लिट फेस्ट फिनाले में राहुल मित्रा ने कहा, ‘महिला सिनेमा को पुरुषों की इस टकटकी वाले दायरे और नजरिये से बाहर निकलना होगा

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At Lit Fest Finale, Rahul Mittra said, 'Women's cinema needs to break out of the confines and perspective of this male gaze

टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ / रिपोर्ट अजय वर्मा / नई दिल्ली : लेखकों डॉ. हर्षाली सिंह और मोना वर्मा के साहित्यिक प्रयास हाउस ऑफ हार्मनी ने रविवार को राजधानी दिल्ली में अपने पहले संस्करण ‘स्प्रिंग फेस्ट 2023’ का समापन किया। इस मौके पर जाने-माने फिल्म निर्माता-अभिनेता और ब्रांडिंग विशेषज्ञ राहुल मित्रा ने भारतीय सिनेमा के दिलचस्प उपाख्यानों और तथ्यों का हवाला देते हुए फिल्मों में महिलाओं की स्थिति पर चर्चा की। राहुल मित्रा की ‘साहेब बीवी और गैंगस्टर’ ट्रायोलॉजी ने महिला पात्रों के मजबूत चित्रण के साथ ही एनआरआई केंद्रित फिल्मों से भारतीय सिनेमा के संदर्भ को भारतीय हृदयभूमि में बदल दिया।

उनकी दूसरी फिल्म कंगना रनौत स्टारर ‘रिवॉल्वर रानी’ में भी मुख्य महिला चरित्र को सिर्फ शरारती, बेशर्म यौन और जटिल के रूप में देखा गया, कुछ ऐसा जो पहले पुरुषों का डोमेन था। उत्साही और संवादात्मक दर्शकों के भरेपूरे सदन में राहुल मित्रा ने दर्शकों का ध्यान फिल्मों में महिला पात्रों की बदलती भूमिका की ओर खींचा, जो वर्तमान में एक मां, युवती, मालकिन से लेकर मजबूत महिला तक का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके साथ ही उन्होंने ऑफ स्क्रीन महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व को दूर करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि इस असमानता के कारण ही भारतीय सिनेमा में महिला पात्रों को बड़े पैमाने पर पुरुष परिप्रेक्ष्य के नजरिये से पेश किया गया है। स्वाभाविक रूप से ऐसे में रूढ़िवादिता और लैंगिक पूर्वाग्रह बढ़ा है। राहुल मित्रा ने कहा, ‘महिला सिनेमा को पुरुषों की इस टकटकी वाले दायरे और नजरिये से बाहर निकलना होगा।

दिल्ली में किताबों की उभरती दुकान ‘कुंजुम’ द्वारा संचालित ‘स्प्रिंग फेस्ट—2023’ में प्रतिष्ठित लेखकों, कवियों, सामाजिक परिवर्तन निर्माताओं, पत्रकारों और फिल्म निर्माताओं ने हिस्सा लिया। हाउस ऑफ हार्मनी की संस्थापक डॉ. हर्षाली सिंह और मोना वर्मा ने कई नए लेखकों और कलाकारों को मंच प्रदान किया, जिन्होंने अपनी प्रस्तुति से माहौल को खुशनुमा बना दिया। दर्शक एआई की प्रासंगिकता, युद्ध के प्रभाव, चिकित्सा पेशेवरों द्वारा लेखन, महिलाओं के विभिन्न रंगों, इतिहास और पौराणिक कथाओं में कामुकता, लिंगात्मक तरलता व सरलता और भारतीय सिनेमा में महिलाओं की भूमिका से लेकर व्यापक स्पेक्ट्रम मुद्दों पर चर्चा से चिपके नजर आए।

कार्यक्रम में फिल्म निर्माता-अभिनेता राहुल मित्रा, सेवानिवृत्त मेजर जनरल जीडी बख्शी, कार्यकारी संपादक, स्तंभकार लेखक, व निदेशक-टाइम्स लिटरेचर फेस्टिवल्स एंड राइट इंडिया टाइम्स ऑफ इंडिया विनीता नांगिया, सामाजिक कार्यकर्ता महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, और ह्यूमन फॉर ह्यूमैनिटी के संस्थापक अनुराग चौहान, प्रख्यात वकील और केएलएफ के संस्थापक सुमंत बत्रा, हिंदू बिजनेस लाइन के एसोसिएट एडिटर शिशिर सिन्हा, न्यूज़9 प्लस के संपादक संदीप उन्नीथन, और आर्ट क्यूरेटर और इतिहासकार डॉ. अल्का पांडे, रीडोमेनिया के संस्थापक और प्रकाशक दीपंकर मुखर्जी, कुंजुम के संस्थापक अजय जैन और उनकी टीम से सुबीर डे और शांतनु रॉय आदि मौजूद थे। इस अवसर पर मोना और हर्षाली ने कहा, ‘हम अपने पहले संस्करण को शानदार प्रतिक्रिया से अभिभूत हैं और अब पोर्टफोलियो का विस्तार करने के लिए तत्पर हैं।

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