Today Express News / Report / Ajay Verma / नई दिल्ली, 15 जुलाई, 2020: देश इस अभूतपूर्व समय में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में ग्लोबल आईआईटी एल्युमनी कम्युनिटी ने वर्तमान संकट में चुनौतियों का हल निकालने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के दिग्गज हितधारकों को साथ में लाया है। तीन-हफ्ते के पैन-आईआईटी ग्लोबल ई-कॉन्क्लेव के दूसरे फेज में ग्लोबल आईआईटी एल्युमनी और भारतीय पॉलिसी मेकर्स, इंडस्ट्री कैप्टन और थर्ड सेक्टर लीडर्स ने स्किल और जॉब्स, हेल्थकेयर और राज्यों के पुनर्निर्माण पर गहन चर्चा की।
पहला सेशन ‘रीबिल्डिंग स्किल्स एंड जॉब्स’ पर था जिसका संचालन अरुण कुमार नंदा (अध्यक्ष एनएसडीसी) ने किया। इस सेशन में महेंद्र नाथ पांडे (केंद्रीय स्किल डेवलपमेंट और उद्यमिता मंत्री), सुब्रोतो बागची (चेयरमैन- ओडिशा स्किल डेवलपमेंट अथॉरिटी) और बी. मुथुरमन (चेयरमैन- प्रेझा) भी शामिल थे। पैनल ने भारत में स्किल्ड लेबर्स की मांग और आपूर्ति को पूरा करने के सामने आने वाली चुनौती पर व्यापक तौर पर प्रकाश डाला। उन्होंने न केवल सरकार द्वारा प्रायर लर्निंग के महत्व को समझने पर जोर दिया बल्कि स्किलिंग सिस्टम में इंडस्ट्री की भागीदारी, मांग-आपूर्ति के अंतर को खत्म करने, करिकुलम डिजाइन करने और पेडेगॉगी ट्रेनिंग से टीचर्स की ट्रेनिंग तक, युवाओं को रोजगार करने योग्य बनाने के लिए एप्रेंटिसशिप अवसर प्रदान करने की भी बात की।
इस बीच, आईआईटी बॉम्बे के एल्युमनी और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ ‘रीबिल्डिंग स्टेट्स’ विषय पर मुख्यमंत्रियों के पैनल के दौरान बातचीत की। दोनों ने पिछले 20 वर्षों में राज्य के विकास में वृद्धि पर चर्चा की, राज्य में स्थानीय जनजातियों के लिए रोजगार अवसर बढ़ाने और इसमें एनजीओ की भूमिका के लिए कौशल विकास का महत्व समझाया।
हरि एस. भारतिया (फाउंडर और को-चेयरमैन, जुबलंट भारतिया ग्रुप) ने ‘री-बिल्डिंग हेल्थकेयर’ सेशन का संचालन किया। इसमें मुख्य वक्ता के तौर पर डॉ. रणदीप गुलेरिया (डायरेक्टर-एम्स दिल्ली) और डॉ. सौम्या स्वामीनाथन (चीफ साइंटिस्ट, डब्लूएचओ) ने भाग लिया। उन्होंने महामारी प्रबंधन के भारतीय अनुभव पर प्रकाश डाला। उन्होंने हेल्थकेयर के भविष्य को परिभाषित करने के लिए मनुष्य-केंद्रित इलाज के लिए टेक्नोलॉजी, डेटा इंटिग्रेशन और डेटा शेयरिंग समर्थित हेल्थकेयर इनोवेशन पर जोर दिया।
डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, “महामारी ने हमें कुछ महत्वपूर्ण सबक सिखाए हैं। इस तरह की महामारी हमारे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर भारी पड़ सकती है। हमें रोगियों की बढ़ती संख्या के प्रबंधन के मामले में अतिरिक्त प्रयास करने पड़े। हमारा हेल्थकेयर सिस्टम अपनी क्षमता से बहुत ज्यादा काम कर रहा है क्योंकि महामारी का प्रबंधन करने के लिए खुद को रीऑर्गेनाइज करना काफी चुनौतीपूर्ण था। इस प्रक्रिया में हमने महसूस किया कि सबसे बड़ी चुनौती क्रिटिकल केयर थी। भले ही हमारे पास सरकारी, राज्यों के और सार्वजनिक श्रेणी के अस्पताल हैं, लेकिन क्रिटिकल केयर में किया निवेश और प्रशिक्षण पर्याप्त नहीं था। इससे एक ऐसी स्थिति पैदा हुई, जहां हमें वेल्थ स्ट्रेटजी को इनोवेट करना था कि किस तरह हम प्राथमिक स्तर पर अच्छा क्रिटिकल केयर मैनेजमेंट विकसित कर सकते हैं। टेलीमेडिसिन के लिए जिला स्तर पर हेल्थ टेक्नोलॉजी का उपयोग कर मरीजों को डॉक्टरों तक पहुंचा सकते हैं।”
इस बीच, आईआईटी डायेरक्टरों के राउंडटेबल सेशन में संस्थान प्रमुखों ने भाग लियाः अर्जुन मल्होत्रा (सह-संस्थापक एचसीएल टेक्नोलॉजीज और आईआईटी खड़गपुर पूर्व छात्र) ने मॉडरेट किया और उन्होंने सुभाशीष चौधरी (बॉम्बे), अभय करंदीकर (कानपुर), के.एन. सत्यनारायण (तिरुपति) और बी.एस. मूर्ती (हैदराबाद) से बातचीत कर सेशन को आगे बढ़ाया। शिक्षाविदों ने इस दौरान महामारी के बीच लर्निंग को ब्रांड की ओर से किस तरह जारी रखा जाए और ऑनलाइन शिफ्टिंग के लिए स्ट्रेटजिक प्लानिंग जैसी सामयिक चुनौतियों के बढ़ने; आईआईटी को एक ब्रांड के रूप में कायम रखते हुए आईआईटी के लिए वर्क-फ्रॉम-होम को नए नॉर्मल के रूप में लेने के प्रभावों पर विचार किया गया।
केएन सत्यनारायण ने कहा, “मार्च के बाद से यह एक बड़ी चुनौती बन चुका है। मार्च में हमें अपनी कक्षाओं को निलंबित करना पड़ा। अपने छात्रों से उनकी सुरक्षा के लिए घर जाने का अनुरोध करना पड़ा। तब तक, सेमेस्टर का दो-तिहाई हिस्सा पढ़ाया जा चुका था और हमें बाकी के पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए ऑनलाइन लर्निंग मोड में शिफ्ट होना पड़ा। मुझे कहना होगा कि हमारे फेकल्टी ने लर्निंग के एक विशेष मोड में जाने के लिए तुरंत उस पर काम किया। भले ही कंप्यूटर की सुलभता, कनेक्टिविटी और डेटा की उपलब्धता के मुद्दे आए, लेकिन हम यह देखकर काफी प्रभावित हैं कि 85-90% स्टूडेंट्स उन समस्याओं को दूर कर ऑनलाइन शिफ्ट होने में कामयाब रहे हैं। हम यह स्टैंड ले रहे हैं कि यदि हम इन 90% स्टूडेंट्स तक ऑनलाइन लर्निंग तक पहुंचाने में सक्षम हो रहे हैं, तो हमें इसे कायम रखना चाहिए। वहीं हम बाकी स्टूडेंट्स के साथ जुड़कर काम कर सकते हैं। उन्हें ड्राइव के माध्यम से लेक्चर नोट्स भेज सकते हैं। हम उन्हें हमारे कोर्स प्लेटफ़ॉर्म पर होस्ट कर रहे हैं, जिसे वे इंटरनेट तक पहुंच प्राप्त करने पर आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। हालांकि, हमारी सबसे महत्वपूर्ण चुनौती यह थी कि चॉक-एंड-टॉक मोड में अभ्यस्त हो चुके फेकल्टी मेंबर ऑनलाइन माध्यम को किस तरह अपनाएं। यह एक बहुत बड़ा बदलाव है और मुझे खुशी है कि अब वे टीचिंग की इस मिश्रित विधा के अभ्यस्त हो रहे हैं।”
ई-कॉन्क्लेव के दूसरे फेज में असेसमेंट और रणनीति तैयार की गई। पैन आईआईटी एल्युमनी रीच फॉर इंडिया फाउंडेशन अब आने वाले वीकेंड्स में आगामी सत्र के लिए फिर से तैयार है जिसमें री-बिल्डिंग एग्रीकल्चर एंड फूड सिक्योरिटी, रीबिल्डिंग स्टेट्स विषय पर 18 जुलाई को और रीबिल्डिंग इंडस्ट्री एंड री-इमेजनिंग एमएसएमई एंड लाइवलीहूड विषय पर 19 जुलाई को और रोचक पैनल होंगे।
पैनआईआईटी एल्युमनी रीच फॉर इंडिया फाउंडेशन के बारे में
पैन आईआईटी एल्युमनी रीच फॉर इंडिया फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी सेक्शन-8 कंपनी है और पैन आईआईटी इंडिया एल्युमनी की राष्ट्र निर्माण शाखा है। पिछले दस वर्षों में, फाउंडेशन ने सरकार और व्यापार के साथ हितधारकों के तौर पर एक सफल सहयोगी मॉडल स्थापित किया है और एक आत्म-निर्भर, रोजगार के अवसरों वाला, कर्ज से फंडिंग के साथ, वोकेशनल ट्रेनिंग मॉडल बनाकर कमजोर तबके के लोगों के लिए आय और आजीविका बढ़ाने पर काम किया है। फाउंडेशन पैनआईआईटीयन पेशेवरों और डोमेन विशेषज्ञों द्वारा प्रबंधित किया जाता है और पैनआईआईटीयन एल्युमनी के एक सलाहकार बोर्ड द्वारा इसकी देखरेख की जाती है। इसमें कॉर्पोरेट और शिक्षा जगत से कई प्रतिष्ठित हस्तियों को आमंत्रित किया जाता है। फाउंडेशन 100% सुनिश्चित प्लेसमेंट और लोन फाइनेंसिंग के साथ वंचित और आदिवासी युवाओं के लिए ‘रूरल स्किल गुरुकुल’ (अल्पकालिक कौशल कार्यक्रम) और ‘कौशल कॉलेजों’ (2 वर्ष के आवासीय कार्यक्रम) पेश करता है और झारखंड सरकार के साथ एक संयुक्त उद्यम संचालित कर रहा है। यह अब बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे अन्य राज्यों में उपस्थिति बढ़ा रहा है।