Today Express News / Report / Ajay Verma / पलवल, 28 जुलाई। सिविल सर्जन डा. ब्रह्मïदीप ने मलेरिया व डेंगू की रोकथाम के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि मलेरिया व डेंगू से बचने के लिए हमे मच्छर की उत्पत्ति को ही नही होने देना है। क्योकि अमूमन देखा जाता है कि घरो के आस-पास या फिर रास्ते मे छोटे-छोटे गड्ढïों मे पानी भर जाता है या फिर घरों में बिना ढके हुए पानी जैसे हौदी, कूलर, फ्रिज में बर्फ के पानी की ट्रे में पानी एकत्रित हो सकता है, जिसके कारण मच्छर उस ठहरे हुए एकत्रित पानी मे अंडे देते है, जिससे मलेरिया व डेंगू की बीमारी फैलाने वाले मच्छरों की बढ़ोतरी तेजी से होती है। इसलिए उन्होंने तुरंत प्रभाव से मलेरिया उन्मूलन की टीमो द्वारा ठहरे हुए पानी मे काला तेल व टेमिफोस की दवाई डलवाने के दिशा-निर्देश दिए हैं, जिससे मच्छरों की उत्पत्ति पर रोक लग सके। इसके साथ-साथ जिला मे सभी लोगो को प्रत्येक रविवार को ड्राई डे (शुष्क दिवस ) के रूप मे मनाना चाहिए, जिसमें सप्ताह मे एक बार घरो मे प्रयोग किए जा रहे कूलर के पानी को पूरी तरह से सुखाना चाहिए और कपडे से रगडक़र साफ करना चाहिए। पानी की टंकी, होदी व पानी से भरे हुए सभी बर्तनों को भी सप्ताह में एक बार सुखाना चाहिए और पानी को निकालकर कपडे से अच्छी तरह से साफ करना चाहिए, जिससे पानी में पल रहा मच्छर का लार्वा समाप्त हो जाए और मच्छरों की बढोत्तरी पर रोक लग सके। सभी लोगो को रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए व दिन के समय पूरी बाजू के कपडे पहनने चाहिए, जिससे मच्छर के काटने से बचा जा सके। आमजन को जागरूक करने के लिए सिविल सर्जन डा. ब्रह्मदीप ने बताया कि मलेरिया के शुरूआती लक्षणों मे तेज ठण्ड के साथ बुखार आना, सिर दर्द होना व उल्टी का आना है। इसलिए कोई भी बुखार आने पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर मलेरिया की जांच करवाए और अगर जांच में मलेरिया पाया जाता है तो उसका चौदह दिन का ईलाज स्वास्थ्यकर्मी की देखरेख में पूरा करें।
मलेरिया का उपचार व बचाव —
कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है इसलिए बुखार होने पर अपने नजदीक स्वास्थ्य केन्द्र में तुरन्त अपने रक्त की जांच करवाएं। मलेरिया होने पर तुरन्त पूर्ण आमूल उपचार लें। क्योकि पूर्ण आमूल उपचार न लेने से मलेरिया बुखार बार-बार होता है। मलेरिया बुखार बार-बार होने से शरीर में रक्त की कमी हो जाती है जोकि बहुत घातक होती है। घरो में मच्छरनाशक दवाई का छिडकाव करवाएं। मच्छरदानी का प्रयोग करं। पूरी बाजू के कपडें पहनें। घर के आस-पास पानी एकत्रित न होने दें। बरसात का मौसम शुरु होने से पहले घर के आस-पास के गड्ढïों को मिट्टïी से भर दिया जाए। ताकि उनमें बरसात का पानी एकत्रित न होने पाए, जिसमें मच्छर पनपते हैं।
डेंगू व चिकिनगुनिया का उपचार व बचाव
डेंगू व चिकिनगुनिया फैलाने वाला ऐडीज मच्छर दिन में काटता है व रूके हुए साफ पानी में ही पनपता है।
डेंगू के लक्षण
अकस्मात तेज बुखार का होना। आचनक तेज सिर दर्द होना। मांसपेशियों तथा जोड़ो मे दर्द होना। आंखों के पीछे दर्द होना जोकि आंखों को घुमाने से बढ़ता है।
चिकिनगुनिया के लक्षण
बुखार के साथ जोड़ो में दर्द व सूजन होना। कपकपी व ठंड के साथ बुखार का आचनक बढऩा। सिर दर्द होना।
क्या करें
घरो के आस-पास गड्ढïों को मिट्टïी से भरवा दें। अपने कूलर, हौदी या पानी से भरे हुए बर्तन सप्ताह में एक बार अवश्य खाली करें व कपडे से अच्छी तरह से रगडक़र साफ करके प्रयोग करें। शरीर को ढककर रखें और मच्छररोधी दवा या क्रीम व कीटनाशक दवाई से उपचारित मच्छरदानी का उपयोग करें एवं पूरी बाजू के वस्त्र पहनें। छतो पर रखी पानी की टंकियो को ढक्कन लगाकर बंद रखें। बुखार आने पर डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
क्या न करें
स्वयं दवा न खाएं। एसप्रीन, ब्रुफिन दवाइयों का सेवन न करें। घरो के आस-पास के गड्ढïों में सात दिन से ज्यादा पानी इक_ा न होने दें। पुराना सामान जैसे टायर, ट्यूब, खाली डिब्बे, पॉलिथीन के लिफाफे खुले में न फैंके। ताकि इनमें बरसात का पानी न भरे। यदि कूलर प्रयोग मे नहीं लाया जा रहा है तो उसमे पानी इक_ा न होने दें। हैंडपंप या नल के आस-पास पानी जमा न होने दें। टायर-ट्यूब, खाली डिब्बे खुले मे न छोड़े। क्योंकि पानी ठहरेगा जहां मच्छर पनपेगा वहां।