एनपीटीआई की महानिदेशक डॉ. तृप्ता ठाकुर ने प्रेसवार्ता कर दी महत्वपूर्ण जानकारी

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NPTI Director General Dr. Tripta Thakur gave important information in a press conference

टुडे एक्सप्रेस न्यूज। रिपोर्ट अजय वर्मा।फरीदाबाद। भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय की आरडीएसएस योजना के तहत देश की बिजली वितरण कंपनियों के टैक्निकल और कॉर्मिशियल (एटीएंडसी) घाटे को कम करके उनकी यानि कि “डिस्कॉम की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए तकनीकी वाणिज्यिक सुधार“ पर दो दिवसीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टीओटी) कार्यक्रम राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण संस्थान (एनपीटीआई) कॉरपोरेट कार्यालय सेक्टर-33 में शुरू किया गया। जिसके तहत देश राज्यों में जूनियर लेवल पर डिस्कॉम कर्मचारियों के कौशल में सुधार किया जा सके। कार्यक्रम का उद्घाटन एनआईएसई के महानिदेशक डॉ. मोहम्मद रिहान, एनपीटीआई की महानिदेशक डॉ. तृप्ता ठाकुर, एनपीटीआई-फरीदाबाद की निदेशक (प्रशासन) श्रीमती मधुबाला कुमार, पीएफसी के डीजीएम (एचआर) संजेश कुमार, एनपीटीआई फरीदाबाद के निदेशक (आरडीएसएस) एनआर हलदर के साथ-साथ एनपीटीआई के अन्य वरिष्ठ निदेशकों और कार्यक्रम समन्वयकों की गरिमामयी उपस्थिति में किया गया।

पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) के सहयोग से, टीओटी कार्यक्रम के इस चरण में जूनियर प्रबंधन पर काम किया जा रहा है। प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टीओटी) में 150 से अधिक प्रतिभागी ऑफ़लाइन और ऑनलाइन दोनों मोड में भाग ले रहे हैं।

कार्यक्रम के मध्य एनपीटीआई की महानिदेशक डॉ. तृप्ता ठाकुर ने प्रेसवार्ता को विशेष रूप से संबोधित करते हुए जानकारी दी कि पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण संस्थान (एनपीटीआई) ने पहले चरण में लगभग 9000 डिस्कॉम अधिकारियों को ट्रेनिंग दी थी और आगे पूरे भारत में डिस्कॉम के बीस हजार “जूनियर प्रबंधन स्तर” कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने का काम सौंपा गया है।

प्रशिक्षण का दूसरा चरण जुलाई 2024 में “परिचालन सुरक्षा और आपदा प्रबंधन” पर प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के साथ शुरू हुआ, जिसमें 166 प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया, जिनका उपयोग जूनियर इंजीनियर स्तर से नीचे के डिस्कॉम कर्मचारियों को आगे प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए किया गया है और अब तक लगभग 500 डिस्कॉम कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य डिस्कॉम के “जूनियर स्टाफ“ को आवश्यक कौशल और दक्षताओं से लैस करना है, जो उन्हें उन्नत मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, एटीएंडसी हानि में कमी, वितरण नेटवर्क दक्षता में वृद्धि, विद्युत परिसंपत्तियों की विफलता में कमी, बिजली की चोरी में कमी, सुरक्षा और आपदा प्रबंधन, संचार और सॉफ्ट स्किल जैसे क्षेत्रों में बेहतर तरीके से अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में मदद करेगा और उपभोक्ता संतुष्टि का उच्च स्तर प्राप्त करेगा।

पीएम-सूर्य घरः मुफ्त बिजली योजना’ को सफल बनाने के लिए दिया जाएगा प्रशिक्षणः-

राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण संस्थान (एनपीटीआई) कॉरपोरेट कार्यालय सेक्टर-33 फरीदाबाद सहित देश के विभिन्न राज्यों में स्थित 10 एनपीटीआई संस्थानों शिवपुरी, गुवाहाटी, नागपुर, बेंगलुरु, नांगल, अलपुझा, नेवेली, दुर्गापुर सहित नई दिल्ली में पीएम-सूर्य घरः मुफ्त बिजली योजना’ को सफल बनाने के लिए ’ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप सोलर सिस्टम’ प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। इस प्रोग्राम के तहत एनपीटीआई देश भर में ज्ञान और कौशल के साथ 400 प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करेगा, जो बाद में देश भर में 25000 डिस्कॉम कर्मचारियों को प्रशिक्षित करेंगे।

महानिदेशक डॉ. तृप्ता ठाकुर ने बताया कि सैकड़ों सालों से कोयला, पेट्रोल और डीजल से जीवाश्म ईंधन पर ही पूरी दुनिया निर्भर है। जिसके चलते लगातार तापमान में बढ़ोतरी हो रही है और जलवायु परिवर्तित हो रहा है। ऐसे में अगर जल्द ऊर्जा के साधनों में परिवर्तन नहीं किया गया तो जलवायु पूरी तरह से बदल जाएगा। हमें जल्द सोलर उर्जा, बायोमास और जीओथर्मल उर्जा को बढावा देकर इसे अपनाना होगा। भारत ने भी 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता जोड़ने की प्रतिबद्धता जताई है।

पराली जलाकर नहीं, बेचकर कमाएं पैसेः-

भारत सरकार द्वारा प्रायोजित समर्थ मिशन का उद्देश्य पर्यावरण को पराली जलने से उत्पन्न होने वाले प्रदुषण से मुक्त करना है और साथ ही साथ किसानों द्वारा खेत में पराली न जलाकर तथा बेचकर आय उत्पन्न कराना है। इस सन्दर्भ में समर्थ मिशन ने सम्पूर्ण भारत भर में जागरूकता अभियान चलाया है जिसे राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण प्रतिष्ठान (एनपीटीआई) बखूबी पूरा कर रही है।

एमबीए कार्यक्रमः-
एनपीटीआई विभिन्न उद्योग इंटरफेस कार्यक्रम आयोजित करता है जिसमें पावर मैनेजमेंट में प्रमुख एमबीए कार्यक्रम है। इन सभी उद्योग इंटरफेस कार्यक्रमों का उद्देश्य भारतीय विद्युत क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए उपयुक्त तकनीकी कौशल से लैस प्रतिबद्ध और सक्षम प्रोफेशनल का एक समूह बनाना है।

पीजीडीसी और पीडीसी कार्यक्रमः-
पीजीडीसी छह महीने से एक साल तक के होते हैं। पीजीडीसी कार्यक्रमों में पावर प्लांट इंजीनियरिंग, आरई और ग्रिड इंटरफेस टेक्नोलॉजीज, हाइड्रो पावर प्लांट इंजीनियरिंग, टीएंडडी सिस्टम, साइबर सुरक्षा, पावर डिस्ट्रीब्यूशन और उभरती हुई टेक्नोलॉजीज आदि में विशेषज्ञता और थर्मल पावर इंजीनियरिंग, हाइड्रो पावर प्लांट इंजीनियरिंग आदि में पोस्ट डिप्लोमा कोर्स शामिल हैं।

पीजीडीसी अक्षय ऊर्जा और ग्रिड इंटरफेस प्रौद्योगिकीः-
पीजीडीसी अक्षय ऊर्जा और ग्रिड इंटरफेस प्रौद्योगिकियों में व्यावहारिक प्रदर्शन के साथ तकनीकी और प्रबंधकीय सोच को जोड़ता है। यह 1 साल का डिप्लोमा कोर्स एनपीटीआई बदरपुर, शिवपुरी, नवेली और अलपुझा में शुरू किया जा रहा है।

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