टूडे एक्सप्रेस न्यूज । रिपोर्ट अजय वर्मा । फरीदाबाद: मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद के डॉक्टरों की टीम ने 126 किलोग्राम वजन की 40 वर्षीय नीलम (बदला हुआ नाम) नाम की महिला की बच्चेदानी और हर्निया का रोबोट तकनीक से सफल ऑपरेशन कर राहत प्रदान की है। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में ऑब्स्टेट्रिक्स एवं गायनोकॉलोजी विभाग की एसोसिएट क्लीनिकल डायरेक्टर एवं हेड यूनिट-2 डॉ. श्वेता मेंदिरत्ता ने बताया कि जब महिला हमारे पास आई तो उसे एडिनोमायोसिस (बच्चेदानी में सूजन एवं रसौली) की समस्या थी। इस कारण महिला लगभग एक साल से पीरियड्स के दौरान गंभीर दर्द, अत्यधिक एवं अनियमित ब्लीडिंग की समस्या से जूझ रही थी। मरीज को दवाओं से राहत नहीं मिली। ठीक से जाँच करने पर पता चला कि मरीज की बच्चेदानी का आकार सामान्य बच्चेदानी से ज्यादा बड़ा था। हर्निया की समस्या भी थी। महिला ने अपनी बच्चेदानी को सर्जरी द्वारा निकलवाने की बात रखी तो उसे रोबोटिक तकनीक द्वारा सर्जरी कराने की सलाह दी गई क्योंकि मरीज का वजह बहुत ज्यादा था तो ऑपरेशन के बाद ऐसी महिलाओं में रिकवरी बहुत महत्वपूर्ण होती है। काउंसलिंग कराने पर मरीज और उसके परिजन रोबोट तकनीक द्वारा ऑपरेशन कराने के लिए सहमत हो गए। फिर रोबोट तकनीक की मदद से जहाँ ऑब्स्टेट्रिक्स एवं गायनोकॉलोजी विभाग की टीम ने डॉ. श्वेता मेंदिरत्ता की देखरेख में महिला की बच्चेदानी को सावधानी से निकाल दिया, वहीं मिनिमली इनवेसिव, बैरिएट्रिक एवं जनरल सर्जरी विभाग की टीम ने डॉ. सचिन मित्तल की देखरेख में हर्निया को भी रिपेयर कर दिया। मरीज ने अगले ही दिन से चलना-फिरना शुरू कर दिया। जल्द ही मरीज को डिस्चार्ज कर दिया।
मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में रोबोटिक, मिनिमली इनवेसिव, बैरिएट्रिक एवं जनरल सर्जरी विभाग के एसोसिएट क्लीनिकल डायरेक्टर एवं एचओडी यूनिट-2 डॉ. सचिन मित्तल ने बताया कि इस महिला का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 40 से ऊपर था जो गंभीर मोटापे की केटेगरी में आता है। महिला को बच्चेदानी में समस्या के साथ नाभि के पास हर्निया की समस्या भी थी। इस मरीज की दोनों सर्जरी एक साथ करनी थी जिसमें गर्भाशय को भी निकालना था और हर्निया को रिपेयर करना था। इसलिए दोनों सर्जरी रोबोटिक तकनीक से गईं क्योंकि ऐसे मरीजों का ऑपरेशन दूरबीन से या ओपन सर्जरी करने में बहुत परेशानी आती है लेकिन रोबोट की मदद से इंस्ट्रूमेंट बहुत अच्छा कार्य करते हैं। इस तकनीक से ऑपरेशन करने पर मरीज को बहुत फायदा हुआ। ऑपरेशन के बाद दर्द भी कम हुआ। सर्जरी के दौरान भी ब्लड लॉस काफी कम हुआ। रोबोट तकनीक की मदद से इतनी ज्यादा वजन की मरीज में दोनों सर्जरी लगभग साढ़े तीन घंटे में सफलतापूर्वक हो गईं। मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है।
डॉ. श्वेता मेंदिरत्ता एवं डॉ. सचिन मित्तल ने आगे बताया कि अगर मरीज का वजन बहुत ज्यादा होता है तो यह ऑपरेशन के बाद मरीज की रिकवरी में बाधा डाल सकता है इसलिए मोटापे से ग्रस्त लोगों के लिए रोबोट तकनीक काफी फायदेमंद है। यह सुरक्षित सर्जरी है। रोबोट के इंस्ट्रूमेंट 3 डी प्रिसिशन देते हैं, इंस्ट्रूमेंट 360 डिग्री पर घूम सकते हैं और बेहतर परिणाम देते हैं। महिला का पहले ऑपरेशन द्वारा एक बच्चा भी हुआ है और एक्टोपिक प्रेगनेंसी भी रही है। ऐसी स्थिति में कभी-कभी पेट के अंदर अंतड़ियों के साथ में या पेशाब के रास्ते में अक्सर अतिरित चीजें चिपकी हुई मिलती हैं। इस तरह के केस में लेप्रोस्कोपिक के बजाय रोबोटिक तकनीक द्वारा अतिरिक्त चीजों को निकालने में ज्यादा आसानी होता है।जहाँ लेप्रोस्कोपिक का इंस्ट्रूमेंट नहीं पहुँच पाता है, उस जगह पर रोबोट का इंस्ट्रूमेंट पहुँच जाता है इसलिए रोबोटिक तकनीक अतिरिक्त चीजों को आसानी से छुड़ाने में भी मददगार है। प्रिसिशन सर्जरी में ब्लीडिंग भी कम होती है और मरीज को ऑपरेशन के बाद दर्द भी कम होता है। रोबोटिक तकनीक बिना कोई गलती किए सटीक रूप से ऑपरेशन करने में मददगार है।