TODAY EXPRESS NEWS : पंचकूला -29 दिसम्बर- बच्चों के अधिकार संरक्षण के लिए अग्रणी गैर सरकारी संस्था बचपन बचाओ आंदोलन के सहयोग से हरियाणा पुलिस अकादमी में आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आज यहां सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। बच्चों के अधिकार विषय पर प्रशिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम में 70 पुलिस प्रशिक्षकों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के अंतिम दिन उत्तरप्रदेश पुलिस में बच्चों, महिलाओं के विशेष प्रकोष्ठ की नोडल अधिकारी रहीं पूर्व पुलिस महानिदेशक सुतापा सान्याल ने बच्चों के संरक्षण में समाज की भूमिका और महत्व की जानकारी देते हुए कहा कि यदि बेहतर प्रशासन करना है तो लोगों को साथ लेकर चलना होगा। उन्होंने कहा कि देश में लगभग आधी आबादी महिलाओं और एक तिहाई आबादी बच्चों की है इसके बावजूद महिला और बच्चे पुलिस की प्राथमिकता पर नहीं है। यदि हमें सही मायने में पुलिसिंग के लक्ष्य को हासिल करना है तो इनको प्राथममिकता देनी ही होगी। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति सब कुछ नहीं कर सकता लेकिन बहुत कुछ जरूर कर सकता है इसलिए पुलिस और प्रशासन जब समुदाय को साथ लेकर चलता है तो वह बच्चों, महिलाओं और कमजोर वर्ग के लिए असाधारण कार्य करने में सक्षम बन जाता है। उन्होंने प्रतिभागियों से अपील करते हुए कहा कि ड्यूटी से भी आगे बढक़र दूसरे व्यक्तियों की मदद करें। इससे जो सम्मान व शांति प्राप्त होती है वह अमूल्य है। उन्होंने कार्यक्रम के समापन अवसर पर प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र भी प्रदान किए।
कार्यक्रम में बाल कल्याण समिति करनाल के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह मान ने बाल कल्याण समिति के कर्तव्यों एवं प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जो बच्चे लावारिस हैं या किसी अपराध के शिकार हो गए हैं, माता-पिता देखभाल करने में असमर्थ हैं या ऐसे बच्चे जिनका किसी प्रकास से उत्पीडऩ होता है इस समिति के पास भेजे जा सकते हैं। समिति इनकी देखभाल एवं सरंक्षण को सुनिश्चित करने के लिए कार्यवाही करती है। उन्होंने कहा कि बच्चों के संरक्षण की जिम्मेदारी राज्य और समाज की है इसलिए जब भी आप किसी बच्चे को मुसीबत में देखें तो चाइल्ड लाइन 1098 पर फोन करके बच्चे की मदद करें। बच्चे भी इस पर सीधे फोन कर सकते हैं या स्वयं बाल कल्याण समिति में आ सकते हैं।
बचपन बचाओ आंदोलन के निदेशक राकेश सेंगर ने प्रतिभागियों को बाल मजदूरी, बंधुआ मजदूरी से संबन्धित कानूनी प्रावधानों की जानकारी देते हुए कहा कि 14 साल से कम आयु के बच्चों से किसी भी प्रकार के कार्य में नहीं लगाया जा सकता। घरेलू कार्य में भी उसे स्कूल के समय में कार्य नहीं कराया जाएगा। ऐसे बच्चे जिन्होंने 14 साल की आयु पूरी कर ली है लेकिन अभी 18 साल पूरे नहीं किए हैं उनको भी 103 प्रकार के खतरनाक श्रेणी व्यवसायों और प्रक्रियों में कार्य पर नहीं लगाया जा सकता। यदि कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ पुलिस सीधे मुकदमा दर्ज कर सकती है और उसे 2 साल तक की सजा हो सकती है। उन्होंने कहा कि बच्चों का बचपन सुरक्षित रखते हुए ही हम सशक्त देश का निमार्ण कर सकेंगे। बचपन बचाओं आंदोलन की मधुमिता सेनगुप्ता ने प्रतिभागियों को मानव तस्करी के कारण, कानून प्रावधानों और पुलिस की भूमिका पर जानकारी दी।
हरियाणा पुलिस अकादमी के जिला न्यायवादी शशिकांत शर्मा ने प्रतिभागियों को किशोर न्याय अधिनियम 2015 व पोक्सो एक्ट 2012 के अन्वेष्ण की बारिकियों से परिचित कराया। उन्होंने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए अकदमी के निदेशक केके सिंधु तथा बचपन बचाओ आंदोलन टीम का आभार व्यक्त किया।
( टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ के लिए अजय वर्मा की रिपोर्ट )