फरीदाबाद जिले में पहली बार लिवर और किडनी का एक साथ सफल ट्रांसप्लांट , दोनों ऑर्गन के ट्रांसप्लांट करने में डॉक्टरों को ऑपरेशन थिएटर में 15 घंटे का समय लगा

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For the first time in Faridabad district, simultaneous successful transplant of liver and kidney, it took doctors 15 hours in the operation theater to transplant both the organs.

टुडे एक्सप्रेस न्यूज। रिपोर्ट अजय वर्मा । फरीदाबाद: जनवरी 21, 2025: फरीदाबाद जिले का यह पहला मामला है जब एक मरीज के लिवर और किडनी का एक साथ ट्रांसप्लांट सफल हुआ है। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में लिवर ट्रांसप्लांट एंड एचपीबी, नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी एवं किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के डॉक्टरों की टीम ने मिलकर गहन अनुभव एवं चिकित्सीय कौशल से यह कारनामा कर दिखाया है। मरीज अब पूरी तरह ठीक है। इसलिए उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। नई जिंदगी मिलने पर मरीज एवं उसके परिजन ने मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स के लिवर एवं किडनी ट्रांसप्लांट टीम का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया।

डॉ. पुनीत सिंगला, प्रोग्राम क्लीनिकल डायरेक्टर एवं एचओडी- लिवर ट्रांसप्लांट एंड एचपीबी, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने बताया कि हमारे पास इथोपिया से 44 वर्षीय बाहेरू सादिके नासिर अंतरराष्ट्रीय मरीज आया जिसका लिवर और किडनी दोनों खराब थे। लिवर हेपेटाइटिस बी के कारण खराब हो गया था। मसल मास यानि शरीर में मौजूद नरम मांसपेशियों की मात्रा कम थी और मरीज का वजन भी कम था। वह लगभग एक साल से बीमार था। व्यक्ति के शरीर का एक महत्वपूर्ण ऑर्गन फेल हो जाने पर ही काफी परेशानी होती है। लेकिन इस मरीज के शरीर के दो महत्वपूर्ण अंग फेल हो गए थे तो दिक्कत कई गुणा बढ़ गई थी इसलिए मरीज के लिवर ट्रांसप्लांट करने के साथ किडनी का भी ट्रांसप्लांट करना जरूरी था। मरीज और दो अलग-अलग डोनर की फिटनेस टेस्ट करने के बाद लिवर ट्रांसप्लांट एंड एचपीबी, नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों की टीम ने दोनों ऑपरेशन एक साथ करने का निर्णय लिया। मरीज की जान बचाने के लिए उसके एक भाई ने अपना लिवर डोनेट किया और दूसरे भाई ने किडनी डोनेट की। डॉक्टरों की टीम ने लगातार 15 घंटे तक ऑपरेशन करके लिवर और एक किडनी ट्रांसप्लांट करने में सफलता हासिल की। मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है और उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है।

डॉ. श्रीराम काबरा प्रोग्राम क्लीनिकल डायरेक्टर-नेफ्रोलॉजी एवं किडनी ट्रांसप्लांट मेडिसिन, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा कि यह केस काफी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि इसमें मरीज के एक साथ दो ऑर्गन की सर्जरी की गई थीं। ऐसे केस में सामान्य मरीज की तुलना में जटिलताएँ भी हमेशा ज्यादा होती हैं। नार्मल लिवर ट्रांसप्लांट करने में 10-12 घंटे का समय लगता है लेकिन इस केस में एक मरीज में लिवर और किडनी दोनों अंगों का ट्रांसप्लांट करने में 15 घंटे का समय लगा। मरीज को एक ट्रांसप्लांट के बाद ही सामान्य करना चुनौतीपूर्ण होता है। दो ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की केयर ज्यादा करनी पड़ती है। किडनी और लिवर दोनों अंग ठीक से कार्य करें, इन्फेक्शन न हो, इन सारी चीजों का अच्छे से ध्यान रखना पड़ता है। इम्यूनोसप्रेशन का नियंत्रण भी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि ऐसे मामलों में संक्रमण का जोखिम बहुत अधिक होता है। ट्रांसप्लांट के बाद रिजेक्शन भी एक चुनौती है, क्योंकि हम इम्यूनोसप्रेशन की पूरी खुराक नहीं दे सकते।

डॉ. राजीव सूद, चेयरमैन-यूरोलॉजी, रोबोटिक्स एवं किडनी ट्रांसप्लांट, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा कि एक अंग के प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) की तुलना में लिवर एवं किडनी दोनों अंगों का एक साथ प्रत्यारोपण तुलनात्मक रूप से दुर्लभ है। यह क्षेत्र और केंद्र के आधार पर, विश्व भर में किए जाने वाले सभी लिवर प्रत्यारोपणों का लगभग 3-7% है। लिवर एवं किडनी का एक साथ प्रत्यारोपण (सीएलकेटी) एक जटिल सर्जिकल प्रक्रिया है, जो तब की जाती है जब लिवर और गुर्दे दोनों खराब हो जाते हैं और दोनों अंगों का प्रत्यारोपण आवश्यक हो जाता है।

भारत में लिवर एवं किडनी का एक साथ प्रत्यारोपण (सीएलकेटी) दुर्लभ है। तेलंगाना राज्य में अंग दान और प्रत्यारोपण पर नज़र रखने वाली जीवनदान पहल के अनुसार, 1 जनवरी, 2013 से 10 सितंबर, 2024 तक केवल 17 ऐसी प्रक्रियाएं की गई हैं।

इसमें कई चुनौतियां शामिल हैं जैसे लिवर एवं किडनी का एक साथ प्रत्यारोपण (सीएलकेटी) के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों की पहचान करना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इसके लिए मरीजों को लिवर और गुर्दा प्रत्यारोपण दोनों के मानदंडों को पूरा करना आवश्यक है। पॉलीसिस्टिक किडनी रोग, हैपेटॉरेनल सिंड्रोम या मेटाबोलिज्म संबंधी विकार जैसी पुरानी बीमारियाँ निर्णय लेने की प्रक्रिया को जटिल बना सकती हैं। रोगियों में अक्सर कई चिकित्सा समस्याएं होती हैं जो सर्जिकल जोखिम को बढ़ा सकती हैं। लिवर और गुर्दा प्रत्यारोपण दोनों के लिए उपयुक्त डोनर ढूंढना कठिन हो सकता है। लिवर और किडनी में से किस अंग का ट्रांसप्लांट पहले किया जाये, इसे लेकर भी संतुलन बनाना जटिल है, क्योंकि लिवर फेलियर अक्सर जीवन के लिए खतरा बन जाती है और इसे प्राथमिकता दी जा सकती है। दो अलग-अलग डोनर से लिए गए दोनों अंगों का मरीज के ब्लड के प्रकार और शारीरिक विशेषताओं से मेल खाना आवश्यक है, जिससे मिलान प्रक्रिया जटिल हो जाती है।

सर्जिकल चुनौतियाँ- इस प्रक्रिया में क्रमिक रूप से की जाने वाली दो बड़ी सर्जरी शामिल हैं, जिसके लिए अत्यधिक कुशल सर्जिकल टीम और लंबे समय तक ऑपरेशन की आवश्यकता होती है। लिवर प्रत्यारोपण में बहुत अधिक ब्लीडिंग होती है, जो किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी को जटिल बना सकता है। लिवर प्रत्यारोपण पूरा होने के बाद विशेष रूप से गुर्दे के लिए रक्त वाहिकाओं को सही तरीके से जोड़ना बहुत जरूरी है। एक अंग के अस्वीकार होने और दूसरे के कार्यात्मक बने रहने का जोखिम अधिक होता है। इसलिए लिवर एवं किडनी का एक साथ प्रत्यारोपण (सीएलकेटी) के बाद दोनों प्रत्यारोपित अंगों की अस्वीकृति या संक्रमण के संकेतों की बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए।

कुछ जटिलताएँ भी आ सकती हैं जैसे लंबे समय तक इम्यून सिस्टम के कमजोर रहने के कारण मरीजों को संक्रमण का उच्च जोखिम होता है। विशेष रूप से हैपेटॉरेनल सिंड्रोम या पहले से मौजूद किडनी की चोट के मामले में किडनी प्रत्यारोपण तुरंत सफल नहीं हो सकता है। लिवर की पित्त नलिकाओं में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे आगे चलकर जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं। मरीजों को ठीक होने में लंबा समय लगता है, जिसके लिए अधिक देखभाल एवं मदद की आवश्यकता होती है। लिवर एवं किडनी के एक साथ प्रत्यारोपण (सीएलकेटी) के लिए हेपेटोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट, ट्रांसप्लांट सर्जन और गहन देखभाल विशेषज्ञों सहित एक मल्टीडिसीप्लिनरी टीम की आवश्यकता होती है, जो सभी केंद्रों पर उपलब्ध नहीं हो सकती है।

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