FARIDABAD : लिम्का बुक रिकार्ड धारी 80 साल के बुजुर्ग ने बनाये सिचाई करने वाले फुव्वारे – बुजुर्ग का दावा इन फुव्वारो से सिचाई करने पर 75 % पानी की होगी बचत !

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2009

टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ / रिपोर्ट अजय वर्मा /  दिल में कुछ नया कर गुजरने कि इच्छा हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है ऐसा ही कुछ नया करने का शोक रखने वाले 80 वर्षीय लिम्का बुक रिकार्डधारी और इंडिया बुक रिकार्डधारी बलवंत सिंह मथारू ने किया है. जिन्होंने पिछले लम्बे शोध के बाद कृषि के क्षेत्र में नया प्रयोग करते हुए सिचाई के लिए खास किस्म के फव्वारे तैयार किये है इस बुजुर्ग का दावा इन फुव्वारो से सिचाई करने पर 75 % पानी की बचत होगी। गौरतलब है की इस बुजुर्ग ने कई साल पहले 5 मिनिट में दस किलो सब्जी काटने की मशीन बनायी थी जिसके लिए उनका नाम लिम्का बुक आफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था यही नहीं उन्होंने पेड़ – पौधों और सब्जियों के छिलको से लिक्विड जैविक खाद तैयार की थी जिसके लिए उन्हें इंडिया बुक आफ रिकार्ड में दर्ज किया गया था. बलवंत सिंह मथारू ने अपने निवास स्थान सेक्टर  15 स्थित कोठी नंबर 1193 में एक प्रेस वार्ता के दोरान यह जानकारी दी. 

 उम्र के आखरी पडाव में जहां लोग इस उम्र में आकर चारपाई पकड लेते है वहीं 80 साल के यह बुजुर्ग नित नई खोज करते रहते है। गौरतलब है की इस बुजुर्ग ने वर्ष 2008 में 5 मिनिट में दस किलो सब्जी काटने की मशीन बनायी थी जिसके लिए उनका नाम लिम्का बुक आफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था यही नहीं उन्होंने पेड़ – पौधों और सब्जियों के छिलको से लिक्विड जैविक खाद तैयार की थी इसके अलावा उन्होंने ट्रे में सब्जियां उगाकर कीर्तिमान भी स्थापित किया था जिसके लिए उन्हें इंडिया बुक आफ रिकार्ड में दर्ज किया गया था. यू तो उन्होंने सिचाई के समय एक साथ चलने वाले कई फुव्वारे का सेट तैयार किया है लेकिन उन्होंने एक फुव्वारा चलाकर दिखाया की किस प्रकार यह पानी हवा में फैलकर धुंए की तरह ज़मीन पर गिरता है. बलवंत सिहं मथारू का दावा है कि उनके द्वारा तैयार किये गए फुव्वारो से सिचाई करने पर पानी की 75 फीसदी बचत होगी। इस बुजुर्ग ने बताया की उन्हें हमेशा कुछ ना कुछ नया करने का शौक रहा है उन्होंने बताया की एक बार वह जर्मन का चैनल देख रहे थे जिसमे उन्होंने फुव्वारो के माध्यम से कम पानी में सिचाई होते देखी इसके बाद वह इस शोध में लग गए और कई महीनो के प्रयास के बाद वह इन फुव्वारो को बनाने में कामयाब हो गए. उन्होंने बताया की उनके इन फुव्वारो से जहाँ 75 फीसदी पानी की बचत होगी वहीँ पांच मिनिट में इन फुव्वारो द्वारा 500 स्क्वेर फ़ीट एरिया में सिचाई की जा सकती है. उन्होंने बताया की खेत में जब बीज बोया जाता है तो टियूबवेल के पानी के प्रेशर से बोये हुए बीज बह जाते है लेकिन इस तकनीक से सिचाई करने पर बीजों को कोई नुक्सान नहीं होता और सभी बीज अंकुरित होते है. उन्होंने कहा की हरियाणा के कृषि मंत्री को भी इस बारे में अवगत करवाया जाएगा।

नये नये प्रयोग करने में परिजन भी उनका सहयोग करते है बलवंत सिंह की पुत्र वधु ( मनप्रीत कौर ) ने बताया की इस उम्र में उनको काम करते देख उन्हें और उनके बच्चो को भी प्रेरणा मिलती है उन्होंने बताया की बढती उम्र उनके बढ़ते होसलो के बीच कभी आड़े नहीं आई और अब तक वह कई बड़े काम और खोज कर चुके है. उन्होंने कहा की जहाँ भी उनके काम में उनके सहयोग की ज़रूरत होती है तो पूरा परिवार उनकी मदद करता है.

गौरतलब है की 2008 में बलवंत सिंह मथारू ने आटोमेटिक सब्जियां काटने वाली एक मशीन बनाई थी जिसके चलते लिम्का बुक आफ नेशनल रिकार्ड  में उनका नाम दर्ज किया गया था. इसके बाद भी वह आराम से नहीं बैठे और उन्होंने प्लास्टिक की ट्रे में सब्जियां उगाने की खोज विकसित की थी ताकि आम लोग अपने घर की छत पर अपने परिवार के लिए सब्जियां पैदा कर सके इसके बाद उन्होंने पेड़ – पौधों और सब्जियों के छिलको से लिक्विड जैविक खाद तैयार की थी जिसके लिए उन्हें इंडिया बुक आफ रिकार्ड में दर्ज किया गया था. 

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