टुडे एक्सप्रेस न्यूज़। रिपोर्ट अजय वर्मा। तेजी से बढती मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम करने एवं इस बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 10 अक्टूबर को ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस’ मनाया जाता है। इस अवसर पर जानकारी देते हुए मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद से क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट डॉ. जया सुकुल ने कहा कि आज एंग्जायटी लोगों के बीच सबसे बड़ी मानसिक स्वास्थ्य समस्या बन गई है। ओपीडी में रोजाना 10-12 लोग एंग्जायटी के साथ आते हैं। इनमें 25-35 वर्ष की आयु वर्ग के सबसे ज्यादा मरीज हैं जो अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में एंग्जायटी की समस्या से जूझ रहे है।
कुछ मरीज ऑब्सेसिव कंप्लसिव डिसॉर्डर (ओसीडी) के भी आते हैं। ओसीडी-यह एक चिंता करने वाली बीमारी है, जिसमें पीड़ित शख्स किसी बात की जरूरत-से-ज्यादा चिंता करने लगता है। एक ही जैसे अनचाहे ख्याल उसे बार- बार आते हैं और एक ही काम को बार-बार दोहराना चाहता है।
25-35 वर्ष की आयु वर्ग के मरीजों को थेरेपी की ज्यादा जरूरत होती है। इस आयु वर्ग के लोग मानसिक समस्या के लिए इलाज लेने से भी नहीं कतराते हैं क्योंकि वे इलाज को एक स्वास्थ्य लाभ के रूप में देखते हैं। हर व्यक्ति को सोचना चाहिए कि मानसिक तनाव को नियंत्रित कर वे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ा सकते है।
सलाह:
घबराहट और बैचैनी होना सामान्य इमोशन होते हैं। इन्हें लेकर ज्यादा चिंता न करें। एंग्जायटी के सामने कभी हार नहीं माननी चाहिए बल्कि इसे चैलेंज करना चाहिए।