टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ । रिपोर्ट अजय वर्मा । सूरजकुंड (फरीदाबाद), 21 मार्च। सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में पहुंचने वाले दर्शकों का पारंपरिक वेशभूषा में कलाकार परम्परागत वाद्य यंत्रों की सुरीली धुनों से स्वागत कर रहे हैं, वहीं बच्चे, युवा व बुजुर्ग भी ढोल-नगाडों की थाप व बीन सारंगी बैगपाइपर की धुनों पर स्वंय को थिरकने से रोक नहीं पर रहे हैं। युवा पीढ़ी में भी प्राचीन समृद्ध संस्कृति के प्रति अपार प्रेम नजर आ रहा है तथा इन सांस्कृतिक टीमों की धुनों पर युवाओं के पैर थिरकने लगते हैं। मेला परिसर में जगह-जगह पारम्परिक वेशभूषा से सुसज्जित ऐसी सांस्कृतिक टोलियां लोगों का खूब मनोरंजन कर रही हैं। मेला परिसर में करनाल गांव के समोही निवासी साहिल की 8 सदस्यीय बैगपाइपर पार्टी की धुन पर युवतियां थिरकती नजर आईं। यह पार्टी मोरबीन, चिमटा, सेट्रम तथा डूबी आदि वाद्य यंत्रों की सुरीली धुनें बिखेर कर लोगों का मनोरंजन कर रही हैं। इसी तरह चरखी दादरी निवासी अनूप कुमार की 6 सदस्यीय डेरू पार्टी तथा जींद जिला के गांव थुआ निवासी बलकार की सारंगी पार्टी भी गोगापीर, गोरखनाथ गायन से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर रही हैं। जिला हिसार की सारंगी पार्टी हीर-रांझा के गायन से लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। सारंगी वादक सतबीर सिंह के साथ 6 सदस्यीय टीम में 4 सारंगी व 2 ढपली वादक हैं। इन कलाकारों की 6 पीढिय़ां लोगों का मनोरंजन करती आ रही हैं। सुलतान निहालदे व शशि पन्नू दो ऐसे प्रेमी जोड़े रहे हैं, जो अपने सत पर डटे रहे। बीजा सोरठ, गुल्लाभट्टïी दोनो जोगियों के राग हैं। जैमल फत्ता राजे महाराजों के रजवाडों के साखे हुआ करते थे। यह सभी राम के जोगी गाते थे। जिला जींद के खरल निवासी प्रेम जोगी व जिला कैथल के किठाना निवासी प्रताप सिंह की पार्टियां भी शिल्प मेले में प्राचीन लोक संस्कृति की झलक बिखेर रही हैं।