खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से फर्टिलिटी पर पड़ सकता है असर- डॉ. चंचल शर्मा

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टुडे एक्सप्रेस न्यूज़।  रिपोर्ट अजय वर्मा। आजकल की अनियमित जीवनशैली के कारण ज्यादातर लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्ट्रेस, गलत खानपान, जंक फूड के कारण लोगों में बैड कोलेस्ट्रॉल बड़ता जा रहा है। अक्सर हम सुनते हैं कि कोलेस्ट्रॉल हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। हमारे शरीर में दो प्रकार के कोलेस्ट्रॉल पाए जाते हैं: गुड कोलेस्ट्रॉल और बुरा कोलेस्ट्रॉल। बैड कोलेस्ट्रॉल हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होता है।

वहीं दूसरी तरफ गुड कोलेस्ट्रॉल सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसलिए हमारे शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होनी चाहिए। परंतु क्या खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से फर्टिलिटी पर असर पड़ सकता है? इसे जानने के लिए आशा आयुर्वेदा की सीनियर फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. चंचल शर्मा बताती है कि पहले हमें जानेगे कि गुड कोलेस्ट्रॉल क्या है और शरीर में काम कैसे करता है। एचडीएल यानी हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन, जिसे अच्छा कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता हैं। यह आपकी रक्त वाहिकाओं में अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल और प्लेग को कम करता है। यह उन्हें रक्त वाहिकाओं से निकालकर लिवर तक ले जाता है, जिसके बाद एक्सक्रीशन के माध्यम से उन्हें बाहर निकाल दिया जाता है। यह बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद करता है।

डॉ. चंचल कहती है कि अब जानते है कि एचडीएल कम होने से फर्टिलिटी पर कैसे असर पड़ता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, एचडीएल की कमी के कारण प्रजनन आयु की पाँच में से एक महिला एक वर्ष तक प्रयास करने के बाद भी गर्भधारण नहीं कर पाती है। “हम जानते हैं कि अंडाशय एचडीएल के रिसेप्टर्स से भरे होते हैं, इसलिए एचडीएल के चयापचय को उस कारण से प्रजनन क्षमता में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी पड़ती है।”
ह्यूस्टन मेथोडिस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक “एचडीएल और एलडीएल दोनों में फ्री और एस्टेरिफाइड कोलेस्ट्रॉल का मिश्रण होता है, और फ्री कोलेस्ट्रॉल कई ऊतकों के लिए विषाक्त माना जाता है। इसलिए एचडीएल में कोई भी गड़बड़ी कई बीमारियों के लिए जोखिम कारक भी हो सकती है।

“कोलेस्ट्रॉल सभी स्टेरायडल हार्मोन की रीढ़ है, और एक फर्टाइल महिला के लिए हार्मोन के एक ऑर्केस्ट्रा की जरुरत होती है। एक्सपर्ट का मानना है की अंडाशय एचडीएल के रिसेप्टर्स से भरे होते हैं, इसलिए प्रजनन क्षमता में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है। इसका मतलब अगर एक महिला के शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है तो कंसीव करने में दिक्कत आती है।

इसके अलावा डॉ. चंचल कहती है कि यह पुरुषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए जिम्मेदार होता है। वहीं यह महिलाओं में सेक्सुअल परफोर्मेंस को यह प्रभावित करता है। इसके कारण कामेच्छा कम हो सकती है। साथ ही खराब कोलेस्ट्रॉल के कारण यौन क्रिया के समय जब ब्लड फ्लो आसानी से नहीं हो पाता है, तो जननांगों में ब्लड वेसल्स का फैलाव आसानी से नहीं हो पाता हैं। नतीजतन योनि पर्याप्त रूप से लुब्रिकेट नहीं हो पाती है। इससे सेक्स पेनफुल हो सकता है।

डॉ. चंचल कहती है कि आयुर्वेद में औषधियों और पंचकर्मा पद्धति के माध्यम से खराब कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और नेचुरल तरीके से प्रेगनेंसी होना संभव है। स्‍वस्‍थ जीवनशैली और पौष्टिक आहार के साथ खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाया जा सकता है, जिससे कार्यों में सुधार होता है। आयुर्वेद में कहा जाता है कि एक परिवार शुरू करने के लिए सबसे जरूरी चीज है कि आप शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से मजबूत हों। अगर आपका शरीर और जीवनशैली स्वस्थ है और आप पौष्टिक भोजन करती हैं तो गर्भधारण की संभावना हो सकती है। जिस तरह एलोपैथी विज्ञान में आईवीएफ एक तरीका है, उसी तरह आयुर्वेद में भी प्राकृतिक इलाज संभव है।

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