Today Express News / Report / Ajay Verma / अनुसंधान और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के प्रयासों को एक बड़ा प्रोत्साहन मिला है। विश्वविद्यालय को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने ‘एआईसीटीई डॉक्टोरल फेलोशिप (एडीएफ)’ योजना के तहत सीटें आवंटित की हैं। अकादमिक संस्थानों तथा उद्योगों के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देना और तकनीकी अनुसंधान के लिए प्रतिभाओं को पोषित करने के उद्देश्य से एआईसीटीई ने देशभर में 26 तकनीकी विश्वविद्यालयों को आवंटित कुल 300 सीटों आवंटित की है, जिसमें विश्वविद्यालय को सात सीटें मिली हैं। इस संबंध में जानकारी देते हुए कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने कहा कि इस योजना के तहत सीटों के आवंटन से तकनीकी अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे प्रयासों को बल मिलेगा। विश्वविद्यालय द्वारा शोध को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें रिसर्च प्रमोशन बोर्ड का गठन, अनुसंधान परियोजनाओं के लिए संकाय सदस्यों को सीड मनी देना, हाई-साइटेड इंडेक्स के शोध जर्नल में शोध पत्र प्रकाशन को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कार नीति, प्रमुख अनुसंधान प्रयोगशालाओं और उद्योगों के साथ समझौते तथा 6 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के उन्नत अनुसंधान उपकरणों की खरीद शामिल हैं। हाल ही में विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों के इनोवेटिव आइडिया तथा स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक इन्क्यूबेशन सेल की स्थापना की है।
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विश्वविद्यालय ने इनक्यूबेशन, स्टार्ट-अप और बौद्धिक संपदा अधिकारों को लेकर एक नीति बनाई गई है। प्रोफेसर दिनेश कुमार ने कहा कि ‘एआईसीटीई डॉक्टोरल फेलोशिप योजना से शोधार्थी प्रौद्योगिकी के उभरते हुए क्षेत्रों में गुणवत्ता और समाधान आधारित अनुसंधान करने के लिए समर्पित भाव से काम करने के लिए प्रेरित होंगे। योजना के अंतर्गत शोध के लिए जिन प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया गया है, उनमें ग्रीन टेक्नोलॉजी, बिग डेटा, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस, ब्लॉक चेन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एनर्जी प्रोडक्शन एंड स्टोरेज, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड फोटोनिक्स, न्यूक्लियर इंजीनियरिंग एंड एलाइड टेक्नोलॉजीज, रोबोटिक्स और मेक्ट्रोनिक्स, आॅगमेंटिड रियलिटी व वर्चुअल रियलिटी, एनर्जी एफिशियेंसी, रिन्यूएबल व सस्टेनेबल एनर्जी, इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड मोबिलिटी, स्मार्ट सिटीज, हाउसिंग एंड ट्रांसपोर्टेशन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 3डी प्रिंटिंग, क्वांटम कम्प्यूटिंग, कृषि तथा खाद्य उद्योग के लिए स्मार्ट टेक्नोलॉजी, जल शोधन, संरक्षण और प्रबंधन, पब्लिक पोलिसी, सामाजिक और संगठनात्मक मनोविज्ञान और व्यवहार और साइबर सिक्योरिटी जैसे उभरते तकनीक के क्षेत्र शामिल हैं। योजना के अंतर्गत चिह्नित क्षेत्रों में शोध के लिए विश्वविद्यालय द्वारा दाखिल शोधकर्ताओं को तीन साल की अवधि के लिए फेलोशिप प्रदान की जाएगी, जिनका कार्यकाल प्रदर्शन के आधार पर विश्वविद्यालय की सिफारिश पर एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। शोध कार्य के लिए चयनीत शोधार्थी को पहले दो वर्षों के लिए 31,000 रुपये प्रति माह और तीसरे वर्ष के लिए 35,000 रुपये प्रति माह की फेलोशिप, सरकार के मानदंडों के अनुसार हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) और आकस्मिक खर्चों के लिए 15,000 रुपये प्रति वर्ष अनुदान के रूप में मिलेंगे। फेलोशिप के तहत चयनित रिसर्च स्कॉलर के लिए चयन के एक वर्ष के भीतर पीएचडी में पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा। यदि कोई उम्मीदवार एक वर्ष तक पीएचडी में पंजीकरण करवाने में विफल रहता है तो तो पीएचडी के लिए पंजीकरण होने तक फेलोशिप बंद कर दी जायेगी। फेलोशिप के लिए निर्धारित पात्रता मानदंड के अनुसार, उम्मीदवार की आयु 30 वर्ष से कम होनी चाहिए। वह स्नातक और परास्नातक दोनों परीक्षाओं में 7.5 सीजीपीए (10 स्केल सीजीपीए) अथवा न्यूनतम 75 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए तथा विगत 5 वर्षों के दौरान उसने गेट, जीपीएटी या नेट उत्तीर्ण किया होना चाहिए। अनुसूचित जाति व जनजाति, महिलाओं और दिव्यांगजनों के लिए आयु में पांच वर्ष की छूट होगी। इसी तरह, अनुसूचित जाति व जनजाति और दिव्यांगजनों के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यता में भी पांच प्रतिशत की छूट मिलेगी। योजना के तहत, शोधार्थी को 15 दिनों का आकस्मिक अवकाश, 30 दिनों का चिकित्सा अवकाश और सरकारी मानदंडों के अनुसार मातृत्व या पितृत्व अवकाश दिया जायेगा। इसके अलावा, शोधार्थी को एक सप्ताह में 8 घंटे तक शैक्षणिक कार्यों का निवर्हन भी करेगा।