फरीदाबाद। लोधी राजपूत जन कल्याण समिति (रजि) फरीदाबाद ने परम श्रद्धेय स्वामी ब्रह्मानन्द जी के 37वें निर्वाण दिवस पर अपने कार्यालय डबुआ कालोनी, सैक्टर.50 में सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ श्रद्धासुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। समिति के संस्थापक लाखन सिंह लोधी ने श्रद्धांजलि कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वामी ब्रह्मानन्द जी का जन्म 4 दिसम्बर 1894 को हमीरपुर जनपद की राठ तहसील के ग्राम बरहरा में सुसम्पन्न लोधी क्षत्रिय परिवार में हुआ था। इन्होंने 24 वर्ष की आयु में हरिद्वार में हर की पैड़ी पर सन्यास ग्रहण करते समय गंगा में खड़े होकर प्रतिज्ञा ली कि जीवनपर्यंत (दृव्य) को हाथ से स्पर्श नहीं करूंगा और कभी भी स्त्रीगमन नहीं करूंगा, पूर्णत: पालन किया। स्वामी ब्रह्मानन्द, गांधी जी के सम्पर्क में आने के बाद देश की स्वतंत्रता के लिए (नमक कानून) तोडऩे के लिए जेल गए। ऐसे ही आन्दोलनों के लिए स्वामी जी को कई बार जेल जाना पड़ा।
लाखन सिंह लोधी ने कहा कि गौ-रक्षा के लिए सर्वप्रथम संसद में कानून पारित कराने के लिए लिखित ज्ञापन देने वाले स्वामी ब्राह्मानन्द दो बार सांसद रहे। स्वामी जी सरकार से मिली राशि को गरीबों, असहायों में और शिक्षा के क्षेत्र में लगाते थे और स्वयं भिक्षा कर जीवनोपार्जन करते थे। इन्होंने बुन्देलखण्ड में शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय कार्य किए हैं। हमीरपुर-राठ में स्वामी ब्राह्मानन्द इण्टर कालेज, डिग्री कालेज एवं संस्कृत महाविद्यालय जैसे संस्थान विद्यमान हैं। स्वामी जी मानवतावादी विचारक, लोधान्ती भाषा के महान कवि, प्रखर एवं निर्भीक वक्ता, त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति, सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय के मूर्त अवतार, निष्काम कर्मयोगी, बुन्देलखण्ड के चाणक्य एवं बुन्देलखण्ड के मालवीय की उपाधि से महिमामंडित स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी, आदर्शवादी सन्त सांसद, भारतरत्नके सच्चे हकदार, सन्त प्रवर स्वामी ब्राह्मानन्द के पद चिन्हों पर चलकर एक अच्छे समाज और राष्ट्र की परिकल्पना कर हम सभी मिलकर स्वामी जी के निर्वाण-दिवस पर श्रद्धासुमन अर्पित करें।
इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में विशेष रूप से अध्यक्ष रूप सिंह लोधी, रामगोपाल लोधी, लाखन सिंह लोधी राजपूत, नन्दकिशोर लोधी, संजीव कुशवाहा, दीपक शर्मा, महीपाल सिंह लोधी, होती लाल लोधी, ओम प्रकाश लोधी, फतेहसिंह लोधी राजपूत, नरेन्द्र सिंह राजपूत आदि उपस्थित रहे।