डीएवी शताब्दी महाविद्यालय के पत्रकारिता विभाग ने करवाया “कल,आज और कल “विषय पर सेमिनार का आयोजन।*

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टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ । अजय वर्मा । डीएवी शताब्दी महाविद्यालय में पत्रकारिता विभाग के छात्रों के लिए एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन करवाया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में मुख्यमंत्री हरियाणा के मीडिया कॉर्डिनेटर श्री मुकेश वशिष्ठ ने शिरकत की। श्री मुकेश वशिष्ट जी एक प्रसिद्ध पत्रकार रह चुके हैं। जिन्होंने अमर उजाला, दैनिक भास्कर, नई दुनिया आदि जैसे समाचार पत्रों में अपनी सेवाएं दी। इस कार्यक्रम का विषय “कल आज और कल” की पत्रकारिता रहा।

इसका उद्देश्य छात्रों को पत्रकारिता के इतिहास उसके स्वरूप में बदलाव सामने आने वाली चुनौतियों व भविष्य के न्यू मीडिया पत्रकारिता को अपनाने के लिए तैयारियों से अवगत कराने का रहा। कार्यक्रम संयोजक मैडम रचना कसाना की रूपरेखा रखी व मुख्य अतिथि का सभी छात्रों से परिचय करवाया।उन्होंने कहा कि आज के इस नए दौर में पत्रकारिता की शैली बड़ी तेजी से बदल रही है। न्यू मीडिया के इस बदलाव में पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों की संभालकर आगे बढ़ना होगा। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ सविता भगत ने अतिथि महोदय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आज सोशल मीडिया के आगमन से सूचनाओं का एक सैलाब हम सभी के आगे उमड़ रहा है। यह निर्णय कर पाना बड़ा ही कठिन है कि कौन सी खबर सत्य है,और किस हद तक सच्ची है। हमें इंफॉर्मेशन, मिस इंफॉर्मेशन व डीस इंफॉर्मेशन को बड़ी बारीकी से समझने की जरूरत है। मुख्य अतिथि श्री मुकेश वशिष्ठ ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय पत्रकारिता को समझने के लिए उसे अलग-अलग काल खंडों के रूप में देखना ज्यादा सही है। एक काल जो 1905 से पहले का था। जिसमें पत्रकारिता की प्रमुखता समाज में व्याप्त बुराइयों जैसे सती प्रथा, बाल विवाह,जैसी कुरीतियों से लड़ने की रही।1905 से 1947 तक के कालखंड की पत्रकारिता आजादी की लड़ाई के जन जागरण की रही। 1947 से 2003 तक की पत्रकारिता देश के विकास में समायोजन की रही। आज जो 2003 के बाद की पत्रकारिता
को आधुनिक पत्रकारिता कहा जा सकता है। बदलते दौर में पत्रकारों को पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों को सहेजना जरूरी है। इसलिए हमें हर समय अपडेट होना चाहिए। भारतीय पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास में जन-जागरण का महत्वपूर्ण स्थान है। इसलिए आज के दौर में भी जन-जागरण जरूरी है। पत्रकारों को अपने व समाज की भलाई के लिए पॉजिटिव खबरों को भी स्थान देना चाहिए। तभी पत्रकारिता लोकतंत्र का मजबूत स्तम्भ बन सकती है।

कार्यक्रम के अंत में सहायक प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह ने मुख्य अतिथि व उपस्थित लोगों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में कविता रानी, ममता शर्मा, डॉक्टर प्रिया कपूर आदि भी शामिल रही।

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