TODAY EXPRESS NEWS : 6 सितंबर 2016 मधुबन: बच्चों के संरक्षण हेतु कानूनी प्रावधानों को लेकर हरियाणा पुलिस अकादमी मधुबन की सभागार में आज एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। जिसमें प्रदेश की विभिन्न इकाइयों से आए 62 पुलिस अधिकारियों ने भाग लिया । कार्यशाला में श्रीमती अन्जू चौधरी सहायक प्रोफेसर लॉ तथा एडवोकेट रवि चौधरी चण्डीगढ़ ने मुख्य वक्ता के तौर पर शिरकत की । प्रोफेसर अन्जू चौधरी ने किशोर न्याय अधिनियम देखभाल व संरक्षण कानून 2015 के बारे में विस्तार से चर्चा की और कहा कि न्याय और बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए इस कानून में मजबूत प्रावधान रखे गए है। गत वर्षों में किशोरों की हत्या व बलात्कार जैसे संगीन अपराधों में संलिप्तता सामने आने पर ऐसे बच्चों को बडों की तरह सजा देने की मांग उठी थी। इस कानून में इसके लिए बहुत ही संतुलित प्रावधान किए गए है जिससे बच्चें के हित की पूरी तरह सुरक्षा हो सके और पीडित को भी न्याय मिल सके। केवल उन्ही मामलों में जिनमें कम से कम सजा 7 साल का प्रावधान हो तथा बच्चे की आयु 16 साल से अधिक हो बडो की तरह सुनवाई व सजा दी जा सकती है। इसके लिए भी किशोर न्याय बोर्ड को पहले बच्चे की मानसिक समझ का मूल्यांकन करना होता है। उन्होंने कहा कि बच्चे सुरक्षित रहे ये हम सभी का दायित्व है। 2015 के कानून में पुलिस, गैर सरकारी संस्थाओं, बच्चों की देखभाल संस्थानों, और अभिभावकों के दायित्व को स्पष्ट रूप से बताया गया है। उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार कोई भी अपराध तब माना जाता है जब करने वाला अपने इरादे को पूरा करने के लिए करता है। बच्चे मानसिक रूप से समझदार नहीं होते हैं जिसके कारण वे गलती कर बेठते हैं। उन्होंने उपस्थित पुलिस अधिकारियों से अपील करते हुए कहा कि कानून तोडऩे वाले बच्चे को देखभाल व संरक्षण की जरूरत वाला बच्चा मानते हुए कार्यवाही करें ताकि उसको मुख्य धारा में जोडऩे के बराबर अवसर मिल सके। उन्होंने कहा कि बच्चे को सीधे गोद लेना गैर कानूनी है ऐसी इच्छा रखने वाले व्यक्ति को बच्चा दत्तक नियमन अभिकरण (सीएआरए) जो राष्ट्रीय एजेंसी है के माध्यम से ही बच्चों को गोद लेना चाहिए। कार्यशाला में अपनी बात रखते हुए अधिवक्ता श्री रवि चौधरी ने बालको के प्रति लैंगिक हिंसा रोकथाम अधिनियम 2012 (पोक्सो एक्ट) की बारीकियों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि सभ्य समाज में बच्चों के प्रति किसी भी प्रकार की हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। बच्चों के प्रति लैंगिक हिंसा के मामलों को पूरी संवेदनशीनता के साथ देखना चाहिए तथा पीडित और उसके परिवार को घटना से उभरने के लिए यथासंभव सहयोग देना चाहिए। यह कानून महिला व पुरुष दोनों के खिलाफ समान रूप से लागू होता है। इसी प्रकार इस कानून के तहत प्रत्येक 18 साल से कम लडक़ी या लडक़ा उपचार प्राप्त कर सकते हैं। हाली में संशोधन द्वारा इस कानून में मृत्यु दण्ड तक का प्रावधान भी रखा गया है जो संस्थान माता-पिता बच्चे के प्रति हुई लैंगिक हिंसा की घटना को छुपाते हैं उनके लिए भी इस कानून में दण्ड का प्रावधान है। कार्यशाला के आरम्भ में अकादमी के जिला न्यायवादी श्री शशिकांत शर्मा ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि बच्चों से संबंधित मामलों के प्रति पुलिस अधिकारियों के संवेदीकरण, उनकी पेशेवर दक्षता के विकास के लिए श्री बीएस संधू डीजीपी हरियाणा की पे्ररणा पर तथा अकादमी के निदेशक श्री केके सिंधु के निर्देशन में इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। जिसके लिए डीएसपी व प्रबंधक थाना स्तर के अधिकारियों को शामिल किया गया है। कार्यशाला में अकादमी के उप-जिला न्यायवादी श्री अजय कुमार ने बच्चों से संबंधित विशेष संवैधानिक प्रावधान, उनके अधिकारो के बारे मे चर्चा की तथा प्रमुख वक्ताओं का स्वागत व अभार व्यक्त किया। अकादमी के उप-जिला न्यायवादी श्री रामपाल ने पुलिस बाल कल्याण अधिकारी के कार्यों से परिचित कराया।
( टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ के लिए अजय वर्मा की रिपोर्ट )