TODAY EXPRESS NEWS FARIDABAD : आज जहाँ सम्पूर्ण विश्व स्वास्थ्य लाभ के लिए अधिक से अधिक जल पीने की वकालत कर रहा है वहीँ पौराणिक वेदों एवं आयुर्वेद का विस्तार से अध्ययन करने पर बहुत ही हैरान कर देने वाले तथ्य सामने आये है की अच्छे स्वास्थ्य के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम मात्रा में जल पीना चाहिए। उक्त विचार बीएचयू से एमडी आयुर्वेद व गोल्डमेडलिस्ट डाक्टर परमेश्वर अरोड़ा ने आज फरीदाबाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रगट किये। डाक्टर अरोड़ा फिलहाल सर गंगाराम हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट के तौर पर काम कर रहे है.
अपने शोध से खुलासा करते हुए डाक्टर अरोड़ा ने कहा की आयुर्वेद शास्त्रों में साफ़ लिखा हुआ है की बेहतर स्वास्थ्य के लिए कम से कम पानी पीना चाहिए और यदि यही पानी अधिक मात्रा में पीया जाए तो यह विश के सामान है और यदि जरुरत के हिसाब से और सही विधि से कम पानी पीया जाए तो वह शरीर के लिए अमृत के समान है. उन्होंने बताया की अधिक पानी पीने से पाचक अग्नि प्रभावित होती है तथा समान्य रोग कभी न ठीक होने वाले असाध्य रोग बन जाते है. उन्होंने कहा की आज के परिवेश में कब्ज , एसिडिटी और गैस को ठीक करने के लिए खूब पानी पीने की सलाह दी जाती है लेकिन वास्तव में अधिक जल शरीर को लाभ की बजाय नुक्सान पहुंचाता है. अधिक पानी पीने से शुगर और बीपी के अलावा किडनी पर भी गलत प्रभाव पड़ता है. अपने शोध के बल पर उन्होंने कहा की किसी व्यक्ति को एक दिन में डेढ़ से दो लीटर जलीय पदार्थो का सेवन करना चाहिए। आंतो की शुद्धि को लेकर व्यक्ति को सुबह खाली पेट एक ग्लास गर्म पानी पीना चाहिए और भोजन के साथ एक कप गर्म पानी सिप करके पीना चाहिए और भोजन के एक दो घंटे बाद प्यास लगने पर एक कप गर्म पानी घूट – घूट करके पीना चाहिए इससे पाचन अग्नि मजबूत होगी और शरीर स्वस्थ होगा। एक साथ अधिक जल का सेवन पाचन अग्नि को कमजोर करता है और जल के अधिक सेवन से मधुमेह , रक्तचाप और किडनी से सम्बंधित रोग हो सकते है. उन्होंने कहा की पेट के सभी रोग पाचक अग्नि के कमजोर होने से होते है. पाचन अग्नि को बढ़ाकर ही इन रोगों से मुक्ति पायी जा सकती है जिसके लिए जल का कम प्रयोग करते।
शोधकर्ता डाक्टर अरोड़ा ने बताया की यदि देश के 25 प्रतिशत लोग प्रतिदिन पीने के एक लीटर पानी की बचत करे तो देश में 550 करोड़ लीटर शुद्ध जल की प्रतिदिन बचत होगी। आज अधिकाँश लोग स्वयं को स्वस्थ कह पाने की स्तिथि में नहीं है इन सबके लिए हमारा गलत खान पान और गलत जीवन शैली ही ज़िम्मेदार है. यदि ज़रूरत के हिसाब से जल का सेवन किया जाए तो वह अमृत के समान है और बेहिसाब पीया गया जल विश के सामान है ऐसा आयुर्वेद शास्त्रो में स्पष्ट लिखा है. उन्होंने लोगो को सलाह दी की वह एक महीना कम पानी पीकर देखे और फिर इसके लाभ आपको खुद ही पता चल जाएंगे।