फरीदाबाद, 16 मार्च – वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा हरियाणा स्वर्ण जयंती वर्षोत्सव उपलक्ष्य में ‘मैकेनिकल इंजीनियरिंग में रुझान व उन्नति’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज प्रारंभ हो गया। सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों से 100 से ज्यादा प्रतिभागी हिस्सा ले रहे है।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अमेरिकन सोसाइटी ऑफ हीटिंग, रेफ्रिजरेटिंग एवं एयर कंडिशनिंग इंजीनियर्स (इंडियन चैप्टर) के अध्यक्ष व लॉयड इंसुलेशन्स के उपाध्यक्ष श्री के. के. मित्रा मुख्य अतिथि रहे। सम्मेलन की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की। सम्मेलन के अन्य विशिष्ट अतिथियों में भारतीय तेल निगम, फरीदाबाद के उप महाप्रबंधक डॉ. कानन सी., आईआईटी, दिल्ली से प्रो. पी.एम. पांडेय तथा डीईई पाइपिंग सिस्टम इंडस्ट्रीज, पृथला से डीडीएन वर्मा शामिल थे। इस अवसर पर संकायाध्यक्ष डॉ. संदीप ग्रोवर तथा डॉ. सी. के. नागपाल भी उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. राजीव साहा व डॉ. निखिल देव ने किया।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय एक महीने में दूसरा राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है जो अकादमिक गतिविधियों के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि वाईएमसीए विश्वविद्यालय ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई है। विश्वविद्यालय के भूतपूर्व विद्यार्थी आज देश की लगभग सभी प्रमुख एयर कंडिशनिंग कंपनियों के शीर्ष पदों पर कार्य कर रहे है। कुलपति ने कहा कि इंजीनियरिंग की सबसे पुरानी व व्यापक शाखा के रूप मैकेनिकल इंजीनियरिंग का समाज के विकास में अहम योगदान है। इसलिए, मैकेनिकल इंजीनियर्स को नये अनुसंधान कार्याें के माध्यम से देश व समाज की प्रगति में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता रहे श्री के. के. मित्रा ने अमेरिकन सोसाइटी ऑफ हीटिंग, रेफ्रिजरेटिंग एवं एयर कंडिशनिंग इंजीनियर्स द्वारा किये जा रहे कार्याें का उल्लेख करते हुए कहा कि इंजीनियरिंग मंे नई तकनीकी प्रयोगों का क्रियान्वयन जितना अहम है, उतना ही इंजीनियरिंग उपकरणांे की गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण है। औद्योगिक क्षेत्र से अपने अनुभव साझे करते हुए श्री मित्रा ने कहा कि भवनों में मानव सुविधाएं काफी हद तक हीटिंग और कूलिंग उपकरणों के डिजाइन पर निर्भर करती है, जिनका ऊर्जा दक्ष होना जरूरी है। इस संदर्भ में उन्होंने हरित व दक्ष भवन निर्माण के लिए थर्मल इंसुलेशन प्रणाली पर विस्तृत चर्चा की। सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. कानन ने औद्योगिक व अकादमिक साझेदारी की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि पैट्रोलियम उद्योग एक ऐसा क्षेत्र है, जहां मांग कभी खत्म नहीं होती। इस क्षेत्र में औद्योगिक रखरखाव एक बड़ी चुनौती रहता है। इस क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करने तथा समाधान खोलने के लिए भावी इंजीनियर्स को तैयार करने की आवश्यकता है तथा विकास व अनुसंधान गतिविधियांे को बढ़ावा देने की जरूरत है।सत्र को प्रो. पी.एम. पांडेय ने भी संबोधित किया तथा मैकेनिकल इंजीनियरिंग में 3डी प्रिटिंग व विनिर्माण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर नवीनतम जानकारी प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया अभियान की सफलता के लिए जरूरी है कि देश के विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत बनाया जाये।
इससे पूर्व, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष डॉ. एम.एल. अग्रवाल ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा सम्मेलन के विषय से अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान कुल छह आमंत्रित व्याख्यान आयोजित किये जायेंगे और विभिन्न समानांतर तकनीकी सत्रों के दौरान 75 शोध पत्र प्रस्तुत किये जायेंगे। सभी शोध पत्र सम्मेलन के चार मुख्य विषयों थर्मल इंजीनियरिंग, डिजाइन व विश्लेषण, उत्पादन व विनिर्माण इंजीनियरिंग तथा औद्योगिक इंजीनियरिंग पर आधारित रहेंगे।
सम्मेलन के दौरान कुलपति व अन्य अतिथियों द्वारा सम्मेलन की स्मारिका का विमोचन किया गया। कुलपति व विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों द्वारा सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये गये।
( REPORT BY AJAY VERMA 971 631 6892 )