सेरेब्रल पाल्सी एक मस्तिष्क से संबंधित विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर) डॉ. तरुण शर्मा

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डॉ. तरुण शर्मा , डायरेक्टर , ब्रेन एवं स्पाइन सर्जरी विभाग , मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स

टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ । रिपोर्ट अजय वर्मा। 6 अक्टूबर 2023 / सेरेब्रल पाल्सी बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 6 अक्टूबर को विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस मनाया जाता है। इस संबंध में जानकारी देते हुए मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स से ब्रेन एवं स्पाइन सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. तरुण शर्मा ने बताया कि सेरेब्रल पाल्सी एक मस्तिष्क से संबंधित विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर) है जिसमें बच्चों की सोचने समझने एवं बोलने की क्षमता, शारीरिक गति, चलने-फिरना आदि प्रभावित हो जाता है। यह एक प्रकार की शारीरिक विकलांगता है, जिसमें बच्चों को वस्तुओं को पकड़ने एवं चलने-फिरने में समस्या होती है। यह समस्या भ्रूण के विकास के दौरान मस्तिष्क को हुई क्षति, बच्चे के मस्तिष्क के किसी भी हिस्से में चोट लगने, मस्तिष्क में सही से रक्त प्रवाह न होने और मैनिन्जाइटिस या इन्सेफेलाइटिस (दिमागी बुखार) के कारण हो सकती है।

मिर्गी, लार बहना, असंयम (इंद्रियों पर नियंत्रण न होना), विकास में देरी, दृष्टि बाधित होना, सुनने की समस्या, बोलने में कठिनाई, सीखने में मुश्किल होना और दूसरों की बातों को समझने में कठिनाई, हाथ एवं पैरों में कमजोरी तथा अकड़न होना आदि लक्षण सेरेब्रल पाल्सी रोग की ओर इशारा करते हैं। इस रोग के लक्षण बचपन में ही सामने आ जाते हैं। इस रोग से ग्रसित बच्चे का सिर असामान्य रूप से छोटा या बड़ा हो सकता है। बच्चा बहुत अधिक एग्रेसिव या न के बराबर प्रतिक्रिया दे सकता है। हाइपरटोनिया यानी मांसपेशियों की टोन बढ़ जाना एवं अकडन हो सकती है। इससे पूरे शरीर का विकास भी धीमा हो सकता है।

सेरेब्रल पाल्सी का उपचार लक्षणों की गंभीरता के आधार पर शुरू किया जाता है। एपिलेप्सी, ऐंठन और अन्य लक्षणों के लिए मरीज को दवाएं दी जाती हैं। वहीँ सर्जरी द्वारा मांसपेशियों में ऐंठन, जोड़ों और रीढ़ की समस्याओं को भी ठीक किया जा सकता है। मस्तिष्क की गतिविधि को नियंत्रित के लिए कंप्यूटर गाइडेड न्यूरो नेविगेशन तकनीक की मदद से बेक्लोफेन पंप इंप्लांटेशन सर्जरी की जाती है, इससे मरीज के शरीर में अकडन और कंपन दूर हो जाती है। बोलने की क्षमता में सुधार के लिए स्पीच थेरेपी की मदद भी ली जाती है। अगर ऐसे बच्चों को सही समय पर ठीक उपचार किया जाए एवं अच्छी सपोर्टिव केयर दी जाए तो इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।

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