बाराबंकी ग्रामीण क्षेत्र में भी सशक्तिकरण परवान चढ़ रहा है निशुल्क प्रयासों के सफल होने का प्रमाण साबित हो रहे हैं

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TODAY EXPRESS NEWS : बाराबंकी ग्रामीण क्षेत्र में भी सशक्तिकरण परवान चढ़ रहा है निशुल्क प्रयासों के सफल होने का प्रमाण साबित हो रहे हैं समाजसेवी स्वयंसेवक संगठनों में जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण जनपद के हरख ब्लॉक के ग्राम लक्ष्मणपुर में अन्नदाता  संस्कृति फाउंडेशन द्वारा आई,पी,एम, किसान खेत पाठशाला सात दिवसीय कार्यक्रम में जैविक भवन लखनऊ से आये ट्रेनर धर्मेंद्र जी ने बताया किसानों के उत्पादन में प्रयुक्त हो रहे फसल सुरक्षा रसायनों के प्रयोग से भूमि के लाभदायक सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं शायद इसीलिए कृषि वैज्ञानिक जैविक उर्वरकों के प्रयोग की बात करते आज से 30 वर्ष पूर्व और आज गांव खेत खलिहान की स्थिति काफी बिगड़ गई है इसमे कोई संदेह नहीं है कि रसायनों के प्रयोग से फलों की उत्पादकता बड़ी है परंतु इस बात से भी कोई इनकार नहीं कर सकता है की भूमि की उर्वरता कम हुई है जैविक विविधता नष्ट हुई है भोजन और पानी से जहर की मात्रा बढ़ गई है मनुष्य के शरीर में नाना प्रकार की लाइलाज बीमारियां प्रवेश कर गई हैं धन चाहे जितना क्यों ना हो पर सबके चेहरे से मुस्कान गायब यह इसलिए है क्योंकि हमारी धरती माता का स्वास्थ्य सही नहीं है वह बीमार है अब बीमार मां का दूध पीकर मनुष्य अपने स्वस्थ रहने की कामना ना करें खेतों में लाखों पर जातियों के सूक्ष्म जीव होते हैं जो आज नष्ट हो चुके हैं इसीलिए फसलों के अवशेष समय से समय से सड नहीं पाते तथा भूमि में ह्यूमस की कमी होती जा रही है फसलों को प्रमुख भोजन ह्यूमस ही होता है किंतु ह्यूमस बिना सूक्ष्म जीवो के नहीं बन पाता है जैविक खाद में प्राकृतिक के वह तमाम सूक्ष्म जीव है जो भूमि की उर्वरता को बढ़ाने तथा फसलों में लगने वाले भूमि जनित  रोगों के भोजन को नष्ट करने का काम करते हैं जैविक खाद फसलों की बुवाई अथवा रोपाई के पूर्व जुताई के पहले खेत में बिखर कर जुताई की जाती है जिस फसल में जैविक खाद का प्रयोग हो जाता है उस फसल में किसी भी रसायनिक उर्वरक की जरूरत नहीं होती है फसल की उत्पादन लागत कम हो जाती है भूमि की उर्वरता में सुधार होता है उसकी जल धारण क्षमता बढ़ जाती है फसलों में भूमि जनित बीमारियां लगभग नहीं लगती मिट्टी भुरभुरी हो जाती है जिससे उसकी       जुताई गहरी होने लगती है उपज पहले से 5 से 10 प्रतिशत बढ़ती है भोजन के स्वाद में बढ़ोतरी हो जाती है इसलिए भूमि की उर्वरता को एवं जैविक विविधता को बचाकर रखें लखनऊ से आई प्रशिक्षकों की टीम किसान नीरज सिंह पटेल के फार्म हाउस पर प्रयोग करके किसानों को बिना रसायन के हानिकारक कीटाणु के माध्यम से खत्म विधि की जानकारी दी इस विधि से किसान बिना किसी हानिकारक  रसायन के अपनी फसल उगा सकते हैं अन्नदाता संस्कृति फाउंडेशन किसानों को खेतों में प्रयोग हेतु निशुल्क मित्र कीट वितरित की गई श्रीधर वर्मा ,सचिन वर्मा ,संदीप वर्मा , जयसी राम वर्मा, सुनील रावत ,रिंकू वर्मा, पंकज वर्मा ,आदि दर्जनों किसान उपस्थित रहे.

बाराबंकी से संवादाता श्रवण चौहान के साथ राम दुलारी 

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