दंगल से कटहल तक: महिलाओं को सशक्त बनाने की सान्या मल्होत्रा की बेमिसाल और सराहनीय यात्रा।

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टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ । रिपोर्ट मोक्ष वर्मा । ट्रेलब्लेजर सान्या मल्होत्रा भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन गई हैं। किरदारों और फिल्मों के चयन के साथ वह अक्सर स्टीरियोटाइप को तोड़ती हैं, महिलाओं को सही रोशनी में चित्रित करती है और युवा लड़कियों की आवाज़ को भी उठाती हैं। आईये फिल्मों में सान्या की असाधरण यात्रा के बारे में जानें और समझें कि कैसे उन्होंने सिनेमा के परिदृश्य को बदल दिया है और दर्शकों को प्रेरित और सशक्त बनाया है।

अपनी पहली फ़िल्म दंगल से जहां उन्होंने स्टीरियोटाइप को तोड़ने वाली एक पहलवान की भूमिका निभाई से लेकर बहनों के बीच की तकरार को दिखाने वाली पटाखा तक सान्या ने ऐसी भूमिकाएं चुनी हैं, जो सामाजिक मापदंडों को चुनौती देती है और स्क्रीन पर महिलाओं के चित्रण को फिर से परिभाषित करती है। फ़िल्म पगलैट में उन्होंने शोक और टूटी हुई समाजिक अपेक्षाओं को पार किया जबकि मीनाक्षी सुंदरेश्वर में उन्होंने एक युवा महिला की ताकत का प्रदर्शन किया, जो एक अरेंज मैरिज की चुनौतियों का सामना कर रही है। अपनी हालिया फ़िल्म कटहल में सान्या ने निडर होकर एक महिला पुलिसकर्मी की भूमिका निभाई, जो एक हाई-प्रोफाइल कटहल मामले के बीच झूलती रहती है और साथ ही एक लापता लड़की के मामले की जांच भी करती है।

सान्या मल्होत्रा की फिल्मोग्राफी उनके काम के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने की उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। महिलाओं की ताकत का जश्न मनाने के निरंतर प्रयास में वह इंडस्ट्री में बदलाव के लिए उत्प्रेरक बन गई हैं। सान्या के फैंस अब उन्हें जवान में शाहरुख खान और सैम बहादुर में विक्की कौशल के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर करते देखने के लिए इंतज़ार नहीं कर सकते। उनके पास द ग्रेट इंडियन किचन की हिंदी रिमेक मिसेज भी पाइपलाइन में है।

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