टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ । रिपोर्ट अजय वर्मा । “हरियाणा में डीएवाई-एनआरएलएम के तहत ग्रामीण महिलाओं का उद्यमिता विकास” विषय पर सफल चर्चा के लिए दिल्ली-एनसीआर में प्रमुख शिक्षाविद् और शैक्षणिक संस्थान एक मंच पर एकजुट हुए। मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (एमआरआईआईआरएस) ने आईसीएसएसआर के साथ साझेदारी करते हुए इस कार्यशाला का समन्वय किया। माइक्रोफाइनेंसिंग विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के बीच, गरीबी उन्मूलन और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए एक बेहतरीन साधन के तौर पर उभरी है । डीएवाई-एनआरएलएम योजना, एसएचजी के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं के बीच स्व-रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देने पर जोर देने के साथ ही उद्यमशीलता विकास पर माइक्रोफाइनेंसिंग के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एक अनूठा संबंध प्रदान करती है।
इस कार्यशाला में शोध परिणामों के प्रसार, चर्चाओं के प्रोत्साहन और संभावित नीतिगत पहलुओं की पहचान करके शिक्षा और नीति निर्माण के बीच अंतर को पाटने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया। कार्यशाला का उद्देश्य हरियाणा में दीन दयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं के उद्यमशीलता विकास पर माइक्रोफाइनेंसिंग के प्रभाव, विशेष रूप से स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) पर जुटाए गए व्यवहारिक शोध के निष्कर्षों को पेश करना और इनपर चर्चा करना रहा।
मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च में आयोजित हुए कार्यक्रम में, हरियाणा में डीएवाई-एनआरएलएम योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं के बीच उद्यमिता विकास से संबंधित प्रमुख विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। ये चर्चा डीएवाई-एनआरएलएम योजना की प्रासंगिकता, दक्षता, प्रभावशीलता, परिणाम, प्रभाव, स्थिरता, चुनौतियां व कार्य पद्धति की सिफारिशों पर आधारित रही।
कार्यशाला की शुरुआत परियोजना समन्वयक- डॉ. नंदिनी श्रीवास्तव और परियोजना निदेशक- डॉ. रश्मि सिंगल ने की। उन्होंने महिला उद्यमियों के लिए योजना के महत्व और इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला, जिससे कि वे ना केवल अपने लिए आजीविका के साधन चुन सकें, बल्कि भविष्य में भी उन्हें बनाए रखें। इसके बाद परियोजना निदेशक डॉ. वंदना गंभीर और डॉ. ऋचा नांगिया ने रिपोर्ट के परिणामों पर एक प्रेजेंटेशन पेश करते हुए चर्चा की।
एमआरईआई के महानिदेशक डॉ. एन.सी. वाधवा ने उपस्थित विभिन्न स्वयं सहायता समूहों की सभी महिलाओं का स्वागत किया। उन्होंने अपने अधिकारों के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं द्वारा किए गए संघर्ष के महत्व पर प्रकाश डाला। साथ ही इन अधिकारों के अभाव में उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूक किया। उन्होंने संसद में महिला साक्षरता और महिलाओं के लिए आरक्षण कानून पर बात की। उन्होंने अनुसंधान परियोजना को समर्थन देने के लिए आईसीएसएसआर के प्रति आभार जताया, जोकि महिलाओं के कार्यान्वयन और उपलब्धियों पर प्रकाश डालेगा।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहे आईपीएस डॉ. राजश्री सिंह (आईजी/प्रशिक्षण हरियाणा पुलिस अकादमी, मधुबन, करनाल, हरियाणा) ने अपने मुख्य भाषण में सामाजिक भेदभावों को तोड़ने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ने वाली महिला उद्यमियों के साहस की सराहना की। उन्होंने महिलाओं को खुद को प्राथमिकता देने और सामुदायिक उत्थान के लिए अन्य महिलाओं का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय स्वतंत्रता और महिलाओं को शिक्षित करने के महत्व पर भी जोर दिया।
विशिष्ट अतिथि के तौर पर भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा प्रतिष्ठित नारी शक्ति पुरस्कार-2021 से सम्मानित और क्षितिज स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष पूजा शर्मा को आमंत्रित किया गया था। उन्होंने एसएचजी के सदस्य और अध्यक्ष के रूप में अपने अनुभव के बारे में बताते हुए एसजीएच में उपलब्ध सामुदायिक सहायता, प्रशिक्षण सुविधाओं और वित्तीय सहायता की शक्तियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं को बधाई देते हुए एक गृहिणी से लेकर अपने एसएचजी, क्षितिज के अध्यक्ष तक की यात्रा को साझा करते हुए बताया कि कैसे खेती और पशुपालन में उनके प्रशिक्षण ने उन्हें अपने लक्ष्य हासिल करने और परिवार का समर्थन करने में मदद की। उन्होंने एसएचजी में काम करने वाली महिलाओं के प्रयासों और सरकार की डीएवाई-एनआरएलएम जैसी योजनाओं से उन्हें मिलने वाले सहयोग पर प्रकाश डालते हुए महिलाओं के लिए उद्यमिता और वित्तीय स्वतंत्रता के बारे में बताया।
इसके बाद ओपी भल्ला फाउंडेशन, एमआरआईआईआरएस की ओर से सम्मान समारोह हुए जिसमें नारी उद्यमी सम्मान पुरस्कार (एसएचजी के अनुकरणीय प्रदर्शन करने वालों का सम्मान) के प्राप्तकर्ताओं का अभिनंदन किया गया।
एमआरआईआईआरएस के उपकुलपति प्रोफेसर (डॉ.) संजय श्रीवास्तव ने सामाजिक न्याय की स्थापना में महिला नेतृत्व वाले व्यवसायों का समर्थन करने की भूमिका पर विचार रखे। संबोधन में उन्होंने पश्चिमी केस-स्टडीज़ के बजाय, नीति निर्माताओं के लिए भविष्यगामी योजनाएं बनाने के लिए भारतीय शोध आधारित साक्ष्य की उपयोगिता पर चर्चा की। उन्होंने उपस्थित महिलाओं को भी बधाई दी और उनकी सफलता में मदद करने के लिए अपने परिवारों, समुदायों और सरकार से मिले समर्थन की सराहना की। उन्होंने इन एसएचजी को सफल और कुशल बनाने वाली टीमों का आभार जताया।
कार्यशाला के समापन पर एक विशेष इंटरैक्टिव सत्र “अपनी कहानी-अपनी ज़ुबानी” आयोजित किया गया इसमें डीएवाई-एनआरएलएम योजना की रिसर्च स्टडी में भागीदार ग्रामीण महिला उद्यमियों ने अपने अनुभव और चुनौतियों को साझा किया। कार्यशाला ने डीएवाई-एनआरएलएम योजना के विभिन्न कारकों पर एक शोध भी रिपोर्ट तैयार की।