TODAY EXPRESS NEWS : फरीदाबाद, 31 अक्तूबर – जेसी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए फरीदाबाद द्वारा राष्ट्रीय चेतनाशक्ति फाउंडेशन, फरीदाबाद के संयुक्त तत्वावधान में आर्य समाज के संस्थापक तथा भारत के महान चिंतक स्वामी दयानंद सरस्वती की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें वैदिक साहित्य की चिंतक राज करनी अरोड़ा मुख्य वक्ता रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता मानव रचना इंटरनेशनल युनिवर्सिटी के कुलपति डाॅ. के.सी. वाधवा ने की। इस अवसर पर डीन (इंस्टीट्यूशन्स) डाॅ. संदीप ग्रोवर तथा डीन स्टूडेंट वेलफेयर डाॅ. नरेश चैहान भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संयोजन डाॅ. अरविंद गुप्ता तथा डाॅ. सुखबीर सिंह ने किया। तुलसीदास रचित चैपाई ‘श्रुति कह परम धर्म उपकारा’ विषय पर आयोजित व्याख्यान को संबोधित करते हुए राज करनी अरोड़ा ने विषय के भाव में समाहित संदेश को स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन से जोड़ते हुए कहा कि विषय के भाव है कि ‘वेद दूसरे के उपकार को परम धर्म कहते है’ और स्वामी दयानंद का पूरा जीवन वेदों पर आधारित रहा। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानन्द ने आर्य समाज की स्थापना अध्यात्म, दर्शन, धर्म, शिक्षा, परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व को ध्यान में रखकर की थी और वेदों की ओर लौटने का आह्वान किया था। हम इस लक्ष्य में कितना सफल हुये हैं, यह महर्षि निर्वाण दिवस के अवसर पर गहन चिन्तन का विषय है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डाॅ. वाधवा ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्र चेतना जागृत करने में स्वामी दयानंद की भूमिका अहम थी, जिसके लिए राष्ट्र उनका ऋणी रहेगा।
( टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ के लिए अजय वर्मा की रिपोर्ट )