TODAY EXPRESS NEWS ( REPORT BY AJAY VERMA ) एनआईटी फरीदाबाद के दो नंबर सी – ब्लॉक की हरिजन बस्ती को प्रशासन द्वारा 11 अक्टूबर को तोड़े जाने के आर्डर के विरोध में लोगो ने सड़को पर उतरकर प्रदर्शन किया। लोगो ने प्रशासन और बीजेपी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. गुस्साए लोगो ने कहा जहाँ आज देशभर में बड़े बड़े मंत्रियो और नेताओ द्वारा वाल्मीकि जयंती मनाई जा रही है वहीँ फरीदाबाद के डिप्टी कमिश्नर ने दलितों के आशियानों को तोड़ने के तुगलकी फरमान सुनाये है. जिसके चलते वह आज वाल्मीकि जयंती ना मनाकर काला दिवस मना रहे है. उन्होंने कहा की वह राजयमंत्री कृष्णपाल गुर्जर और केबिनेट मंत्री विपुल गोयल के कार्यालय जाकर उनसे अपील करेंगे की वह पिछले पचास साल से इस इलाके में रह रहे है और उन्हें यही रहने दिया जाए. नाराज़ लोगो ने कहा की यदि मंत्रियो से बात करने के बावजूद भी प्रशासन सोमवार को उनके घरो पर पीला पंजा चलने आता है तो पूरा दलित समाज उनकी जीसीबी गाड़ियों के सामने लेट जाएगा और फिर प्रशासन उनकी छाती पर पहिया चढ़ाकर उनके आशियाने को तोड़ सकता है.
एनआईटी फरीदाबाद के मुख्य एक – दो नंबर चौक पर हजारो की संख्या में दिखाए दे रहे यह सभी लोग दो नंबर सी ब्लॉक – हरिजन बस्ती के निवासी है जिन्हे प्रशासन द्वारा 11 तारिख को उनके आशियाने को तोड़ने का आदेश मिला है. जिसके विरोध में आज हजारो लोगो ने इकठ्ठा होकर बीजेपी सरकार और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. गौरतलब है की दो नंबर के सी ब्लॉक इलाके में करीब पचास साल पहले खोखो के रूप में बसी यह बस्ती अब पक्के मकानों में बदल चुकी है और हजारो लोग यहाँ अपने आशियाने बनाकर रह रहे है. सन 2000 के आसपास स्थानीय जनकल्याण नाम की समिति ने इस बस्ती को अवैध बताते हुए इसे हटाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सालो लम्बी सुनवाई होने के बाद अब हाईकोर्ट ने कड़े तेवर अपनाते हुए इस बस्ती को हटाने के फरमान जारी कर दिए है. जिसके चलते नगर निगम ने अब आगामी 11 अक्टूबर को तोड़फोड़ की कार्यवाही करने का फरमान जारी कर दिया है. इस फरमान के बाद लोगो में हड़कंप मंच गया और वह सड़को पर उतर आये. लोगो का कहना था की यहाँ पर पिछले पचास साल से वह रह रहे है और उन्हें यही रहने दिया जाए। इसके लिए उन्होंने स्थानीय मंत्रियो से अपील करने की बात कही है और साथ में ये भी कहा है की अगर उनके यहाँ तोड़ फोड़ की कार्यवाही हुई तो वह और तो कुछ नहीं कर सकते लेकिन वह अपने बच्चो समेत जीसीबी के आगे लेट जाएंगे बेशक इसके लिए उन्हें अपनी जान ही क्यों ना देनी पड़े. उनका कहना था की आज मनाई जाने वाली बाल्मीकि जयंती भी वह नहीं मना रहे.
स्थानीय लोगो का कहना था की प्रशासन इस जगह को खाली करने के बदले जो मकान हमे देने की बात कह रहा है वह इंसानो के रहने के लायक नहीं है यदि प्रशासन हमे टू रूम सेट के मकान देता है तो हम ख़ुशी – ख़ुशी यहाँ से जाने को तैयार है. हमारी पिछली कई पीढ़ियां यहाँ रह रही है जबकि प्रशासन ने इसे पार्क की ज़मीन बताया है और यदि ऐसा है तो फिर हमारे मकानों की रजिस्ट्रियां कैसे हो गयी. उन्होंने बताया की टाउन में कई ऐसे पार्को की जगह थी जहाँ अब धर्मशालाए बन चुकी है तो ऐसे में उन्हें क्यों पार्क की ज़मीन के नाम पर उजाड़ने पर निगम उतारू है. इसलिए हम मांग करते है की हमे यही रहने दिया जाए.