TODAY EXPRESS NEWS FARIDABAD : न्यायिक सुधार संघर्ष समिति सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपक मिश्रा के फरीदाबाद आगमन पर उन्हें न्यायपालिका में सुधार के लिए ज्ञापन देगी। यह जानकारी देते हुए समिति के अध्यक्ष एवं जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट एल.एन. पाराशर ने बताया कि न्यायपालिका में सुधार को लेकर वे पिछले माह जंतर-मंतर पर भी विशाल प्रदर्शन कर चुके हैं। उनके द्वारा उठाई गई मांगों को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा ज्ञापन स्वीकार करके न्यायपालिका की विसंगतियों को दूर करने का भरोसा भी दिया गया, लेकिन अभी भी जमीनी स्तर पर कोई मजबूत शुरूआत न होने के कारण वे अपनी इस लड़ाई को जारी रखे हुए हैं।
एडवोकेट एल.एन. पाराशर ने कहा कि दिनांक 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपक मिश्रा फरीदाबाद के कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए आ रहे हैं। इस मौके पर समिति के पदाधिकारियों द्वारा उन्हें एक ज्ञापन भेंट करके मांग की जाएगी कि न्यायपालिका में सुधार के लिए एवं भ्रष्टाचार मिटाने के लिए तुरंत प्रभाव से कदम उठाए जाएं। नये जजों की नियुक्तियां एक माह में की जाएं। जिससे जजों की कमी से जूझ रही न्यायपालिका राहत की सांस ले सकें। इसके अलावा न्यायालयों में न्याय के लिए तारीख पर तारीख ले रहे लोगों को भी राहत मिल सके। एक निश्चित समय सीमा के अंदर मुकदमों को निपटाया जाए। ईमानदार जजों को प्रमोशन दी जाए एवं भ्रष्ट जजों की जांच के लिए आयोग बनाया जाए। इसके अलावा जो जज आयोग की जांच में दोषी पाए जाएं उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही के प्रावधान किए जाएं।
श्री पाराशर ने यह भी कहा कि न्यायपालिका में यौन उत्पीडऩ की घटनाएं समाज के ऊपर बहुत बड़ा धब्बा हैं। इस तरह के मामलों में तुरंत मुकदमा दर्ज करके चरित्रहीन जजों के खिलाफ एक माह में जांच पूर्ण करके उन्हें बर्खास्त करने का प्रावधान किया जाना चाहिए। फरीदाबाद के एक जज पर भी रेवाड़ी में कार्यरत रहने के दौरान यौन उत्पीडऩ के आरोप लगे लेकिन हाईकोर्ट के जजों के दबाव में उस मामले को दबा दिया गया। इसके अलावा फरीदाबाद कोर्ट के एक जज के खिलाफ एक महिला ने बलात्कार की शिकायत पुलिस कमिश्नर को भेजी जिसमें आज तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया जो कि काफी शर्मनाक है। ऐसे पुराने मामलों को भी उजागर किया जाए और निष्पक्ष जांच की जाए। इसके अलावा युवा वकीलों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रेक्टिस के दौरान 10 हजार रुपए प्रति माह सम्मान भत्ते का प्रावधान किया जाए। न्यायालयों में कार्यरत सभी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को शोषण बंद किया जाए। इन्हीं सब मांगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश को ज्ञापन दिया जाएगा और मांग की जाएगी कि इन मुद्दों पर तुरंत प्रभाव से कार्यवाही की जाए।