टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ । रिपोर्ट अजय वर्मा । विश्व सीओपीडी दिवस (15 नवंबर, 2023) मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद से पल्मोनोलॉजी विभाग की सीनियर कंसल्टेंट एवं एचओडी डॉ. विद्या नायर ने कहा कि क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ों का एक ऐसा रोग है जिसमें फेफड़ों की साँस की नलियों में सूजन, रूकावट आने लगती है और फेफड़ों की कोशिकाओं में खराबी आ जाती है। धूम्रपान व प्रदूषण सीओपीडी रोग का सबसे बड़े कारण हैं।
वहीं, ग्रामीण क्षेत्र में जिन घरों में आज भी चूल्हे पर लकड़ी जलाकर खाना पकाया जाता है, वहां की ज्यादातर महिलाएं सीओपीडी की शिकार हो सकती हैं। मौसम में बदलाव और बढ़ते प्रदूषण के कारण वायु में पार्टिकुलेट मैटर काफी बढ़ जाता है जिससे वायु की गुणवत्ता बहुत कम हो जाती है और प्रदूषित गैस जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है जो साँस की नली के लिए बहुत ज्यादा खराब होता है।
इनसे साँस के नली के अन्दर सूजन ज्यादा आती है, बलगम ज्यादा बनती है और ज्यादा रूकावट आती है जिसकी वजह से पहले से साँस के रोगी या जिनके फेफड़ें कमजोर होते हैं, उनमें साँस का अटैक आ जाता है। फिर मरीजों की दवाइयां और बढ़ानी पड़ती हैं। कोरोना से ठीक हुए सीओपीडी के मरीजों के फेफड़ों की कार्यक्षमता कुछ समय तक थोड़ी कमजोर होती है जिसके कारण ऐसे मरीजों के फेफड़ों पर ज्यादा दबाव होता है। इस कारण ऐसे मरीजों को सर्दी और प्रदूषण की वजह से ज्यादा परेशानी हो सकती है। सीओपीडी के गंभीर मरीजों में ऑक्सीजन की कमी होती है जिससे उन्हें सर्दी और प्रदूषण से और ज्यादा खतरा हो सकता है।
सावधानियां:
· मरीज अपनी दवाइयां नियमित रूप से लेते रहें
· अपना टीकाकरण पूरा रखें
· घर से बाहर न निकलें
· किसी भी लक्षण के बिगड़ने पर तुरंत अपने साँस रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें