फरीदाबाद के नेत्रपाल पिछले दस वर्षों से ‘ध्यानचंद अवार्ड’ पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।

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Today Express News / Report / Ajay Verma / फरीदाबाद, 13 जुलाई। भारतीय सेना में बतौर सैनिक भारत-पाकिस्तान युद्ध में दुश्मन के दांत खट्टे करने वाले और कुश्ती में ‘भारत केसरी’ बने फरीदाबाद वासी नेत्रपाल पहलवान पिछले दस वर्षों से अधिक समय से भारत सरकार द्वारा कुश्ती के क्षेत्र में दिये जाने वाले सर्वोच्च पुरस्कार ‘ध्यानचंद अवार्ड’ पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। उनका कहना है कि भारत सरकार उन्हें नजरअंदाज कर रही है जबकि वे इस अवार्ड के पूरी तरह से हकदार हैं। इसी मांग को लेकर वे आज फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक नरेंद्र गुप्ता से उनके सेक्टर-11 स्थित कार्यालय पर मिले। विधायक गुप्ता ने नेत्रपाल पहलवान को पूर्ण भरोसा दिलाया कि वे उनकी इस न्यायोचित मांग से केंद्रीय खेल मंत्रालय को शीघ्र अवगत कराएंगे और उन्हें भरोसा है कि उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए यह अवार्ड उन्हें अवश्य प्रदान किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि ओल्ड फरीदाबाद की शास्त्री कॉलोनी निवासी बुजुर्ग पहलवान नेत्रपाल थलसेना में कैप्टन के पद से 31 मई 1992 को सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने सेना में रहते हुए देश-विदेश में कुश्ती के अनेक धुरंधरों को जोरदार टक्कर देकर अपनी अलग पहचान बनाई। नेत्रपाल पहलवान 1973 में ‘भारत केसरी’ बने। इससे पहले वे कुश्ती में 1968, 1969, 1970, 1974 और 1975-76 में भी नेशनल चैम्पियन रहे। उन्होंने 1970 में बैंकॉक में एशियन खेलों में कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था। 1974 में न्यूजीलैंड में ब्रिटिश कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीतकर राष्ट्र का गौरव बढ़ाया था। साथ ही अपनी प्रतिभा का लोहा भी मनवाया था। वर्ष 1972 में पंजाब के अमृतसर में ‘रूस्तक-ए-हिन्द’ बने। टोनी पहलवान तथा कृष्ण पहलवान का कहना है कि इतना सबकुछ होने के बाद भी भारत सरकार वयोवृद्ध पहलवान नेत्रपाल की अनदेखी कर रही है। वे पिछले दस वर्षों से ‘ध्यानचंद अवार्ड’ के लिए खेल मंत्रालय के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन हर बार उनकी अनदेखी की जा रही है। स्थानीय नेताओं ने भी उनकी ओर ध्यान नहीं दिया है। उनका आरोप है कि उनसे जूनियर खिलाडिय़ों तक को यह अवार्ड दे दिया गया है जबकि नेत्रपाल जैसे जाने-माने पहलवान को वंचित किया जा रहा है। वहीं नेत्रपाल पहलवान ने विधायक नरेंद्र गुप्ता को सौंपे पत्र के माध्यम से भारत सरकार से मांग की है कि उनकी उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए और पारदर्शी नीति अपनाते हुए इस बार उनका चयन इस अवार्ड के लिए किया जाए ताकि उन जैसे पहलवानों का उत्साह बना रहे और वे नई पीढ़ी को विलुप्त हो रहे खेल कुश्ती की ओर आकर्षित कर सकें। इस मौके पर नेत्रपाल पहलवान के साथ अनिल गुप्ता एडवोकेट, कुलदीप सिंह साहनी, सचिन शर्मा, साहब सिंह विर्क, मुकेश अग्रवाल, सुरेंद्र सिंह सांगा एवं अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।

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