नारी सशक्तिकरण और लिंग संवेदीकरण पर डीएवी शताब्दी कॉलेज फरीदाबाद में राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

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National webinar organized at DAV Shatabdi College, Faridabad on women empowerment and gender sensitization
Photo By DAV Centenary College Faridabad (PRO)

Today Express News / Report / Ajay Verma / वैश्वीकरण के इस युग में समाज में स्त्री और पुरुष दोनों के अस्तित्व को समान महत्व प्रदान किया गया  है परंतु विकास के इस दौर में भी समाज में कुछ कोने ऐसे भी हैं जहां आज भी लिंग भेद की चर्चा विद्यमान है  | इस बदलते हुए समय में स्त्री सशक्तिकरण और लिंग संवेदीकरण की मांग और उससे जुड़ी समस्याओं पर दृष्टि डालने के लिए डीएवी शताब्दी कॉलेज फरीदाबाद में राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया |  इस वेबिनार में डीएवीसीएमसी नई दिल्ली के प्रेसिडेंट पदम श्री डॉ पूनम सूरी जी मुख्य संरक्षक थे | बतौर मुख्य अतिथि भूत पूर्व आईएएस और डीएवीसीएमसी नई दिल्ली के उच्च शिक्षा निदेशक श्री शिव रमन गौड़ जी उपस्थित रहे |  इस वेबिनार में मुख्य वक्ता सीएसआईआर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड डेवलपमेंट स्टडीज नई दिल्ली की निर्देशिका डॉ रंजना अग्रवाल थी | सर्वप्रथम कॉलेज की प्राचार्या डॉ सविता भगत ने मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता के व्यक्तित्व से सभी को परिचय कराते हुए उनका हार्दिक अभिनंदन किया | डॉ भगत ने वर्तमान में नारी सशक्तिकरण का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि कोविड-19 की मार से केवल उन्हीं देशों को शीघ्र मुक्ति मिली है जिन देशों की सत्ता की बागडोर महिलाओं के हाथ में थी |

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उन्होंने आजकल के समय के सर्वाधिक मांग –  ‘घर पर रहें सुरक्षित रहें’ पर टिप्पणी करते हुए अत्यंत दुख व्यक्त किया और कहा कि आज भी समाज में कुछ वहशी दरिंदे लोग ऐसे हैं जिनके कारण स्त्रियां अपने ही घर में सुरक्षित नहीं है |  इसलिए हर क्षेत्र में और हर स्तर पर महिलाओं को और अधिक सजग और सचेत रहने की आवश्यकता है |  मुख्य अतिथि श्री शिव रमन गौर  ने नारी सशक्तिकरण की परिभाषा बताते हुए कहा कहा कि प्रत्येक स्त्री को अपने निर्णय स्वयं लेने की अनुमति मिलनी चाहिए और ऐसा केवल तभी संभव होगा जब स्त्रियां साक्षर  हो | उन्होंने बताया कि निसंदेह आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं परंतु आज भी ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है| वास्तव में समाज के विकास की अनुभूति का विश्लेषण स्त्री पुरुष को समान अधिकार दिए बिना संभव नहीं है | इस वेबिनार के मुख्य वक्ता डॉ रंजना अग्रवाल ने विस्तार से कहानियों और सत्य घटनाओं के उदाहरण से प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक में स्त्रियों की दशा से परिचय कराया | उन्होंने आज की तारीख में नारियों की दशा सुधारने के लिए स्वयं नारी से खुद की भूमिका को पूर्ण करने की मांग की |उन्होंने कहा कि परिवार समाज और सरकार के सहयोग से ही नारी सशक्तिकरण की सफलता संभव है | नारियों को सर्वप्रथम अपने विचारों और भावनाओं के द्वंद से बाहर निकलना होगा तभी सही अर्थों में नारी अपनी शक्ति को पहचान सकेगी | इस अवसर पर कॉलेज के एस ऍफ़ एस ओवरआल कोऑर्डिनेटर डॉ अर्चना भाटिया  ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज जरूरत है हर सक्षम स्त्री को अपने से कम सक्षम स्त्री का साथ देने की और आशावादी बनकर सकारात्मक ऊर्जा के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करने की जिससे वह अपने कानूनी अधिकारों का लाभ उठा सकें | कार्यक्रम की संयोजिका और कॉलेज के वीमेन सेल की इंचार्ज डॉ रूचि मल्होत्रा ने अंत में सभी प्रतिभागियों के प्रश्न का उत्तर मुख्य वक्ता से जानने के बाद सभी का हार्दिक धन्यवाद किया | कार्यक्रम का संचालन अंकिता मोहिंद्र ने किया |  इस वेबिनार से निकले सुझावों को वास्तविकता के धरातल पर चरितार्थ करने की मांग को उचित ठहराते हुए समाज में स्त्री के साथ साथ पुरुषों को भी महिला सशक्तिकरण पर जागरूक होने की आवश्यकता महसूस की गई | इस राष्ट्रीय वेबिनार के  सफलतापूर्वक आयोजन में कार्यकारी सचिव प्रमोद कुमार, डॉ प्रिया कपूर  रितु सचदेवा व्  दिनेश चौधरी की अहम भूमिका रही |

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