निर्देशक की कुर्सी से लेकर जूरी चेयरमैन तक: शेखर कपूर का इस्तांबुल चैप्टर शुरू

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टुडे एक्सप्रेस न्यूज़। रिपोर्ट मोक्ष वर्मा। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और कहानीकार शेखर कपूर अब एक नए रोमांचक सफर पर निकल पड़े हैं, जहां वह प्रतिष्ठित इस्तांबुल फिल्म फेस्टिवल में जूरी के चेयरमैन की भूमिका निभा रहे हैं। दशकों और महाद्वीपों तक फैले अपने शानदार करियर के साथ, वे अनुभव, सिनेमा की गहरी समझ और फिल्म निर्माण की कला के प्रति अथाह प्रेम लेकर पहुंचे हैं।

फिल्म फेस्टिवल में अपनी भूमिका के साथ-साथ शेखर कपूर एक और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं—एक शिक्षक की। वे इस्तांबुल के एक प्रमुख फिल्म स्कूल में लेक्चर देंगे, जहां वह युवा फिल्मकारों को मार्गदर्शन देंगे और कहानी कहने की कला, निर्देशन और बदलती दुनिया में रचनात्मक प्रक्रिया को समझने की अपनी गहरी समझ साझा करेंगे।

इस नए चरण के बारे में बात करते हुए शेखर कपूर ने उत्साहपूर्वक कहा:
“एक नई रोमांचक यात्रा पर निकल रहा हूँ… इस्तांबुल फिल्म फेस्टिवल का जूरी चेयरमैन बनकर और वहां की फिल्म स्कूल में पढ़ाना। अच्छा है ना? शिकायत का तो कोई मौका नहीं है। कुछ न कुछ रोमांचक हमेशा होने को इंतज़ार करता है… शायद एक नई शुरुआत?”

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एलिज़ाबेथ, मिस्टर इंडिया और बैंडिट क्वीन जैसी वैश्विक हिट फिल्मों का निर्देशन करने से लेकर अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में एक मार्गदर्शक शक्ति के रूप में काम करने तक, शेखर कपूर का प्रभाव निर्विवाद है। उन्हें जूरी चेयरमैन के रूप में नियुक्त किया जाना न केवल उनके सिनेमा में योगदान को सम्मानित करता है, बल्कि यह फेस्टिवल की चयन प्रक्रिया में एक अनूठा और वैश्विक दृष्टिकोण लाने का वादा भी करता है।

रेड कार्पेट पर चलने से लेकर अंतरराष्ट्रीय जूरी का नेतृत्व करने तक, शेखर कपूर अब अपनी अगली बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘मासूम 2’ के निर्देशन के लिए भी तैयार हैं। इस तरह वह न सिर्फ अपनी फिल्मों के ज़रिए सिनेमा के भविष्य को आकार दे रहे हैं, बल्कि उन अनगिनत ज़िंदगियों को भी छू रहे हैं जिन्हें वो प्रेरित करते हैं और उन कहानियों को जीवन देते हैं जिन्हें वे सामने लाने में मदद करते हैं।

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