ENTERTAINMENT NEWS : हंसा-हंसा कर लोटपोट कर देगा ‘जट्टू इंजीनियर’ : डॉ. एमएसजी !

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TODAY EXPRESS NEWS FARIDABAD ( रिपोर्ट सौरभ शर्मा ) बॉलीवुड में एक के बाद एक अपनी चार ब्लॉबस्टर फिल्मों से धमाल मचाने के बाद डॉ. एमएसजी के उपनाम से मशहूर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम इंसां उर्फ डॉ. एमएसजी एक बार फिर अपनी आने वाली फिल्म ‘जट्टू इंजीनियर’ के साथ बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने के लिए तैयार हैं। ऐसा लगता है कि इस बार भी डॉ. राम रहीम कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं, क्योंकि उनकी पिछली फिल्में जहां एक्शन से लबालब थीं,वहीं इस बार उनकी ‘जट्टू इंजीनियर’ एक कॉमेडी फिल्म होगी।

नई दिल्ली स्थित पंचतारा होटल ली मेरीडियन में सोमवार को ‘दैनिक भास्कर’ के साथ विशेष बातचीत में संत गुरमीत राम रहीम खुलासा करते हैं, ‘दरअसल, ‘हकीकत एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बनी ‘जट्टू इंजीनियर’ एक स्थानीय रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है, जहां हमारे स्थानीय लड़के, जो खुद से कला को सीखकर लगभग सब कुछ ठीक कर सकते हैं।’ इसी शुक्रवार, यानी 19 मई को रिलीज होने जा रही अपनी इस फिल्म के बारे में डॉ. एमएसजी बताते हैं, ‘‘जट्टू इंजीनियर’ एक कॉमेडी फिल्म है, जिसकी कहानी एक पिछड़े गांव के आसपास घूमती है। इस गांव में विद्यालय तो हैं, मगर शिक्षकों के बिना। इस गांव में रहने वाले लोग बहुत आलसी और ड्रग्स पर आश्रित हैं। इसी गांव का सुधार करने के मकसद से यहां एक हेडमास्टर का आगमन होता है और उसे अपने मकसद को हासिल करने के दौरान क्या कुछ झेलना पड़ता है, कितनी मुसीबतें उठानी पड़ती हैं,यही इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है।’

खास बात यह है कि ‘जट्टू इंजीनियर’ में जहां संत राम रहीम दोहरी भूमिका में नजर आएंगे, वहीं फिल्म का निर्माण और इसके निर्देशन की जिम्मेदारी भी उन्होंने अपनी पुत्री हनीप्रीत इंसां के साथ मिलकर उठाई है। संत गुरमीत राम रहीम बताते हैं, ‘फिल्म में मेरा डबल रोल है। एक रोल हेडमास्टर का है, जो गांव को सुधारने की कोशिश में जुटा है, तो दूसरा किरदार सिद्धू नामक युवक का है, जो अपनी हरकतों से आपको हंसा-हंसा कर लोटपोट कर देगा। हालांकि,यह एक कॉमेडी फिल्म जरूर है, लेकिन इसके पीछे एक बड़ा संदेश भी छिपा है। दरअसल, इस फिल्म में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की झलक भी दिखाई देगी।’

   कहा जाता है कि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सिनेमा का असर समाज पर भी जरूर पड़ता है। संत गुरमीत राम रहीम भी इस सच से इनकार नहीं करते हैं, ‘बिल्कुल… आप हंसा-हंसा कर कोई भी संदेश आसानी से दूसरों तक पहुंचा सकते हैं। हंसाना वैसे भी बहुत पुण्य का काम है। यही वजह है कि हमने समाज को संदेश देने के लिए कॉमेडी का दामन थामा। इस फिल्म में हास्य के जरिए संदेश दिया गया है कि हर गांव अगर हिम्मत करे, तो आत्मनिर्भर बन सकता है और विकास में सरकार की मदद कर सकता है। फिल्म बनाने का हमारा यही मकसद है कि समाज में बदलाव हो।’

   इस मौके पर संत गुरमीत राम रहीम की डायरेक्टर पुत्री हनीप्रीत इंसा ने बताया, ‘मात्र पंद्रह दिनों में कंप्लीट हुई दो घंटे उन्नीस मिनट की इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने ‘यू’ सर्टिफिकेट दिया है, यानी आप इस फिल्म को पूरे परिवार के साथ आराम से देख सकते हैं। इस फिल्म में कहीं भी आपको द्विअर्थी डायलॉग नहीं मिलेंगे।’ फिल्म में पिता को निर्देशित करने का अनुभव कैसा रहा? पूछने पर हनीप्रीत इंसा ने बताया, ‘संत जी मेरे पिता ही नहीं, बल्कि मेरे गुरु भी हैं। वैसे भी मेरे पिता जब कैमरे के आगे पहुंच जाते हैं, तो वह संत या पिता नहीं होते, बल्कि एक कलाकार हो जाते हैं। ऐसे में उनके साथ काम करना या उन्हें निर्देशित करना बहुत मुश्किल नहीं होता।

 

 

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