सर्दियों में प्रदूषण से बचने के लिए प्रेग्नेंट महिलाएं क्या खाएं- डॉ. चंचल शर्मा

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Today Express news | प्रेगनेंसी के दौरान महिलओं को अपना बेहद खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। किसी भी महिला के लिए गर्भावस्था सबसे खूबसूरत और बेहतरीन लम्हों में से एक होता है। इस दौरान उनको मौसम के हिसाब से अपनी सेहत का ध्यान रखना जरूरी है। वहीं राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। प्रदूषण के कारण लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस प्रदूषण का असर लोगों की प्रजनन क्षमता पर भी पड़ रहा है। आशा आयुर्वेदा की सीनियर फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. चंचल शर्मा बताती है कि एक प्रेग्नेंट महिला के लिए गर्मी हो या सर्दी दोनों ही मौसम में ध्यान रखना जरुरी है। उनका कहना है कि खासतौर पर सर्दियों में प्रेग्नेंट महिला को ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि आयुर्वेद में माना गया है कि इस समय पित का प्रकोप ज्यादा होता है। ऐसे में खानपान का ध्यान देने के साख बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है।

डॉ. चंचल बताती है कि एक रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण प्रेग्नेंट महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए बेहद खतरनाक होता है। प्रेग्नेंसी भ्रूण के विकास की अवधि होती है और इस दौरान वह पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होता है। प्रेग्नेंसी से लेकर जन्म के 2 वर्ष तक एयर पॉल्यूशन का असर बच्चे पर बुरी तरह पड़ता है। इसके अलावा सर्दियों के इस मौसम में पित का प्रकोप ज्यादा है। पित्तवर्धक आहार में बाजरा, चाय-कॉफी का ज्यादा सेवन, दही, आचार, खटाई, मैदा और तला हुआ आदि का सेवन करने परहेज करें ताकि आगे चलकर किसी भी तरह की परेशानी का कारण न बन सके। खासकर की उन महिलाओं को जो गर्भवस्था के पहले तिमाही चरण में है।
प्रेगनेंसी के दौरान हर महिलाओं के सामने दिक्कतें आती है कि वह क्या खांए और क्या न खांए? उनका कहना है कि बहुत बार पेशेंट उनसे पूंछते है कि क्या हम गोंद के या ड्राई फ्रूट्स के लड्डू खा सकते है? पहले 3 महीने (12 हफ्तें) वाली महिलाओं को ऐसे खाद्य पदार्थ के सेवन से बचना चाहिए। बल्कि आखिरी तिमाही कि महिलाओं को इन खाद्य पदार्थ का सेवन जरूर से करना चाहिए। बाकि की अन्य तिमाही की महिलाओं को इसका सेवन कम करना चाहिए।
इसके अलावा कुछ पेशेंटों का सवाल रहता है कि मक्के की रोटी और सरसों का साग का सेवन कर सकते है क्या? पहली तिमाही की महिलाओं को छोड़ के दूसरे से आखिरी तिमाही की महिलाओं को इसका सेवन करने में कोई मनाही नहीं है।

उनका कहना है कि गाजर का जूस और सभी फलों का जूस ले सकते है। बस आपको पपीता और अनानास का सेवन करने से बचना चाहिए। साथ ही सर्दी के दिनों में प्रदूषण बढ़ गया तो आपको रात में 10 बजे के करीब सो जाना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि आयुर्वेद के मुताबिक जैसा आहार-विहार मां का होगा वैसे ही बच्चा का होता है। अपने आहार-विहार में नियमों का पालन करने से आपको भविष्य में डिलिवरी के दौरान किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। प्रदूषण के कारण जितना हो सके बाहर कम निकलें। एक परिवार शुरू करने के लिए सबसे जरूरी चीज है कि आप शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से मजबूत हों। अगर आपका शरीर, जीवनशैली स्‍वस्‍थ है और पौष्टिक आहार लेते है तो डिलिवरी सुरक्षित होती है और बच्चा भी स्वस्थ रहता है।

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