कोविड-19 महामारी के दौरान 78% भारतीय एमएसएमई बंद; स्पोक्टो ने अपने अध्ययन में किया खुलासा

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Today Express News / Report / Ajay Verma / 30 जून 2020: कोरोनावायरस महामारी ने कारोबारों, संस्थानों और समाज पर विनाशकारी प्रभाव डाला है और भारत के प्रमुख बड़े डेटा एनालिटिक्स-बेस्ड बैंकिंग और वित्तीय सेवा कंपनी में से एक स्पोक्टो ने ‘द ग्राउंड ट्रूथ- वॉयस ऑफ इंडियन बॉरोअर्स’ ‘ नाम से व्यापक अध्ययन पेश किया है। इसमें मुंबई, पुणे, नई दिल्ली, बैंगलोर, कोलकाता, अहमदाबाद आदि जैसे पूरे देश के 185 शहरों के अकाउंट होल्डर्स की राय और इनसाइट्स शामिल किया गया है। यह अध्ययन उपभोक्ताओं को मॉरेटोरियम पर वास्तविक और कार्रवाई योग्य इनसाइट्स देता है।  महामारी ने काम कर रहे अनगिनत पेशेवरों के लिए रोजगार के अवसर कम किए हैं। छंटनी, वेतन में कटौती और कम आय जैसे फेक्टर की वजह से कुशल और अकुशल श्रमिक, दोनों को बड़े शहरों से अपने गृहनगर सामूहिक पलायन करना पड़ा है। इसे देखते हुए यह अध्ययन रिटेल लोन अकाउंट होल्डर्स से प्राप्त डेटा जमीनी हकीकत को प्रस्तुत करता है, उन्हें कैसा समर्थन चाहिए, उनकी वर्तमान जागरूकता और मॉरेटोरियम की समझ व भुगतान राशि पर इसके प्रभाव के बारे में प्रासंगिक जानकारी देता है।

 अध्ययन में मुख्य रूप से निम्नलिखित महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आए: 
 ●   59% उपभोक्ताओं को कोविड-19 के कारण आय का पूरी तरह नुकसान हुआ है
 ●   मौजूदा वर्कफोर्स के 34% कर्मचारियों ने अपनी नौकरी गंवा दी है
 ●   राजस्व न मिलने की वजह से 78% एमएसएमई को जीरो रेवेन्यू जनरेशन के कारण ऑपरेशंस बंद करना पड़ा
 ●   कुल खाताधारकों में से 76% ने छोटे-छोटे लोन लिए जिनकी ईएमआई 50,000 रुपये तक है। जिन लोन का रीपेमेंट गड़बड़ाया है, उनमें सुरक्षित श्रेणी की तुलना में असुरक्षित श्रेणी के लोन ज्यादा हैं
 ●   78% उपभोक्ताओं ने प्रारंभिक मॉरेटोरियम पीरियड (मार्च से मई) चुना, जिसका अर्थ है कि 22% या तो स्वेच्छा से ऑप्ट आउट के लिए चुने गए या बैंक के मॉरेटोरियम प्रस्ताव को नहीं चुना
 ●   75% बॉरोअर्स ने मॉरेटोरियम को लेकर अधिक स्पष्टता और शिक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। 64% बॉरोअर्स ने पुष्टि की कि उन्हें पता है कि मॉरेटोरियम क्लॉज का लाभ उठाने पर उन पर कितना ब्याज लग सकता है।
 ●   38% उपभोक्ता अपने प्रश्नों को हल करने के लिए ह्यूमन इंटरफ़ेस से बोलना या बातचीत करना पसंद करते हैं
 ●   62% लोन बॉरोअर्स के लिए डिजिटल अब नया माध्यम है, जो रियलटाइम में, पूर्वाग्रह से मुक्त, सुसंगत और प्रामाणिक समाधान प्रस्तुत करता है।
 ●   लगभग 28% उपभोक्ता अपने बैंकों से बातचीत को लेकर असंतुष्ट थे, केवल 46% ही ग्राहकों को मॉरेटोरियम की शर्तों को समझाने पर बैंकों के प्रयासों से संतुष्ट हैं।
 ●   37% उपभोक्ताओं ने कहा कि उन्हें अगले 12 महीनों में वित्तीय व्यय के लिए आवश्यक लोन के रूप में वित्तीय प्रणाली से समर्थन की आवश्यकता है
 ●   अंत में, 56% से अधिक ग्राहक अब मॉरेटोरियम से बाहर निकलने को तरस रहे हैं.
स्पोक्टो सॉल्युशंस के संस्थापक, सीईओ और प्रवक्ता श्री सुमीत श्रीवास्तव ने कड़े परिश्रम से तैयार और आंख खोलने वाले अध्ययन पर टिप्पणी करते हुए कहा, “पूरी दुनिया में वर्ष 2020 सभी उद्योगों और पेशेवरों के लिए ब्लैक स्वान इवेंट साबित हुआ है। इस अवधि में मूल्यवान टेक-अवे भी मिले हैं, अर्थात्- बैंकिंग और कर्ज देने वाले इकोसिस्टम को अपनी एंगेजमेंट नीतियों और रणनीतियों को फिर से विकसित करना होगा क्योंकि उनके ग्राहक आवंटित समय-सीमा में लोन रीपेमेंट करने की स्थिति में नहीं हैं। लेकिन यह दूसरे छोर पर भी प्रभावी है। लोन देने वालों की इच्छा रीपेमेंट की हो सकती है लेकिन अभी भुगतान करने की उनकी क्षमता नहीं है। बैंकों को यह भी ध्यान रखना होगा कि ये ग्राहक जो सभी संभाव्यता वाले बाजार की जड़ता के शिकार हैं, एक या दो साल के अंतराल में पुरानी स्थिति में लौट आएंगे और इनमें कम से कम 15-20 साल की संभावित सेवा मिल सकती है। इस वजह से बैंकों को शॉर्ट टर्म डिफॉल्टर कम करने के बजाय लंबी अवधि के ग्राहकों को महत्व देना चाहिए। बैंकों को भी लोन डिस्बर्समेंट के डिजिटल और कुशल रास्तों के एडवांस एडॉप्शन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अधिक से अधिक उपभोक्ताओं को आकर्षित करने और एंगेज करने पर फोकस करना चाहिए। यह न केवल बीमार क्षेत्र को नियत समय में अपने पैरों पर वापस खड़ा करने में मदद करेगा, बल्कि भयावह संक्रमण की मार से उबरने और पुनर्निर्माण में भी मदद करेगा।
” कर्ज देने वाले जो संगठन कस्टमर एंगेजमेंट और डिजिटल कलेक्शन को प्राथमिकता देते हैं, उनमें रेवेन्यू फ्लो बढ़ेगा और उम्मीद है कि यह महामारी के बाद के परिदृश्य के मौजूदा उदासी भरे माहौल के विपरीत यह बेहतर और उत्कृष्ट भविष्य का निर्माण करेगा।

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