टुडे एक्सप्रेस न्यूज़। रिपोर्ट अजय वर्मा। फरीदाबाद, मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (एमआरआईआईआरएस) के अंग्रेजी विभाग, स्कूल ऑफ मीडिया स्टडीज एंड ह्यूमैनिटीज (एसएमईएच) की ओर से नैरेटिव एंड नैरेशन: मैपिंग आउट लेटेस्ट ट्रेंड्स इन साउथ एशियन लिटरेचर विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में आयोजित हुए इस सम्मेलन में अंग्रेजी, साहित्य, कला और सांस्कृतिक क्षेत्र की कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत में सम्मेलन की संयोजक अंग्रेजी विभाग (एसएमईएच) निदेशक व प्रमुख डॉ. शिवानी वशिष्ठ ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए दक्षिण एशियाई साहित्य में नवीनतम बदलावों और विकास पर चर्चा की। साथ ही उन्होंने साहित्य की भूमिका, तथ्यों और रुझानों के बारे में भी विचार रखे। उद्घाटन सत्र में चयनित शोध पत्रों को भी पेश किया गया। इसके बाद एसएमईएच डीन डॉ. मैथिली गंजू ने संबोधित करते हुए इस सामयिक विषय पर इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए विभाग की प्रशंसा की।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि रहे योग्यकार्ता स्टेट यूनिवर्सिटी, इंडोनेशिया के एसोसिएट प्रोफेसर एल्स लिलियानी ने सम्मेलन को ऑनलाइन संबोधित किया। उन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया की लोकप्रिय कथा ‘केन डेंडेस’ से संबोधन शुरू करते हुए इंडोनेशिया के विभिन्न बौद्ध देवताओं और हिंदू देवताओं के साथ उनकी समानता पर विस्तार से चर्चा की।
मुख्य वक्ता रहे निदेशक व प्रमुख, कला निधि प्रभाग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार प्रोफेसर (डॉ.) रमेश सी गौड़ ने ‘ग्रेटर इंडिया’ विज़न के साथ चर्चा शुरू करते हुए पड़ोसी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में भारत के प्रभाव पर विचार रखे। उन्होंने रामायण के विभिन्न संस्करणों पर चर्चा करते हुए बताया कि दक्षिण पूर्व एशिया की संस्कृति के विकास में भी रामायण का महत्वपूर्ण योगदान है।
इस दौरान केलानिया विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग की प्रमुख डॉ. शशिकला असेला, पटना विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के प्रमुख प्रो. शंकर दत्त, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से प्रो. राम निवास शर्मा ने भी दक्षिण एशियाई साहित्य से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार रखे। सम्मेलन में कुल सात तकनीकी सत्र थे, जिनमें देशभर के प्रतिष्ठित संस्थानों के विद्वानों ने 70 से अधिक शोध पत्रों में दक्षिण एशियाई साहित्य में नवीनतम रुझानों पर विचार रखे।
एमआरईआई के प्रबंध निदेशक श्री राजीव कपूर ने राष्ट्र में महत्वपूर्ण बदलावों के लिए ऐतिहासिक परिवर्तनों की भूमिका पर प्रकाश डाला। एमआरआईआईआरएस के कुलपति प्रो. (डॉ.) संजय श्रीवास्तव ने भी विषय पर विचार रखते हुए सम्मेलन के आयोजन पर बधाई दी। कार्यक्रम के समापन पर अंग्रेजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. स्वाति चौहान ने सभी का आभार जताया।