एयर्थ का वीश्‍योर एंटीमाइक्रोबियल एयर प्‍यूरीफायर CSIR-IMTECH के परीक्षण में सफल हुआ; 99.9% ब्‍लैक फंगस को सफलतापूर्वक नष्‍ट किया

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टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ । अजय वर्मा । भारत, 28 दिसंबर 2021: एयर्थ ने साल 2020 से अपना परिचालन शुरू किया था और तब से ही इसके उत्‍पादों और नये विजन ने पूरी दुनिया का ध्‍यान अपनी ओर खींचा है। इसके एंटीमाइक्रोबियल एयर प्‍यूरीफायर्स विश्‍व में पहले हैं और उनका कई मापदंडों पर परीक्षण हुआ है, ताकि उस क्षमता और प्रभाव को परखा जा सके, जिसका वादा कंपनी करती है। हाल ही में CSIR-IMTECH (CSIR – इंस्टिट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्‍नोलॉजी) की मशहूर लैब ने ब्‍लैक फंगस को पकड़ने और मारने की क्षमता पर एयर्थ के वीश्‍योर एंटीमाइक्रोबियल एयर प्‍यूरीफायर का परीक्षण किया था, जिसका निष्‍कर्ष यह निकला कि इस उत्‍पाद ने ब्‍लैक फंगस का कारण बनने वाली फफूंद की 99.9% प्रजातियों (म्‍यूकर हीमैलिस और रिज़ोपस ओरीज़ी) को नष्‍ट कर दिया। नई खोज की यह घोषणा एयर्थ के प्‍यूरीफायर्स को अग्रणी बनाती है और उत्‍पादों की दूरदर्शी श्रृंखला में सुरक्षा प्रमाणन का एक अन्‍य स्‍तर जोड़ती है।

भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान मानवता ने प्रकृति का रौद्र रूप देखा था। कोविड-19 के मामले और उससे होने वाली मौतों के बढ़ने के अलावा ब्‍लैक फंगस के भी कई मामले देखे गये, जिससे घबराहट होने लगी थी। यह जानलेवा फंगस इंफेक्‍शन मुख्‍य रूप से कोविड-19 से ‘ठीक’ हो रहे मरीजों में पाया गया, क्‍योंकि कोविड-19 के इलाज के लिये दी गई दवाएं (जैसे कि स्‍टीरॉइड्स) इम्‍युनिटी को कम करने वाली थीं, जिससे मरीज ब्‍लैक फंगस से पीड़ित होने के जोखिम में आ गये थे। इस कारण लोग डर गये थे और उन्‍हें नियमित मेडिकल जाँचों और इलाज के लिये अस्‍पताल/हेल्‍थ केयर सेंटर्स जाने में हिचकिचाहट हो रही थी।

भारत में ब्‍लैक फंगस के मामले कम हो गये हैं, लेकिन यह खतरा केवल कोविड-19 तक सीमित नहीं है। यह कभी खत्‍म न होने वाली समस्‍या है, जिसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे डायबीटीज (खासकर अनियंत्रित डायबीटीज), लंबे समय तक स्‍टेरॉइड्स का इस्‍तेमाल, कमजोर या जोखिम वाला इम्‍युन सिस्‍टम, आईसीयू में लंबे समय तक रहना, आदि। इस घातक संक्रमण की जद में आने के डर के साथ जीने के बजाए अपने घर में एयर्थ का प्‍यूरीफायर लाना बेहतर है। वीश्‍योर एंटीमाइक्रोबियल एयर प्‍यूरीफायर हवा के हानिकारक प्रदूषकों को हटाने के अलावा 99.9% ब्‍लैक

फंगस को सफलतापूर्वक खत्‍म करेगा और आपको साफ और सुरक्षित हवा में सांस लेने की अनुमति देगा।

इस महत्‍वपूर्ण घोषणा पर अपनी बात रखते हुए, एयर्थ के फाउंडर और सीईओ रवि कौशिक ने कहा, “हवा में मौजूद वायरस और फंगस हमें कई पीढि़यों से परेशान कर रहे हैं, इसलिये हम ऐसे उत्‍पाद बनाना चाहते थे, जो उनका पूरा काम तमाम करें। विगत वर्षों में हमने कई प्‍यूरीफायर टेस्‍ट किये हैं, ताकि उन्‍हें अंतिम ग्राहकों को बेचने से पहले उनकी सटीकता को परखा जा सके। आईआईटी बॉम्‍बे और आईआईटी कानपुर का प्रतिनिधित्‍व करने वाला और टेक्‍नोलॉजी तथा शोध एवं विकास से चलने वाला स्‍टार्टअप होने के नाते हमने बड़ी सावधानी से अपनी टेक्‍नोलॉजी विकसित की है। CSIR-NABL लैब (भारत सरकार की प्रतिष्ठित राष्‍ट्रीय प्रयोगशाला) से पुष्टि मिलने के बाद हमें CSIR-IMTECH लैब से जो नया परीक्षण प्रमाणीकरण मिला है, उसने हमें प्राप्‍त मानदंडों की सूची में ऐसा मानदंड जोड़ा है, जो अब तक किसी अन्‍य प्‍यूरीफायर कंपनी को नहीं मिला है। हमारे बहु-कार्यात्‍मक प्‍यूरीफायर को अस्‍पतालों, घरों, और ऑफिस में इंस्‍टॉल किया जा सकता है, ताकि हवा के प्रदूषक और फंगस नष्‍ट हो जाएं और भारत के लोग सुरक्षित ढंग से सांस लें।‘’

एयर्थ को हाल ही में व्‍हाइटबोर्ड कैपिटल, सिरमा टेक्‍नोलॉजी और फर्स्‍ट (आईआईटी कानपुर) से फंडिंग मिली है। इसकी योजना इस फंडिंग का इस्‍तेमाल अपना उत्‍पादन बढ़ाने और बिक्री-पश्‍चात सेवाओं में करने की है, ताकि पूरे भारत में इसके ग्राहकों की मांग पूरी हो सके।

एयर्थ के विषय में
एयर्थ आईआईटी बॉम्‍बे और आईआईटी कानपुर में विकसित अपनी टेक्‍नोलॉजी से हवा में मौजूद अदृश्‍य वायरसों और अन्‍य कीटाणुओं के विरूद्ध सुरक्षा देता है। एयर्थ के एंटी-माइक्रोबियल एयर प्‍यूरीफायर्स वायुजनित रोगों और वायु प्रदूषण के विरूद्ध संपूर्ण सुरक्षा की पेशकश करते हैं। एयर्थ हमारी हवा का डॉक्‍टर है, जिसका उद्देश्‍य पृथ्‍वी की हवा को बेहतर बनाना है।

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