वैश्विक इकोनॉमी मे रिकवरी की उम्मीद से कच्चे तेल को मिला प्रोत्साहन, निवेशक सोने से दूर हुए

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Angel Broking
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Today Express News / Report / Ajay Verma /

प्रथमेश माल्या , चीफ एनालिस्ट, नॉन-एग्री कमोडिटी एंड करेंसी

सोना / चीनी अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद ने पिछले हफ्ते सोने की कीमतों पर नकारात्मक प्रभाव डाला। सोने की कीमतों में पिछले सप्ताह 0.2% की मामूली गिरावट दर्ज हुई, जबकि अमेरिकी डॉलर इंडेक्स की तेजी का असर बुलियन धातुओं पर दिखा। हालांकि, अमेरिका में इस घातक वायरस का आर्थकि नुकसान यह हुआ कि बेरोजगारी पिछले हफ्ते रिकॉर्ड 6.65 मिलियन तक पहुंच गई, जिससे मार्केट सेंटीमेंट खराब हुआ।

हालांकि जर्मनी और जापान में निवेशकों ने अपना ध्यान सेफ हैवन असेट्स यानी सोने पर केंद्रित कर लिया, जिसने पीली धातु की कीमत में गिरावट को रोके रखा।

स्पॉट मार्केट में सोने की कीमतों के लिए एक और समर्थन आया अमेरिका के फेडरल रिजर्व और अन्य प्रमुख केंद्रीय बैंकों की ओर स्टिमुलस इंफ्यूजन से, जो कोविड-19 प्रकोप से लड़ने के लिए है। इसने वैश्विक स्तर पर लगभग 10,00,000 लोगों को संक्रमित किया है।

इस हफ्ते हमें उम्मीद है कि सोने की कीमतें 44,500 रुपए प्रति 10 ग्राम की ओर ट्रेड करेंगी।

कॉपर

पिछले हफ्ते एलएमई पर बेस मेटल की कीमतें निगेटिव पर क्लोज हुईं, सिवाय कॉपर के जिसकी कीमतों में लगभग 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुईं। दुनियाभर में औद्योगिक गतिविधि रुकी हुई है क्योंकि सरकारें अपने देशों में कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने की कोशिश कर रही हैं। इसका दबाव दुनियाभर के बाजारों में बेस मेटल्स की मांग पर पड़ा। चीन का मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर पीएमआई फरवरी 2020 में 35.7 के निचले स्तर तक गिरने के बाद मार्च-2020 में 52 तक बढ़ गया। हालांकि, जर्मनी और जापान में औद्योगिक विकास की मंदी ने चीन के फैक्टरी आउटपुट में अल्प विकास को दरकिनार कर दिया। शंघाई में एल्युमिनियम इन्वेंट्री में उछाल आया और लाइट मेटल की कीमतों पर लंदन मेटल एक्सचेंज का असर कम हुआ और इससे ऑटो इंडस्ट्री में मंदी स्पष्ट दिखती है।

वैश्विक एल्यूमीनियम उत्पादन में ऑटो सेक्टर का हिस्सा लगभग 20 प्रतिशत है। कोरोनोवायरस महामारी के कारण ऑटोमोबाइल उत्पादन यूरोप, अमेरिका और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में थम गया है और इससे एल्यूमीनियम और अन्य औद्योगिक धातुओं की मांग बाधित हुई है।

हम उम्मीद करते हैं कि कॉपर की कीमतें इस हफ्ते में 365 रुपए प्रति किलो की ओर नीचे जाएंगी।

क्रूड

पिछले हफ्ते डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमतों में 25 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी के साथ क्रूड की कीमतों में उल्लेखनीय सुधार दर्ज हुआ है, जो आने वाले हफ्तों में ओपेक उत्पादन को कम कर देगा। सऊदी अरब ने घोषणा की कि वह ऊर्जा बाजार में मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए ओपेक संगठन की एक आपात बैठक बुलाएगा। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ओपेक उत्पादन को 8 से 9 मिलियन बैरल प्रतिदिन कम करने पर विचार कर सकता है जिससे क्रूड की कीमतों में तेजी आई है।

हालांकि, ग्लोबल लॉकडाउन के बारे में चिंताओं ने क्रूड की कीमतों में वृद्धि को नियंत्रित रखा है। ग्लोबल लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकॉल के लागू होने से विमानन और सड़क परिवहन क्षेत्रों को प्रभावित किया है और इससे कच्चे तेल की मांग में कमी आई है।इस हफ्ते हमें उम्मीद है कि तेल की कीमतें नीचे की 1,800 रुपए के निशान तक जाएगी।

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