दिमाग में चिप लगा 59 वर्षीय मरीज को दिलाई व्हीलचेयर से निजात

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Photo Caption-मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में 59 वर्षीय मरीज हुसेन अशौर करेम के साथ खड़े हैं ब्रेन एवं स्पाइन सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. तरुण शर्मा और ब्रेन एंड स्पाइन सर्जरी विभाग के एचओडी एवं सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सचिन गोयल

टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ । रिपोर्ट अजय वर्मा । फरीदाबाद: मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में चिकित्सकों ने 59 वर्षीय हुसेन अशौर करेम के ब्रेन में चिप लगाकर व्हीलचेयर की पीड़ा भरी जिंदगी से राहत दिलाई। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स के ब्रेन एवं स्पाइन सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. तरुण शर्मा ने बताया कि पार्किंसन बीमारी से ग्रस्त इराकी मरीज व्हीलचेयर पर आया था। हाथ-पैरों में इतना ज्यादा अकडन और कंपन था कि मरीज बिना किसी सहारे के चल नहीं सकता था, ठीक से बोल भी नहीं पा रहा था, खाना भी नहीं खा सकता था और कपड़े भी नहीं पहन सकता था लेकिन मरीज की याददाश्त ठीक थी। लगभग 4-5 साल से मेडिकल मैनेजमेंट (दवाओं) पर था लेकिन उसे बीमारी से आराम नहीं मिला रहा था। बीमारी एडवांस्ड स्तर पर पहुँच गई थी इसलिए दवाओं से आराम नहीं मिल रहा था। हमने मरीज की विस्तारपूर्वक जाँच की और फिर कंप्यूटर गाइडेड न्यूरो नेविगेशन तकनीक की मदद से डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) सर्जरी की गई। सर्जरी के कुछ घंटों के बाद मरीज के शरीर में अकडन और कंपन की समस्या दूर हो गई। मरीज ने बिना किसी सहारे के चलना-फिरना शुरू कर दिया। अपने हाथों से खाना खाना शुरू किया और अच्छे से बोलना भी शुरू कर दिया। मरीज स्वस्थ होने पर मरीज को डिस्चार्ज कर दिया। लंबे समय बाद अपने पैरों पर खड़ा होने पर मरीज बेहद खुश हुआ और उसने डॉक्टर एवं हॉस्पिटल का तहे दिल से धन्यवाद किया।

डॉ. तरुण शर्मा ने कहा कि सर्जरी द्वारा मरीज के दिमाग के कंट्रोल वाले हिस्से में इलेक्ट्रोड डाले गए और फिर इलेक्ट्रोड को छाती में एक बैटरी से कनेक्ट किया गया। ये बैटरी ब्रेन के इलेक्ट्रोड को करंट देती रहती है। ये बैटरी व्यक्ति की बॉडी एनर्जी से ही चार्ज होती रहती है। इस प्रकार की सर्जरी के दौरान मरीज पूरी तरह होश में होता है। सर्जरी में 7-8 घंटे का समय लगा। सर्जरी में ब्रेन एवं स्पाइन सर्जरी विभाग से डॉ. सचिन गोयल का भी अहम् योगदान रहा।

पार्किंसंस एक जेनेटिक (आनुवंशिक) रोग है। शराब का अत्यधिक सेवन एवं धूम्रपान ज्यादा करना, खराब जीवनशैली, व्यायाम न करना, डायबिटीज, कोलेस्ट्रोल का बढ़ना और एक से अधिक स्ट्रोक आना आदि इसके मुख्य कारण हैं। इसलिए आज यह बीमारी युवा लोगों में भी देखने को मिल रही है। इस तरह की बीमारी के शुरूआती लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है। अगर किसी परिवार में किसी सदस्य को पहले एक तरह की बीमारी की फैमिली हिस्ट्री है और बॉडी में जकड़न एवं हाथ-पैरों में कंपन महसूस हो रही है और शरीर में फुर्ती की कमी हो रही है तो यह पार्किंसन बीमारी के शुरुआत लक्षण हो सकते हैं इसलिए तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट या न्यूरो सर्जन से संपर्क करें।

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