टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ । अजय वर्मा 09 मार्च 2022 : भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि एक सबसे बड़ा योगदान करने वाला क्षेत्र है और इस उद्योग में मुख्य रूप से महिलाएं ही महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती हैं। इस पृष्ठभूमि में, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर, भारत के अग्रणी एगटेक (कृषि प्रौद्योगिकी) स्टार्टअप, nurture.farm ने अपने आंतरिक सर्वेक्षण के परिणामों की घोषणा की है। महिलाओं के लिए यह सर्वेक्षण nurture.farm के वीमन इन एग्रीकल्चर (डब्लूआइए) कार्यक्रम के हिस्से के तहत किया गया था।
वीमन इन एग्रीकल्चर (डब्ल्यूआईए) कंपनी का एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को कृषि कार्यों के लिए नियुक्त किया जाता है, जहां वे nurture.farm के प्रतिनिधियों के रूप में काम करती हैं। इस तरह वे इसकी प्रतिनिधि, स्थानीय संपर्क बिंदु और किसानों की सलाहकार होती हैं। अप्रैल 2021 से, nurture.farm ने 300+ महिलाओं (औसत आयु 18-35 वर्ष) को अपने कृषि मित्र (फील्ड पार्टनर) के रूप में नियुक्त किया है। इसमें कुल फील्ड फोर्स का 30% शामिल है। इसकी हरियाणा फील्ड फोर्स पूरी तरह महिलाओं की एक टीम है।
इस सर्वेक्षण का उद्देश्य यह समझना था कि किन कारणों से महिलाएं कृषि क्षेत्र में आईं और कृषि क्षेत्र में होने वाली आय उनके पेशेवर और निजी विकास में कैसे मदद कर रही है। इसका उद्देश्य यह समझना भी था कि विभिन्न पृष्ठभूमि (आयु, शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक स्थिति आदि) की महिलाएं कृषि प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कैसे योगदान करती हैं और हम उनके लिए एक बेहतर कार्य संस्कृति व आजीविका कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं। अपनी आंतरिक महिला कर्मचारियों और कृषि मित्र टीम की महिलाओं के लिए किए गए सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्ष यहां दिए गए हैं, और बताया गया है कि nurture.farm कैसे कृषि में महिलाओं को अपने लिए बेहतर जीवन बनाने में मदद कर रहा है और इसमें कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
आय प्रबंधन
वीमन इन एग्रीकल्चर (डब्ल्यूआईए) सर्वेक्षण में पाया गया कि सर्वेक्षण में भाग लेने वाली 90% ग्रामीण महिलाएं अपनी आय को पारिवारिक दायित्वों/जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए खर्च करती हैं। इस सर्वेक्षण में यह भी देखा गया कि 85.7% ग्रामीण महिलाएं अपने परिवार के साथ चर्चा करने के बाद ही आय से संबंधित निर्णय लेती हैं। इसके विपरीत, केवल 43% शहरी उत्तरदाताओं ने आय-संबंधी निर्णय लेते समय पारिवार की राय मांगी। जब सुरक्षा और स्वास्थ्य की बात आई, तो इस सर्वेक्षण में पाया गया कि 80% ग्रामीण उत्तरदाताओं के पास स्वास्थ्य/जीवन बीमा नहीं है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह संख्या आधी रह गई है, और यहां 40.5% लोगों के पास ही स्वास्थ्य/जीवन बीमा नहीं है।
वित्तीय समावेशन भी भारत के भीतरी इलाकों के लिए चिंता का एक अन्य क्षेत्र है। nurture.farm के सर्वेक्षण से पता चला है कि 43.5% ग्रामीण महिलाएं भुगतान के किसी भी डिजिटल तरीके का उपयोग नहीं करती हैं, जबकि 100% शहरी उत्तरदाताओं ने उनका उपयोग किया है। इसके अलावा, 34.3% ग्रामीण उत्तरदाताओं के पास कोई बचत योजना नहीं थी, और 41.8% ने केवल वित्तीय नियोजन के बारे में सीखा है, जिसे वे जल्द ही जानने-समझने का इरादा रखते हैं। nurture.farm के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को रेखांकित करते हुए कंपनी के आंतरिक सर्वेक्षण में पाया गया कि 85.3% ग्रामीण महिलाओं ने वित्त प्रबंधन के बारे में सीखने के लिए nurture.farm की मदद ली।
सशक्तिकरण
कंपनी द्वारा किए गए वीमन इन एग्रीकल्चर (डब्ल्यूआईए) सर्वेक्षण से पता चला कि ग्रामीण उत्तरदाताओं में से 95.7% को लगता है कि कृषि क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और वे इसके साथ जुड़े रहना चाहती हैं। वे इस क्षेत्र को लेकर काफी आशाजनक महसूस करती हैं। इसके अलावा, 80% ग्रामीण महिलाओं ने महसूस किया कि पारिवारिक मामलों पर उनकी राय पहले की तुलना में अधिक मांगी गई थी, (क्योंकि) अब वे कमा रही हैं और आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं। इस सर्वेक्षण में शहर के उत्तरदाताओं का प्रतिशत भी 80.5% के साथ लगभग बराबर रहा। इस सर्वेक्षण में शामिल 60.3% महिलाओं ने माना कि उन्हें काफी सम्मान और महत्व मिल रहा है और वे इसे अपनी पहचान को बनाए रखने के लिए प्राथमिक प्रेरक मानती हैं।
कार्य-जीवन संतुलन और स्त्री-पुरुष समानता
एक ऐसे समय में जब पूरी दुनिया अपने काम और जिंदगी के बीच संतुलन (वर्क-लाइफ बैलेंस) बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, वीमन इन एग्रीकल्चर (डब्ल्यूआईए) सर्वेक्षण से पता चला है कि कृषि क्षेत्र में भी यह अलग नहीं है। 81.7% ग्रामीण और 78.6% शहरी कामकाजी महिलाओं को श्रमिक काम के घंटों में लचीलापन होना पसंद है । इसके अलावा, 60% महिलाएं अपने काम के समय से पहले/बाद में/बीच में घर के कामों का प्रबंध खुद करती हैं। हालांकि, स्त्री-पुरुष समानता भी एक चुनौती बनी हुई है, इस सर्वे में शामिल 64.3% ग्रामीण महिलाओं को लगता है कि पुरुषों के पास लाभप्रद रोजगार के बेहतर अवसर मौजूद हैं। वहीं शहरी क्षेत्रों में, 80% महिलाओं ने महसूस किया कि पुरुषों के पास काम के बेहतर अवसर हैं।