डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय,फरीदाबाद में नई ‘शिक्षा नीति 2020’ पर हुआ परिचर्चा का आयोजन ।

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DAV A discussion on the new 'Education Policy 2020' was organized at Centenary College, Faridabad.

टुडे एक्सप्रेस  न्यूज़ । रिपोर्ट । अजय वर्मा । डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय,फरीदाबाद में नई ‘शिक्षा नीति 2020’ पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा का उद्देश्य शिक्षकों को नई शिक्षा नीति के तहत होने वाले संभावित परिवर्तनों से परिचित करने के साथ-साथ भविष्य के लिए तैयार होने के लिए जागरूक करने का रहा | परिचर्चा में मुख्य वक्ता के तौर पर डॉ. बी.के. कुठियाला जी, अध्यक्ष, उच्चतर शिक्षा परिषद, हरियाणा शिक्षकों से रूबरू हुए व् नई ‘शिक्षा नीति 2020’ पर अपनी समृद्ध सोच व् विचार रखे। पिछले चार दशक से प्रो. कुठियाला जी, शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रो में अपना योगदान देते रहे हैं। उन्होंने माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति के रुप में कार्य किया | वर्तमान में पंचनद शोध संस्थान के डायरेक्टर एवं इण्डिया मीडिया सेण्टर के वाईस प्रेसीडेण्ट के रुप में कार्यरत है।

महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ.सविता भगत ने प्रो. कुठियाला एवं महाविद्यालय के सभी शिक्षकों का स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपने अध्यक्षीय भाषण में प्राचार्या ने शिक्षको को अपने पेशे के प्रति चेतना, सोच, प्रतिबद्धता व् क्षमता का पालन करने की बात कही। प्रो. कुठियाला जी ने शिक्षकों को बताया कि इस नई शिक्षा नीति का उद्देश्य शिक्षा को ज्यादा सुगम, सरल व् सार्थक बनाना है, जिस उन्नत, विकसित व् अभिनव भारत की बातें हम करते हैं, उसकी तरफ पहुंच का ये एक बड़ा प्रयास है | आज के युवा को जैसी शिक्षा आज दी जाएगी वैसा ही उसका भविष्य होगा और इस भविष्य को सँवारने में अगर सबसे बड़े योगदान की बात की जाये तो वो योगदान होता है शिक्षकों का | शिक्षकों हो हमेशा इस बात का एहसास होना चाहिए की वो विशेष हैं क्योंकि भविष्य के निर्माण की जिम्मेदारी उन पर है | उनके शिक्षण से ही छात्र भविष्य में किसी भी व्यवसाय में अपना योगदान दे पायेंगे इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि सैद्धांतिक शिक्षण के साथ-साथ उनको व्यावहारिक ज्ञान भी दिया जाये | ये व्यावहारिक ज्ञान आज के समय की मांग के अनुसार होना चाहिए जैसे आप छात्रों को ऑनलाइन जी. एस. टी., इनकम टैक्स, ट्विटर हैंडलिंग, ब्लॉगिंग जैसी व्यावहारिक बातें भी बताइये जिनको अपनाकर वो अपनी कमाई का जरिया बना सके | इसके बाद परिचर्चा में महाविद्यालय के शिक्षकों ने अपने प्रश्न कुठियाला जी से किये |

कार्यक्रम में महाविद्यालय के शिक्षकों के अतिरिक्त पंचनद शोध संस्थान के कुछ गणमान्य अतिथि, डी.ए.वी. कॉलेज के इतिहास विभाग के पूर्वाध्यक्ष डॉ. दिनेश कुमार भी उपस्थित रहे। यह परिचर्चा काफी लाभदायक रही जिसको अपनाकर शिक्षक अपने शिक्षण को और बेहतर बना सकते हैं |

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