TODAY EXPRESS NEWS ( AJAY VERMA ) राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, सराय ख्वाजा में आज सैंट जान एंबुलैंस बिगे्रड व जूनियर रैडक्रास ने जिला स्वास्थय विभाग की डिप्टी सी एम ओे डाक्टर शीला भगत के सहयोग से 30 जनवरी को महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि को विश्व कुष्ठ रोग निवारण दिवस पर जागरुकता अभियान चलाया। विद्यालय के अंग्रेजीे प्रवक्ता, सैंट जान एंबुलैंस बिगे्रड तथा जूनियर रैडक्रास अघिकारी रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने असैम्बली में बच्चों को बताया कि कुष्ठ रोग अनुवंशिक रोग नही है, यह रोग छूने से नही फैलता, न ही यह पूर्वजन्म के पाप या व्यवहार का फल है यी रोग एम डी टी द्वारा पूरी तरह ठीक हो जाता है। आज रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि कुष्ठ रोग चिकित्सक गेरहार्ड आर्मोर हैन्सन के नाम पर माइक्रोबैक्टेरियम लेप्री और माइक्रोबैक्टेरियम लेप्रोमेटासिस जीवाणुओं के कारण होने वाली दीर्धकालिक बीमारी है, यह रोग मुख्यतः उपरी श्वसन तंत्र के श्लेष्म और बाहय नसों की एक ग्रैन्युलोमा- सम्बन्धी बीमारी है तथा त्वचा पर घाव इस के प्रारम्भिक बाहय संकेत है यदि इसे अनुपचारित छोड दिया जाए तो यह रोग बढ सकता है जिस से त्वचा, नसों, हाथों, पैरों और आॅखों में स्थायी छति हो सकती है।
लोककथाओं के विपरीत कुष्ठ रोग के कारण शरीर के अंग अलग हो कर गिरते नही तथा इस बीमारी के कारण सुन एवम् रोगी बन सकते है। यह रोग 4000 से भी अधिक वर्षो से मानवता को प्रभावित कर रहा है तथा प्राचीन चीन, मिस्र और भारत की सभ्यताओं में इसे बहुत अच्छी तरह पहचाना गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 1995 में इस रोग के कारण विकलांग हो चुके लोगों की संख्या बीस से तीस लाख के बीच थी।
उन्हानें छात्रों को सम्बोधित करते हुए बताया कि पिछले बीस वर्षो में विश्व के डेढ करोड लोगों को कुष्ठ रोग से मुक्त किया जा चुका है परन्तु अभी भी भारत में एक हजार से अधिक कुष्ठ बस्तियां है ऐसा माना जाता है कि कुष्ठ रोग संभवतः सिफिलिस के मामलों से जुडा होगा, अब यह ज्ञात हो चुका है कि कुष्ठ रोग न तो यौन संक्रमण द्वारा संचालित होता है और न ही उपचार के बाद यह अत्याधिक संक्रामक है और इस से पीडित लोग उपचार के मात्र दो सप्ताह बाद ही संक्रामक नही रह जाते। एम डी टी यानि मल्टी डरग थैरेपी के आगमन से पूर्व तक इस बीमारी का निदान व उपचार कर पाना सम्भव ही नही था। इस अवसर पर रविन्द्र मनचन्दा, रेणु शर्मा, देशराज, रविकान्त वत्स, अंजना बाला, कमलेश, मनोज, रुप किशोर शर्मा, ब्रहम्देव यादव व स्टाफ के सभी अघ्यापकों ने छात्रों से कहा कि वे अपने आस पडोस में यदि कोई कुष्ठ रोग से पीडित हो तो निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर बहुत शीघ्र ठीक हो सकता है। रविन्द्र मनचन्दा ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में 12 माह तक एम डी टी, राइफैम्पिसिन, डैप्सोन और क्लोफैजिमाइन की उपयुक्त रुप से समायोजित खुराकें ब्लिस्टिर पैकेट के रुप में ले कर कोई भी कुष्ठ रोग का मरीज उपचार कर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकता है। बच्चों ने पोस्टर बना कर कुष्ठ रोग जागरुकता का सन्देश भी दिया।