किस शिकायत के आधार पर वरुण श्योकंद पर हुई F. I. R. दर्ज , खबर पढ़े और जाने

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Today Express News / Report / Subhash Sharma / फरीदाबाद में आरटीआई एक्टिविस्ट और समाजसेवी के नाम से जाना – जाने वाला एक युवक जिसका नाम वरुण श्योकंद है।  इन दिनों सोशल मीडिया पर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने का मामला सामने आ रहा रहा है। सभी के जहन में एक ही सवाल उठ रहा है की आखिरकार वरुण श्योकंद नाम के इस समाजसेवी पर एफआईआर क्यों दर्ज की गयी है।

अगर आप यह जानना चाहते है तो खबर को अंत तक पढ़े। 

बिजली विभाग से फर्जी दस्तावेज के आधार पर लाखों रुपए के ठेके लेने व मोटी पेमेंट लेकर नियमों के तहत काम ना करने के आरोप में थाना मुजेसर में वरुण शिवकंद पुत्र रणधीर सिंह निवासी 1157 सेक्टर 9 के खिलाफ आईपीसी की धारा 419,   420 , 467 , 468 , 471 के तहत एफआईआर नंबर  284 दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार आरोपी श्योकंद अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए फिलहाल भूमिगत हो गया हैं।

मुजेसर थाने में दर्ज एफआईआर को बिजली विभाग के अधिकारी बी.के. रंजन अतिरिक्त एक्सईएन कंस्ट्रक्शन dhbvn रेवाड़ी एवं मुजेसर ने दर्ज करवाया है।  अपनी शिकायत में उन्होंने कहा है कि बिजली विभाग में सुधार कार्य के लिए वर्ष 2011 में टैंडर आमंत्रित  किये थे।  इसमें अन्य ठेकेदारों के साथ साथ वरुण श्योकंद ने अपनी फर्म एम. एस. श्योकंद इलेक्ट्रिकल्स के नाम से उक्त टैंडर प्रक्रिया में भाग लिया था ओर उसने उस वक्त तकनीक और वित्तीय मजबूती के जरूरी दस्तावेज भी साथ लगाय थे। सबसे कम बोली लगने के चलते वो कार्य उसे अलाट कर दिए गए। कुल 11 वर्क आर्डर श्योकंद की फर्म को अलाट किये गए ।  ये कार्य 73 , 39 , 436 व 362867 क्रमशः माल आपूर्ति व निर्माण के लिए एल ओ ए जारी कर 90 डी ए ई एस के भीतर काम पूरा करने का समय निश्चित था। आरोपी श्योकंद ने इन टैंडरों को हासिल करने के लिए जो दस्तावेज साथ लगाए थे जिसमें वित्तीय व तकनीकी दोनो थे बाद में जांच के दैरान ये दस्तावेज़ फर्जी पाए गए। शिकायतकर्ता ने एफआईआर में लिखित रूप से कहा है कि जब ये दस्तावेज टैंडर के समय साथ लगाए गए थे तब श्योकंद को अच्छी तरह से मालूम था कि वो फर्जी है और वह बोली प्रक्रिया में भाग लेने का हकदार नही था परन्तु इसके बावजूद उसने फर्जी दस्तावेज के आधार पर टैंडर हासिल कर लिया। एफआईआर में यह भी कहा गया है कि आरोपी ने पहले कुछ शिकायतें की ओर फिर मोटा भुगतान लेकर चुप हो गया । बाद में धोखाधड़ी के माध्यम से रनिंग पेमेंट के द्वारा मोटा भुगतान हासिल करने में भी आरोपी कामयाब हो गया।

इसमें विभागीय कर्मचारियों की भी मिलीभगत थी । बाद में इस घोटाले को उजागर करने के लिए विभागीय जांच करने का विभाग ने फैसला किया। श्री आर के. सोडा के नेतृत्व में मामले की जांच की गई ओर पाया कि आरोपी श्योकंद प्रथम दृश्य से अपराध में शामिल है। इस जांच के बाद विभाग ने सभी वर्क ऑर्डर्स को रद्द कर दिया ओर उसकी कंपनी को बैन कर दिया। बाद में आरोपी मिडिएशन में चला गया ताकि मामला लंबा खींचा जा सके । सीईआई रिपोर्ट के अनुसार आरोपी वरुण श्योकंद ने फर्जी रिकॉर्ड बनाकर निगम से एक बड़ी धनराशि ले ली जबकि वो एक भी पैसे का हकदार नही था। निगम ने इस मामले की जांच विजिलेंस शाखा से भी करवाई डीएसपी विजिलैंस ने जांच पूरी कर आलाधिकारियों को सौप दी ।

बाद में डीजीपी सह निदेशक विजिलैंस से भी जांच करवाने का निर्णय लिया गया। इस जांच के बाद उन्होंने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की जिसमे कहा गया कि वरुण श्योकंद निगम से धोखा करने , जाली दस्तावेजो के आधार पर टैंडर हासिल करने व बिना पूरा काम किये निगम से पैमेंट लेने काआरोपी है। जांच में उसे संगठित तरीके से अपराध करने का आरोपी भी माना गया है ओर समाज के लिए खतरा बताया गया हैं ओर उसे तुरंत गिरफ्तार करने की संतुति भी की गई है । पुलिस ने आरोपी पर गैर कानूनी कृत्य में धोखाधड़ी के तहत विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी है।

मुजेसर थाना के प्रभारी सुदीप सिंह ने बताया की बिजली विभाग के एक्सियन बी के रंजन की शिकायत के आधार पर थाना मुजेसर में एक मामला दर्ज किया गया है।  वहीँ थाना प्रभारी ने बताया की शिकायतकर्ता बी के रंजन के अनुसार वरुण श्योकंद के खिलाफ उन्होंने धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज करवाया है जिसकी जांच डीएसपी विजिलेंस ने की थी और वरुण श्योकंद उसमे दोषी  पाया गया है।  जिस पर मुजेसर थाना में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है वहीँ 419 , 420 467 , 471 और 68 धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है वहीँ मामले पर अनुसंधान जारी है और साक्ष्य जुटाने के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा।

एफआईआर कॉपी — 

   

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