TODAY EXPRESS NEWS ( REPORT BY AJAY VERMA ) गांव मिर्जापुर स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में शनिवार को आपदा प्रबंधन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन आपदा प्रबंधन के विशेषज्ञ डॉ. एम.पी सिंह के द्वारा सभी विद्यार्थी व अध्यापकों के लिए किया गया। इस अवसर पर विद्यालय की प्राचार्य बलबीर कौर ने गुलदस्ता देकर डॉ. सिंह का स्वागत किया कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती वंदना से और दीप प्रज्ज्वलन से हुई।इस अवसर पर चीफ वार्डन सिविल डिफेंस व जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के विशेषज्ञ डॉ. एम.पी सिंह ने कहा कि जागरूकता से ही आपदा से बचा जा सकता है, चाहे प्राकृतिक हो या फिर मनुष्य द्वारा पैदा की गई हो और यदि हमें बचाव पक्ष में सही ज्ञान है तो हम अपने बचाव के साथ अन्य लोगों का भी बचाव कर सकते हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि आपदा के समय बिजली का एक्सीडेंट होने पर घर और दुकान में बिजली फैल सकती है, इसलिए नंगे पैरों से नहीं चलना चाहिए और ना ही नंगे हाथों से छूना चाहिए।
यदि इलेक्ट्रिक एक्सीडेंट या फिर शार्ट-सर्किट की वजह से आग लग जाती है तो हमें मिट्टी, पेड़ पौधों की टहनियों या फिर पानी से आग बुझानी चाहिए। लेकिन स्वयं आग बुझाने से पहले 100 नंबर पर पुलिस को, 101 नंबर पर फायर ब्रिगेड को व 102 नंबर पर एंबुलेंस को सूचना दे देनी चाहिए ताकि हताहतों को बचाया जा सके और आपातकालीन स्थिति पर काबू पाया जा सके।
डॉ. एम.पी सिंह ने डिजास्टर मैनेजमेंट क्लब की इंचार्ज सोनिला शर्मा, बायो लेक्चरर फायर सेफ्टी टीम के इंचार्ज किरण मनोचा, पवन कुमार, सुनील कुमार व आशु खान की सहायता से आग को बुझाने का पूर्वाभ्यास कराया गया। वहीं प्राथमिक सहायता की टीम के इंचार्ज एवं फिजिकल एजुकेशन के लेक्चरर ज्ञानचंद व उनकी सहयोगी टीम वरुण गुंजन, अजय की सहायता से घायल व पीडि़त लोगों को अस्पताल पहुंचाने का पूर्वाभ्यास कराया गया।
इस कार्यक्रम में सोमवीर यादव, डीपी राजवीर व अन्य सभी अध्यापकों का पूरा सहयोग रहा। डॉ.एम.पी. सिंह ने कहा कि भूकंप कुछ ही क्षणों का होता है इसलिए सभी लोग बाहर खुले मैदान में नहीं जा सकते, इसलिए किसी मजबूत मेज के नीचे झुक कर बैठ जाना व किसी कोने में खड़े हो जाना या फिर जहां पर सुरक्षित जगह आपको मिले वहां पर अपने आपको बचा लेना चाहिए।
भूकंप के समय क्या बरते सावधानी
लिफ्ट का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
इमारत से हाथ लगाकर नही निकलना चाहिए।
शीशे से बनी इमारत के नजदीक नही जाना चाहिए।
मकान के टेढ़े दरवाजे से नही निकलना चाहिए।
हिम्मत न हारे और भगदड़ न मचाए