Today Express News / Ajay verma / स्वास्थ्य डेस्क । आज के समय में गर्दन दर्द की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। आधुनिक दौर के समय में गर्दन दर्द और अकड़न से बचें रहना आसान नहीं है। घंटों तक कम्प्यूटर पर काम करना और हर समय स्मार्टफोन की ओर झुकी हुई गर्दन रहने के साथ – साथ और भी कई आदतें हैं, जिनका ध्यान रखना जरूरी है। यह समस्या दिन-प्रतिदिन काफी तेज़ी से बढ़ रही है, जो काफी चिंता का विषय है। आमतौर पर, ऐसा माना जाता है कि गर्दन में दर्द जैसी समस्याएं उम्रदराज़ लोगों में देखने को मिलती है, लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार गर्दन दर्द से पीड़ित लगभग 20 प्रतिशत लोग 16-34 साल के हैं।
गर्दन में दर्द के लक्षण क्या हैं?
किसी भी अन्य बीमारी की तरह गर्दन में दर्द के भी अपने कुछ लक्षण होते हैं, जो इसकी शुरूआत के संकेत देते है। यदि किसी व्यक्ति को यह लक्षण नज़र आए, तो उसे तुरंत भौतिक चिकित्सक की सहायता लेनी चाहिए-
1. सिर को एक मुद्रा में काफी देर रखने पर दर्द होना– गर्दन में दर्द होने का प्रमुख लक्षण सिर को एक मुद्रा या दिशा में काफी देर तर रखने पर दर्द होना है।ऐसी स्थिति में लोगों को सिर को सीधा करने में दूसरे लोगों की मदद लेनी पड़ती है।
2. सिरदर्द होना व चक्कर आना- गर्दन दर्द का अन्य लक्षण सिरदर्द होना है।आमतौर पर, सिरदर्द काफी सारे कारणों से हो सकता है, जिसकी वजह से लोगों के लिए यह समझना की यह गर्दन दर्द की वजह से भी हो सकता है, थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
3. सिर हिलाने में परेशानी होना- यदि किसी व्यक्ति को सिर या गर्दन को हिलाने में परेशानी हो, तो उसे इसे गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि यह गर्दन में दर्द का लक्षण हो सकता है।
4. मांसपेशियों में अकड़न होना- इस समस्या का अन्य लक्षण मांसपेशियों में अकड़न होना है।ऐसी स्थिति में लोगों को गर्दन में दर्द होता है, जिसके लिए उन्हें अक्सर दर्द-निवारक दवाइयों या डॉक्टर से मिलने की जरूरत पड़ सकती है।
5. गर्दन में गांठ बनना- गर्दन में गांठ होना भी गर्दन में दर्द का संकेत हो सकता है, जिसे किसी भी व्यक्ति को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए और इलाज लेना चाहिए।
गर्दन में दर्द किन कारणों से होता है?
जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि गर्दन में दर्द काफी आम समस्या बन गई है। यह समस्या काफी सारे कारणों से हो सकती है, इसलिए इसके सटीक कारणों का पता लगाना काफी मुश्किल होता है।इसके बावजूद, गर्दन में दर्द पर किए गए अध्ययनों से स्पष्ट है कि निम्नलिखित कारणों से यह समस्या हो सकती है-
• गर्दन को गलत मुद्रा में रखना- गर्दन में दर्द का प्रमुख कारण गर्दन को गलत मुद्रा में रखना है।ऐसा मुख्य रूप से मोबाइल फोन, लैपटॉप, लेटने, खाने इत्यादि की स्थितियों में होता है।
• गलत तरीके से सोना- यदि कोई व्यक्ति गलत तरीके में सोता है, तो उसे गर्दन में दर्द की समस्या होने की संभावना काफी ज्यादा रहती है।
• चोट लगना– अक्सर, चोट लगना भी गर्दन दर्द की वजह बन सकता है।ऐसा मुख्य रूप से स्पोर्ट्स इंजरी या फिर अन्य गतिविधियों को करते समय चोट लगने पर होता है।
• हड्डियों का कमज़ोर होना- यदि किसी शख्स के शरीर की हड्डियाँ काफी कमज़ोर हैं, तो उसे गर्दन में दर्द जैसी समस्या हो सकती है।
• किसी तरह की बीमारी से पीड़ित होना- कई बार, अर्थराइटिस जैसी बीमारियाँ भी गर्दन में दर्द का कारण बन सकती हैं। ऐसी स्थिति में गर्दन दर्द से पीड़ित लोगों को अपना इलाज सही तरीके से कराना चाहिए ताकि उन्हें किसी और समस्याओं से न गुजरना पड़े।
फिजियोथेरिपिस्ट डॉ जितेंद्र सिंगला के अनुसार गर्दन का दर्द कई बार इतना तेज होता है कि कोई भी काम करना मुश्किल हो जाता है। गर्दन में दर्द और अकड़न की यह समस्या गर्दन की हड्डी से लेकर कंधे से होते हुए पूरे हाथ तक फैल जाता है। अकसर यह दर्द अचानक होता है। मसलन, सुबह सोकर उठे और अचानक लगने लगा कि गर्दन की हड्डी अकड़ गयी है। गर्दन को किसी भी दिशा में मोड़ना मुश्किल हो जाता है। तेज दर्द होता है और हाथ से दबाने पर गर्दन के आसपास का हिस्सा कड़ा लगता है। यूं तो सर्वाइकल व स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या चालीस साल के बाद होती है, पर उठने-बैठने के गलत तरीकों के कारण अब युवा भी शिकार हो रहे हैं। इस दर्द को मैकेनिकल पेन भी कहा जाता है।
सर्दियों के दिनों बढ़ जाते हैं दर्द के मामले
हालांकि कारण स्पष्ट नहीं है, पर सर्दियों के दिनों में गर्दन व कंधे के दर्द के मामले ज्यादा सामने आते हैं। वातावरण में नमी बढ़ने से बैरोमेट्रिक प्रेशर गिरने लगता है। इसका असर जोड़ों के तरल पदार्थों पर पड़ सकता है। शरीर पर थोड़ा सा तनाव का बढ़ना इसे अकड़न और दर्द के प्रति संवेदनशील बना देता है। लिगामेंट्स, टेंडन और मांसपेशियों का दर्द बढ़ सकता है। खून गाढ़ा होने के कारण भी मांसपेशियों पर जोर पड़ता है, जो दर्द को बढ़ा सकता है।
सिकाई से भी मिलता है आराम
घरेलू उपचार के तौर पर बर्फ की सिकाई से भी आराम मिलता है। बर्फ के टुकड़ों को कपड़े में बांधकर दर्द वाली जगह पर सिकाई करें। इससे सूजन और दर्द दोनों में राहत मिलती है। कुछ मामलों में मालिश और गर्म सिकाई से भी फायदा मिलता है। सरसों, तिल या जैतून के गुनगुने तेल से मालिश करें। मालिश करते समय हाथों को गर्दन से कंधे की ओर ले जाएं। मालिश के बाद गरम पानी की थैली से सिकाई करें। इसके बाद गर्दन के आसपास कोई कपड़ा लपेट लें। गर्म सिकाई के बाद ठंडी वस्तुओं का सेवन कम करें।
दिखावों पर ना जाएं
बाजार में ढेरों ऐसे उपकरण मसलन नेक मसाजर आदि मिलते हैं, जो दर्द में राहत देने का दावा करते हैं। पर इसका मतलब ये नहीं कि आप कुछ भी खरीदते रहें। आराम मिलेगा ही, इसकी कोई गारंटी नहीं है। बेहतर है कि उपकरण डॉक्टर की सलाह से लें। स्थायी इलाज फिजियोथेरेपी और नियमित व्यायाम ही है।
संपर्क करें फिजियोथेरेपिस्ट से
गर्दन के दर्द में फिजियोथेरेपी से भी राहत मिलती है। दर्द तेज है तो खुद से घर में व्यायाम न करें। गलत व्यायाम करने पर दर्द बढ़ भी सकता है। फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर जितेंद्र सिंगला के अनुसार तेज दर्द में सबसे पहले मांसपेशियों और नसों को पर्याप्त आराम की जरूरत होती है। शुरू में डॉक्टर टेंस, अल्ट्रासॉनिक और सामान्य स्ट्रेचिंग से राहत देते हैं। इसके अलावा भोजन में कैल्शियम युक्त चीजें मसलन दूध, दही, अंडा आदि शामिल करना चाहिए। सोते समय गर्दन और रीढ़ की हड्डी सीधी रखनी चाहिए। बहुत ऊंचे तकिए का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कई बार खास सर्वाइकल पिलो का इस्तेमाल भी किया जाता है। सोते समय हाथ के नीचे तकिया या कुशन रखना सही रहता है। कुछ के लिए सर्वाइकल कोलर पहनना जरूरी होता है।