स्वस्थ खानपान और जीवन शैली से दिल को बीमार होने से बचाएं ( एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज )

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TODAY EXPRESS NEWS ( REPORT BY AJAY VERMA ) 29 सितंबर 2017। विश्व हृदय दिवस के मौकेे पर एशियन अस्पताल ने अपने प्रांगण में दिल संबंधी बीमारियों के बारे में लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से सार्वजनिक जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस मौके पर हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. रिषि गुप्ता, डॉ. सिम्मी मनोचा, डॉ. सुब्रत अखौरी और डॉ उमेश कोहली ने लोगों को हृदय संबंधी बीमारियां, उनके कारण, उपचार व सावधानियों के बारे में जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में डॉ. पीएस आहुजा, डॉ. गीतिका विरदी और अस्पताल के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में 240 लोगों ने भाग लिया।

एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल के डायरेक्टर कार्डियोलॉजी, कैथलैब एवं सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रिषि गुप्ता ने बताया कि पिछले एक दशक में हृदय रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। इसमें सबसे अधिक युवा है। हमारे खानपान का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। आमतौर पर माना जाता है कि हृदय रोगियों कोे अधिक वसायुक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। हमारे यहां पर कार्बोहाइड्रेट युक्त डाइट प्रमुख है। जब मरीज डॉक्टर के पास जाता है तो डॉक्टर उन्हें घी-तेल खाने के लिए मना कर देते हैं, ऐसे में मरीज उसकी मात्रा कम करने की बजाय घी-तेल का सेवन बिल्कुल बंद कर देते हैं।

डॉ. रिषि का कहना है कि एक नवीनतम रिसर्च में बताया गया है कि कार्बोहाइड्रेट की मात्रा फैट की मात्रा से ज्यादा हानिकारक है। संपूर्ण डाइट की 70 प्रतिशत से अधिक कैलोरी कार्बोहाइड्रेट से आती है तो ऐसे मरीज को दिल संबंधी बीमारियों की संभावना 25 प्रतिशत बढ़ जाती हैं। यदि डाइट से  50 प्रतिशत कैलोरी कार्बोहाइड्रेट से आ रही है और 30 प्रतिशत कैलोरी फैट से आ रही है उन मरीजों में दिल की बीमारियों  की संभावना 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है।

अब तक हमारे द्वारा सलाह दी जाती थी कि सैचुरेटिड फैट जैसे मैदा, चीनी, चावल आदि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, लेकिन अब हम यह सलाह देते हैं कि यदि 5-10 प्रतिशत सैचुरेटिड फैट यानि कुछ मात्रा में घी-तेल के सेवन हानिकारक नहीं है। मरीज को अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। निश्चित मात्रा में घी-तेल या मक्खन, अंडे के पीलेे भाग, प्रतिदिन 400 मिलीलीटर दूध, पनीर, फल, हरी सब्जियों, अंकुरित दालों और सूखे मेवे का निश्चित मात्रा में सेवन करना चाहिए। मासांहारी खाना जैसे रेड मीट के सेवन से परहेज करें। ओमेगा-3 युक्त तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।

एशियन अस्पताल की एसोसिएट डायरेक्टर कार्डियोलॉजी एंड एचओडी नॉन इंवेसिव कार्डियोलॉजिस्ट डॉ सिम्मी मनोचा ने दिल संबंधित बीमारियों के लक्षण और उपचार के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होनें बताया कि छाती में दबाब, पसीना आना, दोनों बाजू में दर्द या बाएं हाथ में दर्द, पसीना आना, घबराहट होना हार्ट अटैक के लक्षण होते हैं। आमतौर पर लोग इन लक्षणों को गैस या एसिडिटी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि यह एक गंभीर समस्या है, जो मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। सीने में दर्द, जलन व भारीपन हार्ट अटैक की निशानी है। इन लक्षणों को नजरअंदाज करने की बजाय तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

डॉ सिम्मी ने कहा कि अगर हृदय संबंधी बीमारियों से बचना है तो नियमित रूप से व्यायाम और शारीरिक श्रम करना चाहिए। वज़न को नियंत्रित रखना चाहिए। संतुलित आहार लेना चाहिए। धूम्रपान के सेवन से बचना चाहिए। सबसे पहले तनाव मुक्त रहना चाहिए। 30 वर्ष की उम्र के बाद हर व्यक्ति को डायबिटीज़, रक्तचाप आदि की नियमित जांच करानी चाहिए। किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

एशियन अस्पताल के एसोसिएट डायरेक्टर कैथलैब एंड इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ सुब्रत अखौरी ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी के बारे में विस्तृत जानकारी भी प्रदान की। उन्होने बताया कि एंजियोग्राफी के माध्यम से धमनियों की रूकावट और सिकुडन की सही जानकारी मिलती है। अवरोध का पता चलने पर एंजियोप्लास्टी के माध्यम से किस प्रकार अवरोध को हटाने से रक्त प्रवाह सुचारू हो जाता है और मरीज को आराम मिलता है। इससे हार्ट अटैक की संभावना भी कम हो जाती है। साथ ही उन्होंने लोगों को यह भी जानकारी दी कि इन उपचारों के बाद मरीज को क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिएं। कार्यक्रम में भाग लेने वाले लोगों ने अपने सवाल किए। डॉक्टरों ने उन्हें जवाब देकर संतुष्ट किया।

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