन जरूरी कसरत करवाते हैं। गर्भवती महिला को सामान्य प्रसव के लिए एंटी नेटल फिजियो क्लास कराते हैं। कैंसर मरीज को हीट रेडिएशन मशीनें नहीं लगाते हैं। सेंसेटिव स्किन वाले मरीजों को मशीनो की थैंरैपी से बचाते हैं।

इस क्षेत्र में कौन सी नई तकनीक आई है।

डिजिटल मशीनों से थैरेपी की जा रही है। यह मरीज का रिकॉर्ड रखती हैं। साथ ही सही कसरत के बारे में भी बताती हैं। इस समय पानी के अंदर थैरेपी का भी चलन है, जिसे हाइड्रोथैरेपी कहते है।

ड़ॉ जितेंद्र सिंगला का कहना है कि आज के समय में अचानक से किसी को हड्डी व जोड़ों के दर्द की परेशानी का सामना करना पड़ सकता हैं जिससे निजात पाने के लिए तरह – तरह की दवाईयों का सेवन करना शुरू कर देते है। जोकि उनके लिए बहुत ही हानिकारक होती है। इसलिए डॉ सिंगला का कहना है कि समस्या से बिन दवाई के और आसानी के निजात मिलता है।

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