दूषित खाने ने किया 15 वर्षीय बच्चे का लिवर फेल

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Contaminated food causes liver failure of 15 year old boy
मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में ठीक होने के बाद 15 वर्षीय निशांत और साथ में खड़े हैं पेट एवं लिवर रोग विभाग के डायरेक्टर एवं एचओडी डॉ. बीर सिंह सहरावत

टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ । रिपोर्ट अजय वर्मा । फरीदाबाद: अगर आप भी बाहर खाना खाने के शौक़ीन हैं तो सावधान हो जाएँ। क्योंकि बाहर के अनहाइजीनिक फूड का सेवन आपके लिए जानलेवा हो सकता है। हाल ही में सेक्टर-16 स्थित मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में एक ऐसा चोंकाने वाला मामला आया, जहाँ दूषित खाने के सेवन से फरीदाबाद निवासी 15 वर्षीय निशांत का लिवर फेल हो गया। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद में पेट एवं लिवर रोग विभाग के डायरेक्टर एवं एचओडी डॉ. बीर सिंह सहरावत ने बताया कि जब मरीज हमारे पास आया तो उसे बुखार, पीलिया, पेट में दर्द और उल्टी की समस्या हो रही थी। धीरे-धीरे मरीज बेचैनी और गफलत में जा रहा था। मरीज को दिखाई भी नहीं दे रहा था। दिमाग में सूजन के कारण वह ठीक से बोल भी नहीं पा रहा था। हालत लगातार बिगड़ती देख उसे आईसीयू में एडमिट किया गया। जाँच करने पर हमें पता चला कि बाहर के दूषित भोजन के सेवन से हेपेटाइटिस ए का कीटाणु बच्चे के अंदर गया। हेपेटाइटिस ए वायरस ने बच्चे के लिवर पर अटैक किया, इस कारण बच्चे का लिवर एक दम से फेल हो गया था। इसे एक्यूट लिवर फेलियर कहा जाता है। इसके अलावा बच्चे में ऑटो इम्यून हेपेटाइटिस की बीमारी का भी पता चला, इस बीमारी में शरीर में कुछ ऐसे एंटीबॉडी बनते  हैं जो लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं। जाँच के बाद मरीज की लिवर की दवाइयां शुरू की गईं। विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकालने के लिए मरीज की दो बार प्लाज्मा थेरेपी की गई जिसमें खून में नया प्लाज्मा बदला गया। कुछ दिन वेंटीलेटर पर रहने के बाद मरीज की हालत में सुधार हुआ। मरीज को बिना लिवर ट्रांसप्लांट किये वेंटिलेटर से बाहर निकाल लिया गया। इस जानलेवा बीमारी से बच्चे की जान बचाने में मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल के पेट एवं लिवर रोग विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. संजय कुमार और डॉ. निखिल का भी विशेष योगदान रहा। स्वस्थ होने पर मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया। दूषित खाने एवं पानी के कारण होने वाली बीमारियां हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई से ग्रस्त 8-10 मरीज हर महीने हॉस्पिटल में आ रहे हैं।

डॉ. बीर सिंह सहरावत ने कहा कि यह केस काफी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि धीरे-धीरे मरीज का पीलिया बढ़ रहा था और दिमाग में सूजन भी थी। लिवर फेल होने के कारण मरीज की किडनी भी प्रभावित हो रही थी और पेशाब भी कम आ रहा था। उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी इसलिए उसे वेंटीलेटर पर भी रखना पड़ा। लिवर पर हेपेटाइटिस ए वायरस के अटैक के कारण मरीज की हालत में इतनी ज्यादा गिरावट आ गई कि एक टाइम पर लगा कि बिना लिवर ट्रांसप्लांट किए मरीज को बचाना मुश्किल होगा। दरअसल जिन बच्चों को दूषित पानी या भोजन के सेवन से हेपेटाइटिस ए का इन्फेक्शन होता है, इस इन्फेक्शन के कारण उनका लिवर खराब हो जाता है और उनके बचने के संभावना बहुत कम होती है। जो बच्चे बच पाते हैं वे केवल लिवर ट्रांसप्लांट की बदौलत बच पाते हैं। सौभाग्य से इस मामले में 10-15 दिन के कड़े संघर्ष के बाद दवाओं से ही बच्चा ठीक हो गया और लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत ही नहीं पड़ी।

सलाह: बाहर का तला हुआ, अधपके खाद्य पदार्थ के सेवन से बचें क्योंकि ये चीजें बहुत ज्यादा दूषित हो सकती हैं और इनमें विभिन्न प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं जो शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। कई बार जानलेवा भी हो सकते हैं। अगर आपको कोई भी स्वास्थ्य समस्या होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। नज़रंदाज़ करने पर एक छोटी बीमारी बड़ी बीमारी का रूप ले सकती है। समय रहते सही इलाज कराना बहुत जरूरी है।

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