मानव रचना सेंटर फॉर पीस एंड सस्टेनेबिलिटी के तहत शुरू हुआ अभियान

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Campaign started under Manav Rachna Center for Peace and Sustainability

टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ | रिपोर्ट अजय वर्मा | फरीदाबाद, शनिवार, 23 अप्रैल, 2022: ‘इन्वेस्ट इन आवर अर्थ’ पृथ्वी दिवस 2022 का विषय है जो सभी को सस्टेनेबल प्रथाओं की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। पृथ्वी दिवस सभी के लिए एक अनुस्मारक है कि “हमारा इकोसिस्टम जितना स्वस्थ होगा, हमारा ग्रह और उसके लोग उतने ही स्वस्थ होंगे”।

इसी को ध्यान में रखते हुए मानव रचना यूनिवर्सिटी में एएनजी (अडॉप्ट, नर्चर, ग्रो) वृक्षारोपण अभियान शुरू किया गया है, जिसका उद्घाटन श्री जितेंद्र यादव, आईएएस, उपायुक्त, फरीदाबाद, द्वारा प्रो. (डॉ.) आई के भट, कुलपति, मानव रचना यूनिवर्सिटी (एमआरयू) की उपस्थिति में किया गया।

मानव रचना सेंटर फॉर पीस एंड सस्टेनेबिलिटी, एमआरयू के 500 से अधिक ‘ग्रीन वॉरियर्स’ ने इस अभियान के बारे में जागरूकता फैलाने और पर्यावरण की रक्षा के लिए आवश्यक उपाय करने का संकल्प लिया।

श्री जितेंद्र यादव ने एक पौधा रोपा और व्यक्तिगत रूप से समय-समय पर परिसर का दौरा कर उसकी ग्रोथ की निगरानी करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा, “हमें अपने पेड़ों की रक्षा के अलावा पौधे लगाकर और देखभाल करके धरती मां की देखभाल करने की जरूरत है।”

उन्होंने छात्रों को गोद लेने के लिए पौधे भी सौंपे, जिनकी वे 3 महीने तक देखभाल करेंगे और विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून, 2022) के अवसर पर लगाएंगे।

इस अवसर पर भारत के ट्री मैन श्री दीपक गौर ने भी परिसर का दौरा किया और छात्रों को एक मिशन को अपनाने और उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने साझा किया कि कैसे उन्होंने पेड़ लगाने के लिए अपना जीवन समर्पित करने की ठानी है।

डॉ. आई.के. भट ने साझा किया, “मनुष्य के रूप में, हम पृथ्वी माता को प्रमुख रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं और इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी और जवाबदेही है कि हम अपने अस्तित्व और आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की देखभाल करें।” उन्होंने आगे कहा, “एक संस्था के रूप में, मानव रचना लोगों को उनके निर्णयों, कार्यों और व्यवहार के बारे में जागरूक करने के लिए प्रतिबद्ध है जो पर्यावरण को प्रभावित करते हैं। परिसर भी हरित और कार्बन न्यूट्रल परिसर बनने की प्रक्रिया में है।”

मानव रचना को आत्मनिर्भर बनाने के सपने को हकीकत में लाने के लिए, प्रमुख पहल की गई हैं: अक्षय ऊर्जा के उत्पादन के लिए परिसर में सौर फोटोवोल्टिक सिस्टम की स्थापना; टैंकों में भंडारण और आगे उपयोग के लिए वर्षा जल एकत्र करने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में चार स्थानों पर वर्षा जल संचयन प्रणाली चालू करना; सीवेज के पानी के पुनर्चक्रण के लिए विश्वविद्यालय परिसर में 200 केएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करना, जिसका उपयोग परिसर के बगीचों और लॉन में पौधों को पानी देने और परिसर में शौचालयों को फ्लश करने के लिए किया जाता है।

कैंपस को कार्बन न्यूट्रल और इको-ग्रीन बनाने की दिशा में प्रयासों को और मजबूत करने के लिए, विश्वविद्यालय परिसर में 75 किलोग्राम क्षमता का एक स्वचालित बायो-कम्पोस्टर स्थापित किया गया है जो प्रतिदिन जैविक कचरे को खाद में परिवर्तित करता है।

‘गो ग्रीन’ प्रयास में, मानव रचना युवाओं को इस मिशन में सबसे आगे रहने के लिए सशक्त बनाना चाहती है। मानव रचना में हरित योद्धाओं की सेना खड़ी की जा रही है जो पर्यावरण को बचाने और कार्बन तटस्थता प्राप्त करने के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इस आंदोलन का नेतृत्व करेंगे।

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